गन्ने की खेती में बीज गन्ने की अच्छी क्वालिटी यानी गुणवत्ता पैदावार बढ़ाने में काफी खास है.
किसान अच्छी गुणवत्ता के बीज का इस्तेमाल कर के गन्ने की अच्छी उपज हासिल कर सकते हैं. आमतौर पर जो गन्ना चीनी मिल में नहीं जाता है या आसपास जो भी बीज मिलता है, उसे ही किसान बीज के रूप में इस्तेमाल कर लेते हैं. लेकिन इस प्रकार के बीजों में कई तरह के दोष हो सकते हैं, जैसे 10 महीने से ज्यादा उम्र का गन्ना, बीज में दूसरी प्रजाति के गन्ने का मिला होना, कीट व रोग से ग्रसित गन्ना आदि. इसलिए हर गन्ना किसान को बोआई के लिए खुद बीज तैयार करना चाहिए.
उम्दा बीज की खासीयतें
* बीज गन्ने की आयु 8-10 महीने की होनी चाहिए.
* बीज गन्ने में पानी (नमी) 65 फीसदी से कम नहीं होना चाहिए.
* बीज गन्ना कीट व रोगमुक्त होना चाहिए.
* बीज गन्ने में ज्यादा ग्लूकोज होना चाहिए.
* बीज गन्ने के खेत में दूसरी प्रजाति के गन्ने की मिलावट नहीं होनी चाहिए.
* बीज गन्ने की आंख खराब नहीं होनी चाहिए.
* बीज गन्ने की कटाई सिंगल बड विधि द्वारा की जानी चाहिए और कटिंग्स तिरछी नहीं होनी चाहिए.
बीज उत्पादन में ध्यान देने वाली बातें
* गन्ना उत्पादक किसान बोआई के लिए अच्छी प्रजातियों के गन्ना बीज नलकूप या ट्यूबवेल के पास के खेत में जरूरत के मुताबिक गन्ना बीज उत्पादन के लिए लगाएं.
* वर्तमान में अगेती प्रजाति को 0238 के गन्ने का क्षेत्रफल बढ़ रहा है. इस प्रजाति के अस्वीकार होने पर गन्ना किसानों और चीनी मिल मालिकों को भारी आर्थिक नुकसान हो सकता है. जरूरत इस बात की है कि को 0238 प्रजाति की गुणवत्ता, रोगरोधक कूवत, चीनी परता को लंबे अरसे तक बनाए रखा जाए और इस के साथसाथ इस के समान अन्य प्रजातियों को 0118, कोशा 08272 का भी विस्तार हो. जब तक हर किसान गन्ने का बीज अपने खेत में नहीं उगाएगा और गन्ना उगाने की ऐसी तकनीक का इस्तेमाल नहीं करेगा, जिस से कि कम मात्रा में अच्छी गुणवत्ता वाली प्रजातियों के बीज का तेजी से विस्तार हो, तब तक अच्छी चीनी हासिल करने और उत्पादकता बनाए रखने का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकेगा.
* गन्ने को बीज गन्ने में बदलने के लिए यह जरूरी है कि जिस खेत से गन्ना बीज ले जाना है, उस का वह हिस्सा बीज गन्ने के लिए चुनें, जो स्वस्थ हो, अच्छी पैदावार देने वाला हो और उस पर किसी रोग या कीट का हमला न हो. ऐसे इलाके को चुनने के बाद पानी रोकने के लिए मेंड़ बनाएं, जिस से इस में पानी लगाने के बाद पानी खेत के अन्य हिस्सों में न फैले. चुने गए क्षेत्र से बीज गन्ना हासिल करने से 1 हफ्ते पहले सिंचाई के जरीए 40 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर यूरिया के साथ इस्तेमाल करें और गन्ने का एक तिहाई भाग ही बीज गन्ने के रूप में इस्तेमाल करें, जिस से चुने हुए बीज गन्ने का जमाव अच्छा हो.
* चुने हुए खेत की पूरी तैयारी करने के बाद प्राथमिक पौधशाला से हासिल बीज गन्ना के सेट्स काटने से पहले चुने खेत में एक कोने पर बीज के इलाज के लिए जरूरत के मुताबिक एक गड्ढा तैयार करें और उस में पौलिथीन बिछा दें. गड्ढे में 1 फीसदी बाविस्टीन का घोल तैयार कर लें और इसी गड्ढे में बीज गन्ना सेट्स की कटाई शुरू करें, जिस से कटे सेट्स इस गड्ढे में जाते रहें और सेट्स का बीज उपचार अच्छी तरह से हो सके.
सेट्स कटाई के दौरान यह जरूर देखें कि कोई बीज किसी रोग या कीड़े से प्रभावित न हो, ऐसे सेट्स को अलग कर लें.
* अच्छी क्वालिटी के बीजों की पैदावार के लिए जमीन उपचार, बोआई, सिंचाई, उर्वरक और फर्टीलाइजर और कीट रोग नियंत्रण सभी काम गन्ना उत्पादक तकनीक के मुताबिक ही करें. साथ ही रोगों और कीटों की रोकथाम के लिए पौधशाला पर खास ध्यान दें.
* बीजों का उपचार बाविस्टीन, कार्बंडाजिम, माइक्रोजिम व ट्राइकोडर्मा से करने से पहले 52-54 डिगरी सेंटीग्रेड गरम पानी में 2 घंटे तक करें, जिस से घासीप्ररोह, उकठा, कंडुआ व लालसड़न रोग की रोकथाम हो सके.
बोआई सिंगल बड द्वारा ट्रैंच विधि से आंख से आंख की दूरी 2 फुट और लाइन से लाइन की दूरी 4.5 फुट रख कर करें. ट्रैंच में मिट्टी का इस्तेमाल 2-3 सेंटीमीटर से ज्यादा न करें. बीजों को मिट्टी से ढकने के बाद जरूरत के मुताबिक हलकी सिंचाई करें.
* पोषक तत्त्वों का इस्तेमाल व कीड़ों व रोगों की रोकथाम दूसरी फसलों की तरह करें. इस तरह 0238 प्रजाति को काफी समय तक किसानों के हित में उपयोगी बनाए रखने में मदद मिलेगी.
* तैयार नर्सरी से बीजों की कटाई से पहले सिंचाई के साथसाथ 40 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर की दर से दें. इस से बीजों की क्वालिटी अच्छी हो जाती है.