बस्ती: कड़ाके के ठंड में मौसम परिवर्तन हो रहा है, ऐसी स्थिति में फसलों में कीट व बीमारियों के प्रकोप की संभावना बढ़ गई है. इस समय किसान अपने फसल की नियमित निगरानी करते रहें. उक्त जानकारी उपकृषि निदेशक (कृषि रक्षा) ने दी. उन्होंने बताया कि राई, सरसों में माहू कीट का प्रकोप अगर माली नुकसान स्तर (05 फीसदी प्रभावी पौधे) से अधिक हो, तो अजादिरैक्टिन 0.15 फीसदी ईसी की मात्रा 2.5 लिटर या डाईमेथोएट 30 फीसदी ईसी 01 लिटर अथवा औक्सीडिमेटान मिथाइल ओडिमेटान 25 फीसदी ईसी की मात्रा 01 लिटर को प्रति हेक्टेयर की दर से 500 से 600 लिटर पानी में घोल कर छिड़काव करें.

उन्होंने आगे बताया कि आलू की फसल में अगेती, पछेती झुलसा, सरसों में आल्टरनेरिया झुलसा, मटर में पाउड्री मिल्ड्यू आदि फफूंदीजनित रोगों के नियंत्रण के लिए ट्राईकोडर्मा हारजेनियम 2 फीसदी डब्ल्यूपी 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 400 से 500 लिटर पानी में घोल कर छिड़काव करें अथवा कौपर औक्सीक्लोराइड 50 फीसदी डब्ल्यूपी 3 किलोग्राम या मैंकोजेब 75 फीसदी डब्ल्यूपी 2 किलोग्राम या जिनेब 75 फीसदी डब्ल्यूपी 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लिटर पानी में घोल कर छिड़काव करें.

उन्होंने यह भी जानकारी दी कि किसान फसल की सुरक्षा के लिए औनलाइन व्यवस्था सहभागी फसल निगरानी एवं निदान प्रणाली (पीसीएसआरएस) के तहत मोबाइल नंबर 9452247111 व 9452257111 पर व्हाट्सएप अथवा संदेश के माध्यम से अपनी समस्या भेज कर तत्काल समाधान प्राप्त कर सकते हैं.

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