रसोईघर से ले कर मार्केट में धमाल मचाने वाले सोनांचल के लाल टमाटर की धाक आज भी बनी हुई है. टमाटर (Tomato) की खेती से न केवल वहां के किसान मालामाल हो रहे हैं बल्कि अपने देश का लाल टमाटर विदेशों में भी अपनी छाप छोड़ रहा है.
एक समय वह भी था, जब उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में स्थित मीरजापुर और सोनभद्र जिले का नाम सुन कर लोगों के दिल कांप जाया करते थे. वजह, यहां के नक्सलियों की धमक के चलते लोग यहां आना तो दूर खेतीकिसानी तक से मुंह मोड़ कर अपना इलाका छोड़ने को मजबूर हो गए थे.
लेकिन बदलते समय के साथ यहां दूर देशों के कारोबारी आने लगे हैं, जिन्हें खींचने का काम किया है इन जिलों के उन किसानों ने, जो तमाम परेशानियों के बाद भी टमाटर की खेती को बढ़ावा देने में जुटे हुए हैं.
हर साल लाल टमाटर के दम पर पड़ोसी देश नेपाल, भूटान और बंगलादेश तक में अपनी पहचान बनाने वाले सोनभद्र और मीरजापुर के किसानों की मेहनत रंग ला रही है, जिस से दोनों जिलों को एक नई पहचान मिल रही है तो वहीं किसानों को वाजिब कीमत मिल रही है.
टमाटर की खेती वैसे तो रबी फसल है, लेकिन सोनभद्र और मीरजापुर में इस की खेती बरसात में भी की जाती है. यहां के किसान खरीफ सीजन में ही टमाटर के पौधों को रोप देते हैं. निराईगुड़ाई करतेकरते ठंड का मौसम आ जाता है, तब तक टमाटर के पौध में फूल और फल भी आने लगते हैं यानी अक्तूबर व नवंबर से टमाटर की तुड़ाई शुरू हो जाती है जो फरवरी तक चलती है.
लेटलतीफ खेती करने वाले किसानों के खेतों में टमाटर की तुड़ाई मार्च के पहले पखवारे तक भी होती है. देखा जाए तो इन 4-5 महीनों में किसान इतना पैसा कमा लेते हैं, जिस से उन्हें सालभर अपने खर्च के लिए सोचना नहीं पड़ता है.
टमाटर की बंपर पैदावार होने से यहां के किसान बाहर के देशों से भी कारोबारियों को बुलाते हैं, जिस से उन्हें सही कीमत मिल जाती है.
कुछ किसानों के पास खुद की गाड़ी है. वे तो अपने खेतों के टमाटर को गाजीपुर, वाराणसी की मंडियों में पहुंचा आते हैं, लेकिन जिन किसानों के पास यह सुविधा नहीं है, वे खेतों तक आने वाले कारोबारियों को टमाटर सौंप दिया करते हैं खासकर सोनभद्र और मीरजापुर जिले सहित पूर्वांचल के गाजीपुर जिले के टमाटर की पड़ोसी देश नेपाल, भूटान और बंगलादेश में काफी मांग है.
पूर्व में नक्सल प्रभावित सोनभद्र और मीरजापुर के लाल टमाटरों की धमक पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान तक हुआ करती थी, लेकिन अब पाकिस्तान के बजाय नेपाल और बंगलादेश में यहां के टमाटरों की खूब मांग है.
ऐसे करें खेत तैयार
टमाटर की खेती करने वाले किसानों को पहले से ही खेत तैयार करना होता है. इस के लिए किसान जुलाई से ही फसल के लिए तैयारी शुरू कर देते हैं. यहां का टमाटर बड़े कारोबारियों के जरीए देश से बाहर नेपाल, भूटान, बंगलादेश तक भेजा जाता है. ऐसे में टमाटर की खेती की तैयारी जुलाई से ही शुरू कर दी जाती है ताकि समय से फसल होने लगे.
लोगों को मिल रहा है रोजगार
टमाटर की विदेशों में भारी मांग है. कल तक ये किसान अपना घर छोड़ चुके थे. नक्सलियों के प्रति उन में डर बना हुआ था, लेकिन पिछले एक दशक से बदलाव की ऐसी बयार चली है कि न केवल यहां के लोगों की सोच बदली है, बल्कि टमाटर की खेती को कमाऊ खेती के रूप में लेते हुए यहां के किसानों ने इस में अपना भविष्य तराशा है, जिस के बेहतर नतीजे भी देखने को मिल रहे हैं.
मीरजापुर और सोनभद्र जिले में टमाटर की खेती और राष्ट्रीय स्तर पर कारोबार से यहां रोजगार के भी दरवाजे खुले हैं. सोनभद्र के करमा और मीरजापुर के राजगढ़ इलाके के किसानों की मानें तो टमाटर की खेती में निराईगुड़ाई से ले कर तुड़ाई तक में मजदूरों की जरूरत होती है. ऐसे में आसपास के गांवों के गरीबों और मेहनतकश लोगों को आसानी से काम मिल जाता है.
इन में औरतों को भी काम मिल जाता है जो घरपरिवार के कामों से खाली हो कर अपने गांव और पड़ोस में ही रह कर 2 पैसे आसानी से कमा लेती हैं. इस से उन के घर की गाड़ी आसानी से दौड़ पड़ती है. बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती करने वाले किसान तो मजदूर बुला कर ठेके पर टमाटर तुड़वाते हैं, तो वहीं कुछ कारोबारियों के साथ मिल कर ट्रांसपोर्ट का भी काम करते हैं.