नई दिल्ली: सरकार द्वारा कराए गए विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि देशी कपास की प्रजाति ‘गासिपियम आर्बोरियम‘ कपास की पत्ती मोड़ने वाले वायरस रोग से सुरक्षित है, तुलनात्मक रूप से चूसने वाले कीटों (सफेद मक्खी, थ्रिप्स और जैसिड्स) और बीमारियों ( बैक्टीरियल ब्लाइट और अल्टरनेरिया रोग) के प्रभाव को सहन कर सकती है, ग्रे यानी फफूंदी रोग के प्रति संवेदनशील है. देशी कपास की प्रजातियां नमी को भी सहन कर सकती हैं. यह जानकारी पिछले दिनों राज्यसभा में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चैधरी ने दी.
जारी की गई 77जी आर्बोरियम कपास किस्म
व्यावसायिक खेती के लिए जारी की गई 77जी आर्बोरियम कपास किस्मों में से, वसंतराव नाइक मराठवाड़ा के वैज्ञानिकों ने 4 लंबी रोएंदार किस्में विकसित की हैं, जो पीए 740, पीए 810, पीए 812 और पीए 837 हैं. कृषि विद्यापीठ (वीएनएमकेवी), परभणी (महाराष्ट्र) की स्टेपल लंबाई 28-31 मिलीमीटर है और बाकी 73 किस्मों की मुख्य लंबाई 16-28 मिलीमीटर तक है.
वसंतराव नाइक मराठवाड़ा, कृषि विद्यापीठ, परभणी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – आल इंडिया कौटन रिसर्च प्रोजैक्ट औन कौटन के परभणी केंद्र ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – सैंट्रल इंस्टीट्यूट फौर रिसर्च औन कौटन टैक्नोलौजी, नागपुर केंद्र में ऊपरी आधी औसत लंबाई, जिनिंग आउट टर्न, माइक्रोनेयर वैल्यू सहित कताई परीक्षणों के लिए देशी कपास की किस्मों का परीक्षण किया है. परीक्षणों में कताई की किस्मों को सफल घोषित किया गया है.
देशी कपास स्टेपल फाइबर की लंबाई बढ़ाने के लिए अनुसंधान प्रयास जारी है. वर्ष 2022-23 के दौरान इन किस्मों के 570 किलोग्राम बीजों का उत्पादन किया गया. अगले बोआई सत्र में बोआई के लिए किसानों के पास पर्याप्त मात्रा में बीज उपलब्ध है.