धान की नर्सरी
* धान की नर्सरी डालने के लिए खेत की तैयारी करें. साथ ही, उन्नतशील किस्मों में नरेंद्र धान-359, नरेंद्र धान-2026, नरेंद्र धान-2064, नरेंद्र धान-2065, नरेंद्र धान-3112, सरजू-52, सीता आदि हैं और संकर किस्मों में एराइज-6444, प्रो. एग्रो-6201, पीएचबी-71, पायनियर-27 पी 31, 27 पी 37, 28 पी 67, आरआरएक्स-113, कावेरी-468, केआरएच-2, यूएस-312, आरएच-312, आरएच-1531 आदि हैं और सुगंधित धान की किस्म-टाइप-3, पूसा बासमती-1, मालवीय सुगंध-105, मालवीय सुगंध-3-4, नरेंद्र सुगंध एवं सीएलआर-10 आदि में से किसी एक किस्म के बीजों एवं खाद की व्यवस्था कर नर्सरी डालें.
* धान के बीजों की नर्सरी डालने के 15 दिन पूर्व खेत में हलकी सिंचाई करें, ताकि खेत में निकलने वाले खरपतवार खेत तैयार करते समय नष्ट हो जाएं.
अरहर
* अरहर की बोआई के लिए खेत को तैयार करें. बीज किसी प्रमाणित संस्था या कृषि विज्ञान केंद्र से ही खरीदें. किसानों को सलाह है कि वे बीजों को बोने से पहले अरहर के लिए उपयुक्त राईजोबियम और फास्फोरस में घुलनशील बैक्टीरिया से अवश्य उपचार कर लें.
अरहर की उन्नत किस्में
* पूसा-2001, पूसा-991, पूसा-992, पारस, मानक, यूपीएएस यानी उपास 120.
* खरीफ मक्का की बोआई के लिए खेतों की तैयारी करें, साथ ही उन्नतशील संस्तुति संकुल एवं संकर प्रजातियां-प्रकाश, वाई-1402, बायो-9681, प्रो.-316, डी-9144, दिकाल्ब-7074, पीएचबी-8144, दक्कन 115, एमएमएच-133 आदि में से किसी एक प्रजाति की बोआई के लिए खाद एवं बीज की व्यवस्था करें.
* मक्के की संकुल प्रजाति की बोआई के लिए 20-25 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर और संकर प्रजाति के लिए 18-20 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से बोआई करें.
फसल सुरक्षा
* मूंग की फसल में फली बेधक कीट का प्रकोप दिखाई देने की संभावना है. अत: इस की रोकथाम के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5 फीसदी एसजी 220 ग्राम प्रति हेक्टेयर या डाईमेथोएट 30 फीसदी ईसी 1 लिटर प्रति हेक्टेयर की दर से 600-700 लिटर पानी में घोल बना कर छिड़काव आसमान साफ होने पर करें.
* सब्जियों की फसलों में फल छेदक/पत्ती छेदक कीट की रोकथाम के लिए नीम औयल 1.5-2.0 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी में घोल बना कर 3-4 छिड़काव 8-10 दिन के अंतराल पर करें. सब्जियों की खड़ी फसलों में निराईगुड़ाई करें और सिंचाई का काम 8-10 दिन के अंतराल पर शाम के समय करें.
* फल मक्खी कीट की संख्या जानने और उस के नियंत्रण के लिए कार्बारिल 0.2 फीसदी+प्रोटीन हाईड्रोलाइसेट या सीरा 0.1 फीसदी अथवा मिथाइल यूजीनाल 0.1 फीसदी+मैलाथियान 0.1 फीसदी के घोल को डब्बे में डाल कर ट्रैप लगाएं.
पशुपालन में बरतें सावधानी
* पशुओं को दिन के समय छायादार जगह पर बांध कर रखें. पशुशाला में बोरे का परदा डाल कर रखें और उस पर पानी का छिड़काव कर ठंडा रखें.
* पशुओं को पीने के लिए पर्याप्त मात्रा में ताजा और शुद्ध पानी उपलब्ध कराएं. तेज धूप से काम कर के आए पशुओं को तुरंत पानी न पिलाएं. आधा घंटा सुस्ताने के बाद पानी दें. पशुओं को सुबह और शाम नहलाएं.
* पेट में कीड़ों से बचाव के लिए पशुओं को कृमिनाशक दवा दें. खुरपकामुंहपका रोग की रोकथाम के लिए एफएमडी वैक्सीन से और लंगडि़या बुखार की रोकथाम के लिए बीक्यू वैक्सीन से पशुओं का टीकाकरण अवश्य कराएं. पशुओं में गलघोंटू और फड़ सूजन की रोकथाम के लिए टीकाकरण कराएं. शाम के समय पशुओं के पास नीम की पत्तियों का धुआं करें, ताकि मच्छर व मक्खी भाग जाएं.
मुरगीपालन
* मुरगियों को भोजन में पूरक आहार दें. विटामिन व ऊर्जा खाद्य सामग्री इस में मिलाएं और साथ ही साथ कैल्शियम सामग्री भी मुरगियों को आहार में दें.
* पेट में कीड़ों की रोकथाम के लिए दवा दें. मुरगियों को गरमी से बचाव के लिए मुरगीघर में परदे, पंखे और वैंटिलेशन की व्यवस्था करें.
* मुरगियों को गरमी से बचाने के लिए मुरगीघर में लगे हुए जूट के परदों पर पानी के छींटे मारें, जिस से ठंडक बनी रहे.