भागलपुर: बिहार में श्रीअन्न उत्पादन की संभावनाएं बढ़ती नजर आ रही हैं. दक्षिणी बिहार में खरीफ फसल एवं उत्तरी बिहार में गरमा फसल के रूप में श्रीअन्न उत्पाद की अपार संभावनाएं हैं. अभी बिहार के विभिन्न जिलों में किसान वर्षात एवं गरमा दोनों सीजन में कुछ इलाकों में ज्वार, बाजरा, मंडुवा/रागी, साबो, कोदो एवं चेना की खेती कर रहे हैं. अधिक उत्पादन वाली प्रजातियों से मुनाफा भी अब किसानों को ज्यादा मिलने लगा है, जिस से असिंचित इलाकों में धान के बाजाय रागी उगाना अच्छा साबित हो रहा है.
बढ़ते उत्पादन को देख कर बिहार कृषि विश्वविद्यालय अब श्रीअन्न प्रसंस्करण संयंत्र यानी मिलेट्स प्रोसैसिंग प्लांट को लगा कर किसान के उत्पाद को चावल या आटा बना कर लाभ का एक सुनहरा मौका देने वाली है. साथ ही साथ श्रीअन्न के विभिन्न मूल्य संवर्धित उत्पाद बनाने की मशीन लगा कर किसानों को विभिन्न उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग दी जाएगी, जिस से किसान अपना खुद का बिजनेस बना सकते हैं.
इस बारे में बिहार कृषि विश्वविधालय में सेंटर का एक्सीलेंस फार मिलेट्स वैल्यू चेन परियोजना द्वारा एक मीटिंग आयोजित की गई, जिसे एक्रीसेट हैदराबाद से डा. कुमार आर्चायालू, डा. हषवर्धन, डा. प्रियंका एवं दिशावोस मौजूद थे. वहीँ नार्बाद भागलपुर से चंदन सिन्हा और बीएयू के डा. आरके सोहाने, निदेशक प्रसार शिक्षा, डा. एके सिंह, निदेशक अनुसंधान, डा. आरपी शर्मा अधिष्ठाता डा. मो. फिजा अहमद निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र, डा. महेश कुमार सिंह, मुख्य अन्वेशक, डा. विरेंद्र सिंह, डा. अमरेंद्र कुमार, डा. राजेश कुमार, प्रधान केवीके, सबौर आदि के साथ 2 किसान उत्पाद संगठन के 25 किसान एवं जीविका की 12 दीदी भी प्रशिक्षण द्वारा लाभान्वित हुई.
मीटिंग का मुख्य उदेश्य किसान उत्पादक संगठनों एवं जीविका और आंगनबाड़ी के माध्यम से श्रीन्न के उत्पादन को बढ़ावा देने एवं मूल्यवर्धित उत्पादों को बढ़ावा देना और ब्रांडिंग करना है. जिस से किसानों को श्रीअन्न द्वारा अधिक लाभ दिलाया जा सके.