सीहोर: विगत एक सप्ताह से मौसम में परिवर्तन होने के कारण रबी मौसम की प्रमुख फसलें गेहूं व चना फसल में रोग व कीटों के प्रकोप की पूरी संभावना बनी हुई है. विकसित भारत संकल्प यात्रा के दौरान जिले के विभिन्न गांवों में कृषि विकास विभाग के मैदानी अमले एवं कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा किसानों के खेतों का भ्रमण कर के फसलों में आने वाली समस्याओं से रूबरू कराते हुए उन के बेहतर उपायों से किसानों को अवगत कराया जा रहा है.
उपसंचालक, कृषि एवं कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक द्वारा बताया गया कि चना फसल वर्तमान समय में पुष्पन, फलन वाली अवस्था पर है. इस अवस्था में मौसम में परिवर्तन जैसे दिन में न्यूनतम तापमान, हलकी बारिश होने के कारण पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया सुचारु रूप से न होने के चलते चना फसल में पुष्पन प्रभावित होने के साथसाथ फसल के पुष्प भी पीले पड़ कर सूख रहे हैं, जिस के चलते फसल में माली नुकसान होने की पूरी संभावना है और साथ ही फसल में चने की सूंडी व इल्ली के साथसाथ उकटा व जड़सड़न रोग के प्रकोप के कारण भी फसल सूख रही है.
किसानों को सलाह है कि चना फसल की सुरक्षा के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट, प्रोफेनोफास 200 ग्राम प्रति एकड़ या क्लोरोइन्ट्रानिलीप्रोल, लेंब्डासाइलोथ्रिन 80 मिलीलिटर प्रति एकड़ के साथ फ्लूपायरौक्साइड, पायरोक्लोरोस्ट्रोबिन 150 मिलीलिटर प्रति एकड़ या एजोक्सीस्ट्रोबिन, टेबूकोनोजोल 150 मिलीलिटर प्रति एकड़ के साथ एनपीके 19ः19ः19, एक किलोग्राम प्रति एकड़ से 150 लिटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करें.
उपसंचालक कृषि ने बताया कि जिले की मुख्य फसल गेहूं में भी वर्तमान समय में जड़ माहू कीट व कठुआ इल्ली का प्रकोप शुरुआती अवस्था से ही फसल पर बना हुआ है, जिस के चलते फसल पीली पड़ कर सूख रही है व इल्ली के प्रकोप के कारण फसल की वानस्पतिक वृद्धि व बालियां प्रभावित हो रही हैं.
इसलिए किसानो को सलाह है कि उक्त कीटों के निदान के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट, प्रोफेनोफास 200 ग्राम प्रति एकड़ के साथ एनपीके 19ः19ः19, एक किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से 150 लिटर पानी में घेाल बना कर छिड़काव करें.
साथ ही, अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए सतत् कृषि विभाग के अधिकारियों एवं कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के संपर्क में रहें.