सब्जी पैदावार में भारत दुनिया का अव्वल देश है. यहां पर 12 महीने ही तरहतरह की सब्जियां उगाई जाती हैं. सब्जियां देश के तकरीबन सभी राज्यों में उगाई जाती हैं.

सब्जियों की ज्यादा पैदावार से हमें अपने भोजन में पोषक तत्त्व आसानी से मिल हो जाते हैं. एक तरफ ज्यादा पैदावार से जहां आम लोग भी आसानी से सब्जियां खरीद लेते हैं, वहीं ज्यादा पैदावार से कीमत भी काफी कम रहती है. किसान अब नई तकनीक अपना कर सब्जियों की खेती कर के अच्छा मुनाफा कमा लेते हैं.

ज्यादातर भारतीय किसान की दिक्कत यह है कि वे अभी तक परंपरागत तौरतरीकों से ही खेती कर रहे हैं. इसलिए उन्हें मेहनत के बराबर फायदा नहीं मिल पाता, लेकिन यदि किसान वैज्ञानिक तरीके से खेती करें तो उन्हें पहले से ज्यादा मुनाफा मिल सकता है, लेकिन इस के लिए किसानों को लीक से हट कर काम करना होगा. ऐसा करने से सब्जियों की पैदावार तो बढ़ेगी ही, साथ ही उन की फसल की कीमत भी कम हो जाएगी.

हम आप को ऐसा तरीका बता रहे हैं, जिसे अपना कर आप कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं.

यदि किसान जागरूक है तो वह सब्जियों की खेती से ज्यादा फायदा उठा सकते हैं. इस के लिए किसान जनवरी में राजमा, शिमला मिर्च, मूली, पालक, बैगन और कद्दू की खेती कर सकते हैं.

सब्जियों की बोआई के लिए खेत की अच्छी तरह जुताई करें, फिर गीली भुरभुरी मिट्टी की मेंड़ बना कर उस में 4 से 5 इंच की दूरी पर बीज डाल दें. उस के बाद मेंड़ को प्लास्टिक से ढक दें.

इतना करने के बाद कुछ ही दिन में जैसे ही बीज अंकुरित हों, पौधे की जगह पर प्लास्टिक में छेद कर के पौधे को बाहर निकाल दें. पौधे निकालने में किसानों को काफी सावधानी से काम लेना होगा वरना अंकुर टूटने से पौधे खराब हो जाएंगे.

इस तरीके से खेती करने में किसानों को ज्यादा मुनाफा होगा, क्योंकि इस में न तो ज्यादा पानी की जरूरत होती है और न ही ज्यादा लागत आती है.

परंपरागत खेती में जहां कीड़े लगने का खतरा रहता है, वहीं इस तरीके से खेती करने में कीड़े भी नहीं लगते और ज्यादा सिंचाई की भी जरूरत नहीं पड़ती, क्योंकि प्लास्टिक से ढके होने के चलते नमी बरकरार रहती है.

पानी में उर्वरक मिला कर मेंड़ों में डाल दिया जाए तो वह हर पौधे की जड़ में पहुंच जाता है. पौधे के ऊपर पानी टपका कर भी सिंचाई हो जाती है. प्लास्टिक से ढकने के कारण नीचे नमी भी रहती है.

यह नई तरकीब किसानों के लिए काफी कारगर साबित हो रही है. इस के जरीए मेंड़ों पर न तो घास पैदा होती है और न ही कीटपतंग फसल को बरबाद करते हैं.

इस के अलावा प्लास्टिक बिछाने से एक फायदा यह भी होता है कि घास प्लास्टिक के नीचे ही रहती है और पेड़ों तक नहीं पहुंच पाती. पौधों को बीमारी व कीटों से बचाने के लिए आर्गेनिक दवा का छिड़काव काफी आसानी से किया जा सकता है और दवा भी काफी कम मात्रा में लगती है.

यदि किसानों को खेती से ज्यादा से ज्यादा मुनाफा लेना हो तो वे समयसमय पर नईनई तकनीक अपना कर अपनी पैदावार बढ़ा सकते हैं.

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