मई माह में गेहूं की फसल की कटाई कर भंडारण के लिए उसे धूप में सुखा लें. उस में नमी की मात्रा 8-10 फीसदी रहे, तब इसे भंडारण करें. भंडारण से पहले भंडारगृह को कीटनाशी दवा से साफ कर लें.
फसल कटने के बाद मई महीने में खेत खाली हो जाते हैं. उन की गहरी जुताई कर के छोड़ दें, जिस से तेज धूप में कीटपतंगे मर जाएं. इस के अलावा जिन किसानों के खेत समतल नहीं हैं वे अपने खेतों को लेजर लैंड लेवलर की मदद से एकसार करा लें, क्योंकि एकसार खेत होने पर पूरे खेत में समान रूप से पानी लगता है, जिस से फसल की पैदावार भी बेहतर मिलती है.
खेत की पैदावार कूवत बढ़ाने के लिए इस समय हरी खाद के लिए खाली पड़े खेतों में सनई, ढैंचा जैसी फसलों की बोआई करें. हरी खाद वाली फसल 40-50 दिन की होने पर खेत में रोटावेटर से जुताई कर दें और पानी दे दें, जिस से वह गल कर खाद बन जाए और अगली फसल के लिए समय से पहले खेत तैयार भी हो जाए.
खेत की मिट्टी जांच के लिए भी यह खास समय है. अपने निकटतम मिट्टी जांच केंद्र पर खेत की मिट्टी की जांच कराएं. नतीजतन, खेत में पोषक तत्त्वों की कमी व खादउर्वरक की जानकारी मिल जाएगी, जो आप के लिए बड़े काम की होगी.
यह महीना खरीफ फसलों को बोने के लिए सही है. सिंचाई के बेहतर साधन हैं तो आप इस महीने कपास की बोआई भी कर सकते हैं. जड़ वाली फसलें जैसे अरबी, अदरक, हलदी की भी बोआई की जाती है.
अगर अभी तक धान की नर्सरी नहीं डाली है तो नर्सरी डालें. सब्जी की खेती में भिंडी व बैगन जैसी सब्जियों को फलीछेदक सूंड़ी से बचाव करें और इसी महीने टमाटर व बैगन की फसल में सिंचाई का ध्यान रखें.
मई के दूसरे पखवारे में मिर्च की नर्सरी लगाएं. मिर्च पूसा की उन्नत प्रजाति पूसा ज्वाला व पूसा सदाबहार से अच्छी पैदावार मिलती है. जो किसान मूली बोना चाहते हैं, जल्दी तैयार होने वाली मूली की किस्म लगाएं. पूसा चेतकी किस्म 40 से 50 दिनों में तैयार हो जाती है.
ऊंचे पहाड़ी इलाकों में बंदगोभी, फूलगोभी, गांठगोभी की भी रोपाई की जाती है जो अगस्त तक तैयार हो जाती है.
पशुओं को गरमी और लू से बचाने का इंतजाम करें और पशुओं को भरपूर मात्रा में हरा चारा दें. गरमियों में दुधारू पशुओं का दूध भी कम हो जाता है इसलिए पौष्टिक चारा दें. गरमी से नजात दिलाने के लिए पशुओं को सुबहशाम दोनों समय नहलाएं और साफ पानी पीने को दें. यही बात मुरगीपालन के लिए भी लागू होती है. उन्हें भी गरमियों से बचाएं.
जो किसान लोबिया, मक्का, ज्वार और बाजरा बोना चाहते हैं, वह देरी न करें. इस की बोआई करें. गन्ने की पहले बोई गई फसल में सिंचाई का भी ध्यान रखें. बेल वाली फसल की निराईगुड़ाई करें और सिंचाई करें. साथ ही, फसल को कीटों से बचाएं और तैयार फलों को तोड़ कर समय पर मंडी पहुंचाएं.
इस समय धूप ज्यादा तेज होती है इसलिए केला, पपीता जैसी फसलों की बोरियों या पत्तों से ढक कर धूप से बचाव करें. आम के पेड़ों में भी पानी दें. सूरजमुखी की फसल में सिंचाईगुड़ाई का ध्यान रखें. फूलों की खेती करने वाले किसान फसल में पानी समय से देते रहें.