Urad Mung Cultivation| जायद में उड़दमूंग की फसलें, जो करीब 75 से 80 दिनों की होती हैं, को रबी की फसलों जैसे सरसों, मटर वगैरह कटने के बाद खाली खेतों में उगा कर किसान अतिरिक्त आय हासिल कर सकते हैं. ऐसा कर के जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाया जा सकता है. साथ ही साथ वसंतकालीन गन्ने के साथ सहफसली खेती कर के भी अतिरिक्त आय हासिल की जा सकती है.

सही प्रजाति का चयन : इलाके के हिसाब से उन्नतशील बीजों की समय से बोआई करने से पैदावार में तकरीबन 20-30 फीसदी का इजाफा किया जा सकता है. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे बोआई से पहले बीज जमाव के फीसदी की जांच जरूर करें.

बीज दर व बीज उपचार : उड़द की 20-25 किलोग्राम और मूंग की 20-22 किलोग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से ले कर बोआई करनी चाहिए. बोआई से पहले दीमक वाली जमीन के लिए बीजों को 2.5 ग्राम थीरम व 1.0 ग्राम कार्बंजायिम दवाओं से उपचारित करें. जमीन के दूसरे कीड़ों के लिए बीजों को 4 मिलीलीटर क्लोरापाइरीफास या 2 मिलीलीटर एमिडाक्लोराइड से प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें. इस के अलावा 250 ग्राम राइजोबियम, 250 ग्राम पीएसबी व 200 ग्राम गुड़ के आधे लीटर पानी में बनाए गए घोल से बीजों को 10 किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करना चाहिए.

बोआई का समय व विधि : उड़द की बोआई फरवरी के अंतिम हफ्ते से मार्च के अंतिम हफ्ते तक और मूंग की बोआई मार्च के पहले हफ्ते से मार्च के अंतिम हफ्ते तक सीड बेड प्लांटर की सहायता से मेड़ों पर करनी चाहिए.

उर्वरक प्रबंधन : उड़द व मूंग की अच्छी उपज लेने के लिए उर्वरकों की सही मात्रा मिट्टी की जांच के मुताबिक इस्तेमाल की जानी चाहिए. आमतौर पर 20 किलोग्राम नाइट्रोजन (50 किलोग्राम यूरिया), 40 किलोग्राम फास्फोरस (264 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट)  और 40 किलोग्राम पोटाश (64 किलोग्राम म्यूरेट आफ पोटाश) प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करनी चाहिए. आयरन व मोलिबिडनम के इस्तेमाल से नाइट्रोजन स्थिरीकरण ज्यादा होता है.

खरपतवार नियंत्रण : दलहनी फसलों को करीब 35-40 दिनों तक खरपतवार मुक्त रखना चाहिए. इस के लिए निम्न में से किसी 1 खरपतवारनाशी का इस्तेमाल करना चाहिए:

* फ्लूक्लोरसिड 45 ईसी (वासालीन) की 2.22 लीटर मात्रा 700-800 लीटर पानी में घोल कर बोआई से पहले सही नमी में मिट्टी की ऊपरी सतह पर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर के मिला दें. छिड़काव शाम के वक्त करना चाहिए.

एलोक्लोर (लासो) की 4 लीटर मात्रा को 700-800 लीटर पानी में घोल कर बोआई के बाद और जमाव से पहले प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए.

* पेंडिमेथलीन 30 ईसी (स्टांप 30) की 3.30 लीटर मात्रा को 700-800 लीटर पानी में घोल कर बोआई के तुरंत बाद सही नमी पर शाम के वक्त प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए.

खास कीड़े

Urad Mung Cultivation

उड़द व मूंग की फसलों को निम्न कीड़े ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं:

कमला कीट : ये कीट पत्तियों के ऊपर शुरुआती अवस्था में झुंड में होते हैं. प्रभावित पत्तियों को काट कर जमीन में दबा दें.

* इंडोसल्फान 35 ईसी की 1.5 लीटर मात्रा 500-600 लीटर पानी में घोल कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.

* मिथाइल पैराथियान धूल (2 फीसदी) की 25 किलोग्राम मात्रा, फेनवलेट धूल (4 फीसदी) की 0.25 किलोग्राम मात्रा को करीब 1 क्विंटल चूल्हे की राख में मिला कर सुबह के वक्त प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में बुरकाव करें.

फलीभेदक : इंडोसल्फान 35 ईसी की 1.25 लीटर मात्रा या क्यूनालफास 25 ईसी की 1.25 लीटर मात्रा 500-600 लीटर पानी में मिला कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.

खास बीमारियां

उड़द व मूंग की फसलों को ज्यादातर पीला मोजेक रोग का खतरा रहता है, जो सही देखभाल से काबू में आ जाता है.

पीला चित वर्णरोग (पीला मोजेक) : यह वायरस की बीमारी रस चूसने वाले कीड़ों द्वारा फैलती है. इस की वजह से पत्तियों पर पीलेसुनहरे चकत्ते पड़ जाते हैं. इस रोग के विषाणु सफेद मक्खी द्वारा फैलते हैं. इस की रोकथाम के लिए इमिडा क्लोप्रिड 250 मिलीलीटर या मेटासिस्टोक्स 1.25 लीटर प्रति रोजोर 1.25 मिलीलीटर का प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए. प्रभावित पौधों को तुरंत उखाड़ कर जमीन में दबा दें.

भंडारण : फसल की मड़ाई के बाद भंडारण एक खास काम है. इस में दलहनी फसलों को 8-10 फीसदी नमी रहने तक सुखाते हैं. भंडारण के बाद हवा का आनाजाना बंद करने के लिए फसल को अच्छी तरह सील कर दें.

अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें...