इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में जिन सब्जियों का अधिक उपयोग हो सकता है, उन की बाजार में लगातार मांग बढ़ती जा रही है. इन्हीं में से एक अदरक है, जिस की बाजार में अच्छी कीमत मिलती है .
कैसी हो मिट्टी
अदरक की खेती शुरू करने के लिए अच्छी मिट्टी का चुनाव करना चाहिए. इस के लिए जल निकास वाली भुरभुरी दोमट मिट्टी अच्छी रहती है, जिस में अधिक उत्पादन प्राप्त होता है.
उन्नत प्रजातियां
सुप्रभा, सुरुचि, सुरभि, वरद, हिमगिरी, बरुआसागर आदि अच्छी प्रजातियां हैं.
कितनी रखें बीज की मात्रा
14 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर बीज की जरूरत होती है. बीज हमेशा स्वस्थ हों और हर कंद में कम से कम 2 से 4 आंखें हों. उसे ही बोआई के लिए उपयोग करना चाहिए.
बोआई का समय
मईजून में सिंचित व असिंचित दोनों क्षेत्रों में इस की खेती शुरू की जा सकती है.
कैसे बोएं बीज
अदरक की खेती करने के लिए कतार की दूरी 25 से 30 सैंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 15 से 20 सैंटीमीटर रखनी चाहिए. इस से खेत में पौधों की संख्या अधिक होगी और उत्पादन अच्छा प्राप्त होगा.
खेत में करें मल्चिंग
बोआई के बाद सूखी पत्तियों वाली या खरपतवार से नालियों को ढकें. इस से जमाव अच्छा होगा.
कब चढ़ाएं मिट्टी
बीज बोआई के 3 या 4 महीने बाद पहली बार मिट्टी चढ़ानी चाहिए. इस के बाद कंद को ढकने के लिए 1 या 2 बार मिट्टी चढ़ाना जरूरी होता है.
पौध रक्षा कैसे करें
कीट शूट बोरर, जिस को प्ररोह बेधक भी कहा जाता है, के छेद कर काटने से पौधे सूख जाते हैं. इस के उपचार के लिए इंडोसल्फान 35 ईसी 1.2 लिटर प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करना चाहिए.
खाद व उर्वरक कितना दें
अदरक की खेती में खाद और उर्वरक की मात्रा को संतुलित रूप से देना चाहिए. गोबर की खाद 300 क्विंटल, नाइट्रोजन 75 किलोग्राम 3 बार में बोआई के समय देना चाहिए, उस के बाद 45-45 दिनों में इस को डाल देना चाहिए. फास्फोरस 75 किलोग्राम बोआई करते समय खेत में मिला देना चाहिए.
पत्तियों का पीला होना और यह पीलापन बढ़ कर कंद तक धीरेधीरे पहुंच जाता है. साथ ही, पत्तियां सूख जाती हैं. इस वजह से कंद सड़ने लगता है. इस के उपचार के लिए डिटेन एम-40 पौइंट 3 फीसदी गोल में 30 मिनट तक बीज को दबा कर रखें. उस के बाद इस को बोआई के लिए इस्तेमाल करें तो इस रोग से फसल को बचाया जा सकता है.
बोआई के 6 से 8 महीने बाद जब पौधे पीले पड़ कर सूखने लगें तो खुदाई कर सकते हैं. उत्पादन 125 से 150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त होता है. खुदाई करने के बाद अदरक को छायादार जगह पर 2-3 दिन के लिए सुखाने के लिए रख देना चाहिए और उस के बाद भंडारण की व्यवस्था करें.
इस के भंडारण के लिए छायादार जगह पर 5×5 फुट गहराई व चौड़ाई का गड्ढा खोद कर नीचे धान की भूसी या रेत बिछा कर अदरक को शंक्वाकार में जमा कर रखना चाहिए और ऊपर हवा के लिए जालीदार ढक्कन बना कर रखना चाहिए.
समयसमय पर निगरानी भी करते रहना चाहिए. ध्यान रखें कि बारिश होने पर गड्ढे के अंदर पानी न जाए. यदि पानी चला गया तो अदरक सड़ जाएगा.
अच्छा अदरक काफी तीखा, गरम, शक्तिवर्धक, वातनाशक व कृमिनाशक होता है. उत्तम किस्म के अदरक के कमरे से और पंजे के आकार जिस में 75 से 100 ग्राम तक वजन और 8 से 10 गांठें होनी चाहिए.
इस प्रकार के अदरक को काफी अच्छा माना जाता है और बाजार में उस की कीमत भी अच्छी मिलती है, इसलिए किसानों को अदरक की खेती शुरू करनी चाहिए, जिस से उन की आमदनी में बढ़ोतरी होगी और इस को आसानी से बाजार में बेचा भी जा सकेगा.