बासमती ऐक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन (बीईडीएफ), मोदीपुरम के प्रधान वैज्ञानिक डा. रितेश शर्मा ने बताया कि रसायनों के अंधाधुंध उपयोग के कारण बासमती फसल के स्वाद और गुणवत्ता की रक्षा के लिए 10 कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
30 जिलों में 10 कीटनाशकों पर प्रतिबंध
उत्तर प्रदेश से बासमती का निर्यात बढ़ाने के लिए सरकार ने बासमती का उत्पादन करने वाले प्रदेश के 30 जिलों में 10 रासायनिक कीटनाशकों की खरीदबिक्री से ले कर उस के प्रयोग तक पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है. पूर्व में एपीडा (कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) और उस के बाद प्रदेश के कृषि निर्यात विभाग की अनुशंसा के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है.
कृषि विभाग ने 12 सितंबर को बासमती उत्पादन वाले सभी चिन्हित 30 जिलों में सूचीबद्ध 10 रासायनिक कीटनाशकों को रोक के आदेश जारी कर दिए.
सरकार के इस कदम से विदेशों खासकर यूरोपीय मध्यपूर्व के देशों में उत्तर प्रदेश से बासमती का निर्यात बढ़ जाएगा. बासमती चावल के निर्यात लक्ष्य को पाने में सरकार के सामने सब से बड़ी बाधा प्रदेश के खेतों में अंधाधुंध रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग है, क्योंकि कई देशों ने यहां के बासमती को उस के उत्पादन में अत्यधिक कीटनाशकों के प्रयोग किए जाने के कारण लौटा दिया था. इस से न सिर्फ निर्यातकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था, बल्कि प्रदेश और देश की इमेज को भी धक्का लगा था. उत्तर प्रदेश को मांस के बाद बासमती चावल के निर्यात से ही सब से अधिक विदेशी पैसा हासिल होता है.
सब से पहले अमेरिका और ईरान ने बासमती लेने से किया था मना
इन कीटनाशकों पर लगी है रोक :
कार्बनडाजिम, क्लोरोपाइरीफास, ट्राईसाइक्लाजोल, एसीफेट, थाइमैथोक्साम, बुफ्रोफेजिन, इमिडाक्लोप्रिड, प्रोपिकोनाजोल, हैक्साकोनाजोल, प्रोफिनोफास के नाम शामिल हैं.
इन जिलों में लगी है रोक
एपीडा व कृषि निर्यात विभाग की संस्तुति पर सरकार ने बासमती धान का उत्पादन करने वाले जिन 30 प्रमुख जिलों में रासायनिक कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाया है, उन में आगरा, अलीगढ़, औरैय्या, बागपत, बरेली, बिजनौर, बदायूं, बुलंदशहर, एटा, कासगंज, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद, इटावा, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, हापुड़ आदि शामिल हैं. यह प्रतिबंध अगले 60 दिनों तक प्रभावी रहेगा.
उर्वरक और कीटनाशकों के उपयोग को कम करने पर ध्यान देने के बावजूद भी बासमती चावल अप्रैलसितंबर, 2019-20 में भारत से निर्यात में 9.6 फीसदी की गिरावट आई है.
किसान, जो वास्तविक निर्माता हैं. उचित बुनियादी ढांचे को क्रम में सुनिश्चित किया जाना चाहिए. खाद्यान्नों का भंडारण करना, ताकि किसानों को परिरक्षकों का उपयोग करने के लिए मजबूर न होना पड़े. किसान कई रोग और कीट प्रतिरोधी/सहनशील किस्मों का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए. अधिक लाभ कमाने के लिए बाजार में उपलब्ध है. नियामक संस्थाएं यह सुनिश्चित करेंगी कि उत्पाद अंतर्राष्ट्रीय मानकों का अनुपालन करते हैं, यह अनुपालन भारत करेगा, इस के जैविक विनियमन और ब्रांडिंग के लिए रणनीतियों का भी पता लगाएं. किसान कम में अधिक कमा सकें इनपुट. जैविक भोजन को देखते हुए ऐसी किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता.