हिसार: चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित घीया की संकर किस्म ‘एचबीजीएच हाईब्रिड-35’ किस्म ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत है, जिस से कि किसान न केवल इस किस्म की अच्छी पैदावार पा सकते हैं, अपितु अच्छी आमदनी प्राप्त कर अपनी माली हालत को मजबूत भी कर सकते हैं. इसी कड़ी में चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय और इंडियन फार्म फारेस्ट्री डवलपमैंट कोऔपरेटिव लिमिटेड (आईएफएफडीसी), हिसार के बीच एमओयू हुआ है.
कुलपति प्रो. बीआर कंबोज की उपस्थिति में विश्वविद्यालय के कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. एसके पाहुजा और इंडियन फार्म फारेस्ट्री डवलपमैंट कोऔपरेटिव लिमिटेड, दिल्ली के एमडी एसपी सिंह ने इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं. इस दौरान इंडियन फार्म फारेस्ट्री डवलपमेंट कोऔपरेटिव लिमिटेड, हिसार के डीजीएम मांगेराम भी मौजूद रहे.
इस अवसर पर इंडियन फार्म फौरेस्ट्री डवलपमैंट कोऔपरेटिव लिमिटेड, दिल्ली के एमडी एसपी सिंह ने कहा कि चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय किसानों से सीधेतौर से जुड़ कर उन के उत्थान में अग्रणी भूमिका निभा रहा है. विश्वविद्यालय द्वारा विकसित घीया की किस्म ‘एचबीजीएच हाईब्रिड-35’ के बीजों को खेत में बोने के बाद इस के फल पहली तुड़ाई के लिए तकरीबन 55 दिन बाद मंडी में आ जाती है. खास बात यह है कि इस किस्म के फलों का आकार बेलनाकर होने के कारण इसे काफी पसंद किया जाता है.
किस्म की खूबियां:
सब्जी विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा. एसके तेहलान ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित घीया की ‘एचबीजीएच हाईब्रिड-35’ की औसतन पैदावार बारिश एवं गरमी के मौसम में 300-310 क्विंटल प्रति हेक्टेयर आंकी गई है.
इस किस्म की घीया लंबाई में मध्यम, फलों का छिलका पतला एवं मुलायम होता है. साथ ही, इस के फल हलके हरे रंग में बेलनाकार आकार के होते हैं और इन्हें पकाने में भी कम समय लगता है. इसलिए किसान इस किस्म को उगाना अधिक पसंद करते हैं. घीया की एचबीजीएच हाईब्रिड-35 बरसात एवं गरमी की फसल दोनों में प्रमुख बीमारियों जैसे कि पत्ती का धब्बा रोग एवं एंथेक्नोज नामक बीमारी का प्रकोप भी कम मात्रा में होता है.
इस संकर किस्म में कीटों की शुरुआती अवस्था में लालड़ी नामक कीट का कम आक्रमण होता है, जिस को कीट विभाग द्वारा अनुमोदित कैमिकल से आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है.
सब्जी विज्ञान विभाग की वैज्ञानिक टीम द्वारा विकसित घीया की ‘एचबीजीएच हाईब्रिड-35’ को गरमी व बारिश के दिनों में उगाया जा सकता है. घीया की ‘एचबीजीएच हाईब्रिड-35’ पर बीते 3 सालों तक परीक्षण किए गए, जिन में बारिश के मौसम में इस किस्म की अधिकतम पैदावार 355 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और गरमी के मौसम में इस की पैदावार 260 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई.
इन्हीं मौसमों में इस किस्म के साथ उगाए गए चेक संकर किस्मों से इस किस्म की पैदावार लगभग 25 फीसदी अधिक आंकी गई.
इस अवसर पर विश्वविद्यालय की ओर से ओएसडी डा. अतुल ढींगड़ा, मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डा. मंजू महता, मीडिया एडवाइजर डा. संदीप आर्य, एसवीसी कपिल अरोड़ा, डा. धर्मबीर मौजूद रहे.