आलू की खुदाई उस समय करनी चाहिए जब आलू के कंदों के छिलके सख्त हो जाएं. हाथ से खुदाई करने में ज्यादा मजदूरों के साथ समय भी ज्यादा लगता है. उस की जगह बैल या ट्रैक्टर से चलने वाले डिगर से खुदाई करें तो आलू का छिलका भी कम छिलता है, जबकि हाथ या हल से आलू कट जाते हैं. आलू के कट या छिल जाने पर भंडारण के समय उस में बीमारी ज्यादा लगती है.
खुदाई के समय खेत में ज्यादा नमी या सूखा नहीं होना चाहिए. इस के लिए खुदाई के 15 दिन पहले ही फसल में सिंचाई रोक देनी चाहिए.
आलू की खुदाई से पहले यह जरूर देख लेना चाहिए कि कहीं आलू का छिलका अभी कच्चा तो नहीं है. कुछ आलुओं को खोद कर अंगूठे से रगड़ें, अगर छिलका उतर जाए तो खुदाई कुछ दिन तक नहीं करनी चाहिए.
खुदाई के बाद कटेसड़े आलू छांट कर निकाल दें. ऐसा न करने पर कटेसड़े आलू अच्छे आलुओं को भी सड़ा देते हैं.
खुदाई के बाद कटे, छिले, फटे और बीमार आलुओं को निकाल कर बचे हुए स्वस्थ आलुओं को 1 से डेढ़ मीटर ऊंचा और 4-5 मीटर चौड़ा ढेर बना कर छाया में सुखाया जाता है. आलुओं को सुखाने से फालतू नमी सूख जाती है, जिस से आलुओं की क्वालिटी में सुधार होता है और वे सड़ने से बचते हैं.
सूरज की सीधी रोशनी पड़ने से आलू हरापन या गहरा बैंगनी रंग ले लेता है, इस तरह का आलू खाने के लिए अच्छा नहीं होता है, परंतु बीज के लिए यह ठीक होता है.
आलुओं को हवादार जगह में ढक कर रखना चाहिए. आलू की क्योरिंग में 10-15 दिन लगते हैं, जो वातावरण और आलुओं की किस्म पर निर्भर करता है. सही क्योरिंग हो जाने से आलू के घाव ठीक हो जाते हैं और छिलका सख्त हो जाता है.
आलू की ग्रेडिंग : आलू की खुदाई के बाद आलू की सही तरह से क्योरिंग करनी चाहिए ताकि आलू के छिलके पक जाएं और ढुलाई में उतरे नहीं.
अच्छी तरह क्योरिंग के बाद सड़ेगले व कटेफटे आलुओं को ढेर से बाहर निकाल कर साफ आलुओं की आकार के आधार पर ग्रेडिंग करनी चाहिए. गे्रडिंग किए हुए बीज, खाने व प्रोसेसिंग के आलुओं का भाव बाजार में अच्छा मिलता है.
ग्रेडिंग हाथ से, झन्ने से या ग्रेडर मशीन से की जाती है. आलू की ग्रेडिंग 3 हिस्सों में जैसे 80 ग्राम से बड़े (बड़ा), 40-80 ग्राम (मध्यम) और 25-40 ग्राम तक (छोटे) ढेर में की जाती है.
मशीन से आलू की ग्रेडिंग : आलू ग्रेडिंग मशीन से बीज के लिए अलग, बाजार के लिए अलग, स्टोरेज के लिए अलग आलू की छंटाई कर सकते हैं.
हवा लगने के बाद जब आलू पर लगी मिट्टी सूख जाए तो उन की छंटाई करनी चाहिए. बड़े, मध्यम व छोटे आलुओं को बाजार भेज दिया जाता है. बीज के लिए मध्यम आकार के आलू ठीक रहते हैं. उन्हें अगले साल के बीज के लिए स्टोरेज किया जा सकता है.
‘2 हार्स पावर की मोटर से चलने वाली आलू ग्रेडिंग मशीन को ट्रैक्टर के साथ जोड़ कर भी चलाया जा सकता है. आलू छंटाई मशीन की काम करने की कूवत 40 से 50 क्विंटल प्रति घंटा है. यह मशीन आलू की 4 साइजों में छंटाई करती है. पहले भाग में 20 से 35 मिलीमीटर, दूसरे भाग में 35 से 45 मिलीमीटर, तीसरे भाग में 45 से 55 मिलीमीटर और चौथे व आखिरी भाग में सब से बड़े आकार के आलू छंटते हैं.
‘इस मशीन की सब से खास बात यह है कि ग्रेडिंग करते समय आलू को किसी तरह का नुकसान नहीं होता. जैसा आलू डालोगे वैसा ही निकलेगा. आलू छंटाई के समय ही सीधे बोरे में भरा जाता है. बोरों को मशीन से लगा दिया जाता है, जिस की सुविधा मशीन में की गई है. इस मशीन के विषय में या हमारी किसी भी अन्य मशीन के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए आप मोबाइल नंबर 9813048612 पर फोन कर सकते हैं.’
पैकिंग व रखरखाव : आलुओं को उन के आकार के अनुसार अलगअलग बोरियों में भरकर रखें. बोरों में रखते समय इस बात का ध्यान रखें कि 50 किलोग्राम आलू ही एक बोरी में भरा जाए. इस से बोरियों के रखरखाव में मजदूरों को आसानी होती है. ध्यान रखें कि उपचारित आलू का इस्तेमाल खाने के लिए न किया जाए.
बाजार की मांग के अनुसार छोटे या बड़े पैकेट में पैकिंग कर उन पर अपने ब्रांड और आलू की प्रजाति का नाम भी लिखना चाहिए. ढुलाई के समय यह सावधानी बरतनी चाहिए कि आलू को ऊंचे से न पटका जाए, क्योंकि पटकने से आलू ऊपर से न भी टूटे तो अंदर से फट जाते हैं.
आलू को पूरे साल उपलब्ध कराने के लिए इसे कोल्ड स्टोरेज में रखना पड़ता है जो काफी खर्चीला है. कोल्ड स्टोरेज से निकला आलू महंगा होता है और इस के कारण आलू का भाव बाजार में समय के साथसाथ नई फसल की खुदाई तक बढ़ता जाता है.
मुख्य फसल को ढेर में भंडारण की घर पर सुविधा हो, तो उस का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि फसल को लंबे समय तक बेचा जा सके. मुख्य फसल की कुछ मात्रा कोल्डस्टोर में रखनी चाहिए और कुछ मात्रा ढेर के रूप में छायादार जगह पर स्टोर करनी चाहिए.
बाजार की मांग को देखते हुए थोड़ाथोड़ा कर के आलू को बाजार में बेचना चाहिए. कोल्ड स्टोर में रखे हुए आलू को बाजार भाव के अच्छे होने पर बेचना चाहिए.