हमारे यहां खेतीकिसानी करना कोई आसान काम नहीं है. इस के लिए दिनरात खेतों में मेहनत करनी पड़ती है. कैसा भी मौसम हो, किसान के कामों में रुकावट नहीं आ सकती, क्योंकि हर मौसम में खेतों में खाद, पानी, कीटनाशक और खरपतवारों की निराईगुड़ाई करनी पड़ती है.

सर्दियों में कड़ाके की ठंड में दिन हो या रात, किसान सिंचाई के लिए खेतों में जाते हैं. कभीकभी तो किसानों की सर्दी लगने से मौत भी हो जाती है,क्योंकि सिंचाई करने के लिए उन्हें खेतों में घुसना पड़ता है और वे ठंड की चपेट में आ जाते हैं.

रेन गन तरीके से सिंचाई करने में कम पानी लगता है और किसानों की मेहनत कम लगती है. साथ ही, उन की आमदनी में भी इजाफा होता है.

नई तकनीक के जमाने में किसानों की राह आसान करते हुए माहिरों ने रेन गन ईजाद की है. इस से किसानों को यह फायदा होगा कि वे खेतों में घुसे बिना बाहर से ही रेन गन के जरीए सिंचाई कर देंगे, जबकि अभी तक उन को अपनी जान जोखिम में डाल कर सिंचाई करनी पड़ती थी.

एक फायदा और होगा कि खेतों में बहुत ज्यादा पानी भरने की जरूरत नहीं होगी, बल्कि कम पानी में ही खेतों की सिंचाई हो जाएगी.

नई तकनीक से किसानों को खेतों में सिंचाई करना पहले के मुकाबले में अब आसान हो गया है. उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में फसलों की सिंचाई के लिए किसानों ने रेन गन का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.

सरकार किसानों की माली हालत देखते हुए इस में सब्सिडी भी दे रही है. जिले के कई किसानों को इस का फायदा दिया जा चुका है. संबंधित महकमे का टारगेट ज्यादा से ज्यादा किसानों तक इस तकनीक को पहुंचाना है, ताकि सुविधा के साथ ही पानी की भी बचत की जा सके.

देश के किसानों की समस्या यह है कि उन्हें जो भी स्कीम सरकार की तरफ से मिलती है, उस का ज्यादातर फायदा बड़े किसान ही उठाते हैं. छोटे किसानों को सरकार को दिखाने के लिए नाममात्र का फायदा दिया जाता है.

किसानों को रेन गन प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत दी जा रही है. इस स्कीम में किसानों को 3 इंच मोटे 20 फुट के 25 पाइप, 5 फुट का स्टैंड और रेन गन दी जाती है. इस की लागत 46,880 रुपए है.

किसानों को सब्सिडी में महज 11 हजार रुपए ही दिए जा रहे हैं. किसानों को यह फायदा डीबीटी योजना के तहत मिलता है.

rain gun irrigation

कृषि माहिरों का कहना है कि रेन गन से 25-30 मीटर तक सिंचाई की जा सकती है. यह चारों तरफ सिंचाई करती है. यदि किसान सिर्फ एक तरफ ही सिंचाई करना चाहें तो एक तरफ ही रेन गन लगाई जा सकती है.

उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में पानी का जमीनी लैवल काफी नीचे जा चुका है और कलक्ट्रेट ने ऐसे इलाकों में सबमर्सिबल बोर करवाने में रोक लगा रखी है.

इस फैसले से किसानों को नुकसान उठाना पड़ा था, लेकिन इस नए तरीके से उन के नुकसान की भरपाई की जा सकती है.

मक्का और गन्ने के लिए ज्यादा फायदेमंद : रेन गन मक्का और गन्ने की फसल के लिए काफी अच्छी है. इस का इस्तेमाल शुरुआती दौर में बागबानी में भी किया जा सकता है, खासकर पौधे जब छोटे हों.

5 फुट के पाइप को बीच में लगा कर चारों ओर बारिश कराई जा सकती है. इस तरीके से तकरीबन 1 एकड़ क्षेत्रफल में फायदा होगा.

मक्का और गन्ने की फसल के लिए रेन गन काफी कारगर साबित हो रही है. वजह यह है कि मक्का हो या गन्ना, इस के पौधे काफी बड़े और ऊंचे होते हैं. इस वजह से खेतों के अंदर जा कर सिंचाई करने में काफी परेशानी होती है. लेकिन इस के इस्तेमाल से बाहर से ही बड़े क्षेत्रफल में पानी की बारिश की जा सकती है.

सर्दियों के मौसम में आलू की फसल में हलकी सिंचाई की जरूरत पड़ती है. अभी तक किसानों की मुश्किल यह थी कि सिंचाई के नाम पर खेतों में खूब पानी भर दिया जाता था. इस से पानी की खपत भी ज्यादा होती थी और किसानों का खर्च भी ज्यादा होता था. आलू के खेतों में रेन गन से बारिश कराई जा सकती है और जो नमी बचती है, उसी में जुताई भी की जा सकती है. इस से पानी की तकरीबन 60 फीसदी बचत होती है और किसानों का खर्च भी कम होता है.

कुछ फसलें खेत में ज्यादा पानी भरने से खराब हो जाती हैं और पौधे कभीकभी सड़ भी जाते हैं, लेकिन रेन गन जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल की जा सकती है. इस में कम पानी की जरूरत होती है और फसल भी खराब नहीं होती.

इस नई तकनीक से किसानों को काफी फायदा हो सकता है. इसे एक किसान खरीद कर दूसरे किसान को किराए पर भी दे कर अपनी लागत निकाल सकता है. साथ ही, दूसरे किसान भी कम किराया अदा कर ज्यादा फायदा कमा सकते हैं.

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