खेती को फायदे का सौदा बनाने के लिए अनेक सहयोगी काम हैं, जिन्हें अपना कर खेती को कहीं अधिक लाभकारी बनाया जा सकता है. इस में पशुपालन, मधुमक्खीपालन, वर्मी कंपोस्ट बनाना, फलसब्जियों की प्रोसैसिंग करना आदि अनेक काम हैं. इस तरह के कामों में से कोई भी काम किसान खेती के साथसाथ कर सकता है. इस तरह के कामों के लिए समयसमय पर अनेक कृषि संस्थानों आदि द्वारा फ्री में ट्रेनिंग भी दी जाती है, जो काफी कम समय की भी होती है. वहां से ट्रेनिंग ले कर आप अपने काम को आसानी से अंजाम दे कर खेती को कहीं अधिक लाभकारी बना सकते हैं.

सहायक कृषि गतिविधियां

– दूध उत्पादन के लिए पशुपालन.
– मांस के लिए बकरीपालन.
– मांस और ऊन के लिए भेड़पालन.
– मांस के लिए मुरगी और बतखबटेरपालन.
– अंडे के लिए मुरगीबतखपालन.
– मधुमक्खीपालन.
– मछलीपालन.
– मशरूम उत्पादन.
– वर्मी कंपोस्ट उत्पादन.
– जैविक खेती.
– सब्जी फसलों का उत्पादन.
– पुष्प फसलों का उत्पादन.
– फलफसलों का उत्पादन.
– औषधीय फसलों का उत्पादन.
– सुगंधित फसलों का उत्पादन.

ProcessingFlower

 

मूल्य संवर्धन के लिए कृषि एवं उद्यानिकी फसलों को निम्न फसल समूहों में बांटा जा सकता है:

1. अनाज: गेहूं, जौ एवं चावल (आटा, दलिया, पोहा).
2. मोटा अनाज: जई, मक्का, ज्वार, रागी, सावां, कोदो, कुटकी आदि (आटा, दलिया).
3. दलहन: चना, अरहर, मूंग, उड़द, मसूर, मोठ, चंवला, कुल्थ, राजमा आदि (दाल).
4. तिलहन: सोयाबीन, मूंगफली, सरसों, अलसी, तिल, रामतिल, कुसुम, सूरजमुखी, अरंडी, तारामीरा आदि (सोया मिल्क, तेल).
5. रेशेवाली: कपास, सन, जूट आदि.
6. शर्करा फसलें: गन्ना, चुकंदर, मीठी ज्वार आदि (गन्ने से गुड़).
7. फल: आम, केला, पपीता, चीकू, अमरूद, नीबू, संतरा, मोसम्मी, अंगूर, अनार, बेर, आवंला, जामुन, करोंदा, कटहल, किन्नू, सीताफल आदि (ग्रेडिंग, कोल्ड स्टोरेज, निर्यात, फूड प्रोसैसिंग).
8. सब्जी: टमाटर, बेंगन, भिंडी, मिर्ची, शिमला मिर्च, कद्दू, तुरई, गिलकी, चिरचिडा, लौकी, करेला, ककड़ी, खीरा, तरबूज, खरबूजा, टिंडा, ग्वार, लोबिया, सेम, फ्रेंच बीन, मटर, गाजर, चुकंदर, मूली, अरबी, आलू, शलजम, शकरकंद, सूरन, फूलगोभी, पत्तागोभी, गांठगोभी, प्याज आदि (ग्रेडिंग, फूड प्रोसैसिंग).
9. फूल: गुलाब, गेंदा, रजनीगंधा, ट्यूबरोज आदि.
10. मसाले: अदरक, हलदी, धनिया, मेथी, जीरा, अजवाइन, सुआ, सौंफ, एनीसीड, कलौंजी, राई, लहसुन आदि (ग्रेडिंग, पाउडर बना कर).
11. औषधीय: सफेद मूसली, अश्वगंधा, कालमेघ, सनाय, स्टीविया, एलोवेरा, कोलियस, तुलसी, मुलेठी आदि.
12. सुगंधित: तुलसी, मेंथा, लेमनग्रास, सिट्रोनेला, खस, रोजमेरी, पामरोसा, पचोली आदि (तेल निकाल कर).
13. अन्य: पान.

अपने उत्पादन को सीधे मंडी में बेचने की अपेक्षा उस में मूल्य संवर्धन की संभावना तलाश कर गांव के लैवल पर ही रोजगार बढ़ाए जा सकते हैं. मूल्य संवर्धन विधियां अपना कर किसान अपनी फसल का मूल्य संवर्धन कर सकते हैं या अपनी रुचि के अनुसार फसल बदल कर अपनी आय को बढ़ा सकते हैं. मूल्य संवर्धन गतिविधियों के लिए किसान समूह बना कर अधिक तरक्की कर सकते हैं.

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