इस महीने गेहूं, सरसों, चना आदि फसल की कटाई व उन का सही तरीके से भंडारण करना भी जरूरी है. गेहूं में सब से ज्यादा खतरा घुन लगने का रहता है, जिसे बीटल कहा जाता है. यह अगर एक बार गेहूं में लग गया तो इस से छुटकारा पाना बड़ा ही मुश्किल है, इसलिए भंडारण से पहले ही हमें खास बातों पर ध्यान देना चाहिए.
भंडारण करने से पहले गेहूं को धूप में अच्छी तरह सुखा लें. गेहूं में 10 प्रतिशत से ज्यादा नमी न रहे और जिस कोठरी, टंकी आदि में गेहूं को स्टोर करना है, उसे भी मैलाथियान के 1:100 के हिसाब से पानी में मिला कर छिड़काव करें.
सूखने के बाद अनाज का भंडारण करें या सल्फास के धुएं से भी उपचारित कर सकते हैं. घरेलू उपाय में नीम की सूखी पत्तियां जला कर उस का धुआं भी कर सकते हैं.
अनाज भंडारण का स्थान पक्का होना चाहिए. नमी बिलकुल न हो, इस बात का ध्यान रखें. साथ ही, अनाज भंडारण करने वाले बोरे भी बीमारी से रहित होने चाहिए. उन्हें उपचारित कर के ही अनाज का भंडारण करें.
अप्रैल महीने में अनेक तरह की सब्जियों की खेती कर के भी अच्छा मुनाफा ले सकते हैं.
भिंडी की खेती
इन दिनों किसान भिंडी की फसल लगा सकते हैं. भिंडी की खेती सभी तरह की मिट्टी में कर सकते हैं. खेत को सही से तैयार करें और खेत की मिट्टी को भुरभुरी बना कर कतार में भिंडी की बोआई करें.
बोआई के बाद पौधे निकलने के तकरीबन 15-20 दिनों पर उस की निराईगुड़ाई करें.
भिंडी की उन्नत किस्मों में हिसार उन्नत, वीआरओ पूसा – 6, पूसा – 4, अर्का अनामिका, आर्या अभय आदि हैं.
चौलाई की खेती
चौलाई की बोआई इस महीने कर सकते हैं. इस फसल से गरमी व बरसात में अच्छी पैदावार होती है. इस की अच्छी पैदावार रेतीली दोमट मिट्टी में मिलती है.
हलदी की खेती
भारत में हलदी सब से अधिक मात्रा में उगाई जाती है. खासकर अधिक मात्रा में हलदी उगाने वाले राज्य गुजरात, महाराष्ट्र, मेघालय, तमिलनाडु, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, असम आदि हैं. हलदी की अच्छी पैदावार लेने के लिए क्यारियों में बोई जाती है और मेंड़ बना कर भी उस पर हलदी की अच्छी उपज ली जाती है.
उन्नत किस्मों में सोनिया, गौतम, रश्मि, कृष्णा, मेघा आदि हैं.
बेल वाली फसल
देशभर में की जाने वाली यह फसल अगर समय से बो दी जाए, तो अच्छा फायदा देती है. इस की बोआई के लिए लौकी की अच्छी किस्म के बीजों को 24 घंटे पानी में भिगो कर रखें. इस से कल्ले जल्दी निकलते हैं. इस की उन्नत किस्मों में पूसा समृद्धि, पूसा हाइब्रिड 3, नरेंद्र रश्मि, नरेंद्र शिशिर, काशी गंगा आदि हैं.
पौधे को उचित दूरी पर लगाएं. इस के अलावा तुरई, चप्पन कद्दू की भी खेती इन दिनों की जाती है.
मूंग की खेती
इस माह शुरुआती समय में मूंग की बोआई की जा सकती है. इस के अलावा इन दिनों जौ, चना, मटर, सरसों व मसूर की फसल की सही समय पर कटाई कर उसे सहेज लें.
मक्का की खेती
देश में मक्का की खेती का भी खास स्थान है. इन दिनों मक्का की बोआई भी किसान कर सकते हैं. इस की अच्छी खेती के लिए दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है.
बैगन की खेती
देश के मैदानी इलाकों के लिए बैगन की फसल लगने का उचित समय है. आमतौर पर बैगन की पौध सभी तरह की मिट्टी में लगाई जा सकती है, फिर भी बोआई के लिए दोमट मिट्टी बेहतर रहती है.
गन्ना फसल की देखभाल
गोबर की खाद या केंचुआ खाद डालें. गन्ने की फसल में निराईगुड़ाई करें. उस में खरपतवार न पनपने दें.
सूरजमुखी
सूरजमुखी की फसल में इस माह फूल आने लगता है, इसलिए ध्यान देना जरूरी है. खेत में खादपानी वगैरह का ध्यान रखें.
अरवी की खेती
इस समय अरवी की बोआई का समय है. अगेती किस्मों का चुनाव करें.
लहसुन की फसल
अप्रैल के महीने में लहसुन की फसल भी तैयार हो जाती है. उसे भी सावधानीपूर्वक खोद लें और 2-3 दिन खेत में या खुले में उसे हवा लगने को छोड़ दें. इस के बाद उसे छाया में रख कर भंडारण करें.
अदरक की खेती
अदरक की बोआई का काम भी इस महीने निबटा लें. बोआई के लिए बीमारीरहित कंदों का ही इस्तेमाल करें. अदरक की बोआई मेंड़ों पर उचित दूरी पर करें.
बीज तैयार करें
इस समय बीज के लिए छोड़े गए पौधों पर मूली, गाजर व पालक के बीज भी तैयार हो चुके होते हैं. उन से भी सावधानीपूर्वक बीज निकाल लें व उन्हें सुखा कर आगे के लिए संभाल कर रखें. ध्यान रखें, बीजों में नमी न रहे, अन्यथा वे खराब हो जाते हैं.
शिमला मिर्च
अगर आप ने शिमला मिर्च लगा रखी है, तो उस फसल की भी समय पर निराईगुड़ाई करें. उपज को समय पर तोड़ कर मंडी पहुंचाएं.
आम वाली फसल
इन दिनों आम के पेड़ों पर फल बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, इसलिए आम के बाग में किसी भी तरह का प्रकोप दिखाई दे, तो बागबानी विशेषज्ञ को बता कर उस का निदान करें.
पशुओं के लिए
अप्रैल महीने में देश के अनेक हिस्सों में काफी गरमी हो जाती है. इस के चलते पशु के लिए चारे की भी बेहद कमी हो जाती है. इस के लिए अप्रैल के शुरुआत में ही चारे के लिए मक्का, लोबिया, बाजरा आदि की बोआई करें, ताकि वाले महीनों में चारे की दिक्कत न हो.
गरमियों में पशुओं का भी ध्यान रखना जरूरी है. उन के लिए छायादार जगह का इस्तेमाल करें. पीने के लिए का साफ पानी का इंतजाम रखें. समयसमय पर टीके जरूर लगवाएं. किसी भी तरह की पशुओं को दिक्कत होने पर उसे दूसरे पशुओं से अलग कर दें और पशु विशेषज्ञ से उस की परेशानी बता कर उस का इलाज कराएं.