धनिया की एक खास किस्म ‘अजमेर धनिया-1’ है, जिसे धनिया 1 नाम दिया गया है. यह किस्म हरी पत्तियों और दानों के लिए सही किस्म है. यह तना गाल नामक रोग की प्रतिरोधी किस्म है. यह प्रति हेक्टेयर 11.7 क्विंटल उपज देती है. यह किस्म राजस्थान में उगाने के लिए संस्तुति वर्ष 2016-17 में कर दी गई है.

जलवायु

धनिया के अंकुरण पौध की बढ़वार और पैदावार पर जलवायु का खासा असर पड़ता है इसलिए सही जलवायु में ही इसे उगाना चाहिए.

धनिया उष्ण कटिबंधीय और उप कटिबंधीय जलवायु का पौधा है. अंकुरण के समय हलकी गरमी और बीज पकते समय दोबारा गरम मौसम अच्छा रहता है.

बारिश का मौसम भी इस के लिए सही माना गया है. तापमान और सापेक्ष नमी का भी धनिया की उपज पर गहरा प्रभाव पड़ता है.

जमीन कैसी हो

वैसे तो धनिया को विभिन्न प्रकार की जमीन में उगाया जा सकता है. आमतौर पर सिंचित क्षेत्रों में इस की खेती तकरीबन सभी प्रकार की जमीनों में की जा सकती है, परंतु बारानी क्षेत्रों में काली या दूसरी तरह की जमीन में जिन की पानी सोखने की कूवत अच्छी हो, उगाने के लिए सही मानी गई है.

कुछ क्षेत्रों में लाल मटियार जमीन में भी इस की खेती की जाती है, पर यह ध्यान रहे कि जमीन में जीवांश सही मात्रा में हो और पानी सोखने की कूवत भी अच्छी होनी चाहिए.

खेत की तैयारी : पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें, उस के बाद 2 बार जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करें. जुताई के बाद पाटा जरूर लगाएं ताकि जमीन इकसार और भुरभुरी हो जाए. सिंचाई सुविधानुसार करें. क्यारियां और नालियां भी बनानी चाहिए.

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