बाजार में हरी भिंडी की डिमांड हमेशा रहती है खासकर बच्चों की पसंदीदा सब्जी भी है. और अब लाल भिंडी भी बाजार में आने लगी है, इसे ‘काशी लालिमा’ भी कहा जाता है. हरी भिंडी के मुकाबले लाल भिंडी में पोषक तत्त्वों की मात्रा ज्यादा होती है.

भिंडी की इस खास प्रजाति को उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ने विकसित किया है. भिंडी की इस प्रजाति के लाल रंग के चलते इसे ‘काशी लालिमा’ नाम दिया गया.

भिंडी की इस नई किस्म ‘काशी लालिमा’ में हरी भिंडी के मुकाबले ज्यादा पोषक तत्त्व होते हैं. बाजार में इस के बीज उपलब्ध होने के बाद से देश के अनेक हिस्सों में जैसे मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ राज्यों में किसानों ने इस की खेती करना शुरू कर दिया है. वैसे देश में लगभग सभी राज्यों में इस की खेती की जा सकती है.

खेती के लिए जलवायु और उपयुक्त मिट्टी

साल में 2 बार लाल भिंडी की खेती की जा सकती है. फरवरीमार्च व जूनजुलाई महीने में आप इस की खेती कर सकते हैं. इस की खेती के लिए गरम और कम आद्रता वाली जलवायु अनुकूल होती है. पौधों के विकास के लिए 5-6 घंटे की धूप आवश्यक होती है. साथ ही, इसे ज्यादा पानी की जरूरत भी नहीं होती.

उपयुक्त मिट्टी : बलुई दोमट मिट्टी लाल भिंडी की खेती के लिए उपयुक्त है. ध्यान रहे कि मिट्टी जीवांश व कार्बनिक पदार्थ वाली होनी चाहिए. बीज/पौध रोपण करने से पूर्व मिट्टी के पीएच मान की जांच अवश्य करा लें. इस की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान सामान्य होना चाहिए.

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