दतिया : दतिया जिले की बसई ग्राम की निवासी भगवती अहिरवार के पति सुनील अहिरवार मजदूरी करते हुए परिवार का पालनपोषण कर रहे थे, जबकि भगवती घर पर ही रह कर सिलाई का काम करती थी. उन की आय कम होने के कारण परिवार की छोटीछोटी जरूरतें भी पूरी नहीं हो पा रही थीं. उन्हें आय का कोई रास्ता भी नजर नहीं आ रहा था. एक दिन उन्हें स्वसहायता समूह के बारे में जानकारी मिली और उन्होंने आजीविका मिशन से संपर्क किया और समूह से जुड़ने के लाभ की जानकारी प्राप्त की.

जानकारी मिलने पर पूरे उत्साह से समूह बनाया और धीरेधीरे समूह से अपने क्षेत्र की महिलाओं को जोड़ना प्रारंभ किया और देखते ही देखते आज भगवती स्वसहायता समूह की अध्यक्ष बन गईं. उन्होंने समूह में छोटीछोटी बचत करते हुए समूह को सशक्त करने के प्रयास प्रारंभ किए.

स्वसहायता समूह से जुड़ कर भगवती को शासकीय योजनाओं की जानकारी भी मिलने लगी पर अभी भी उन की समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा था. इसी दौरान ‘नमो ड्रोन’ योजना की जानकारी प्राप्त कर उन्होंने उस की ट्रेनिंग ली और खुद का एक ड्रोन खरीदा. उस ड्रोन से धीरेधीरे खेतों में खड़ी फसलों में स्प्रे करना प्रारंभ किया. जब किसानों ने देखा कि एक एकड़ में इसी काम को करने के लिए साढ़े 3 घंटे लेते हैं और वही ड्रोन एक एकड़ में 7 मिनट में स्प्रे कर देता है. इस से भगवती के ड्रोन की मांग स्प्रे करने के लिए और बढ़ने लगी और उन की आर्थिक स्थिति में भी बदलाव आने लगा.

भगवती सौ एकड़ से भी ज्यादा खेतों में लगी फसलों पर ड्रोन से स्प्रे कर चुकी हैं. आज वे  ‘ड्रोन दीदी’ के नाम से जानी जाती हैं. ‘ड्रोन दीदी’ भगवती प्रति एकड़ खेत में स्प्रे करने के लिए 350 रुपए लेती हैं. ड्रोन पायलट के रूप में सफल होने के साथ ही भगवती यही नहीं रुकीं, उन्होंने अपने क्षेत्र में 1,000 महिलाओं को स्वसहायता समूह से जोड़ कर नए रोजगार के लिए गाइड भी किया.

आज वे किसान उत्पाद संगठन बना कर भी काम कर रही हैं. कलक्टर संदीप कुमार माकिन के निर्देशानुसार मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत दतिया कमलेश भार्गव खुद समूह के सदस्यों को प्रोत्साहित कर रहे हैं. आज कई महिलाएं समूह से जुड़ कर आत्मनिर्भर हो गई हैं.

समूह से जुड़ने के बाद से वे शासन की विभिन्न योजनाओं से जुड़ कर आर्थिक समृद्धि की ओर बढ़ रही हैं. वे ‘लखपति दीदी’ की श्रेणी में आ कर आत्मनिर्भर बनने के साथसाथ माली  रूप से सशक्त बन रही हैं. भगवती दीदी को परिवार के साथसाथ महिलाओं के समूह में एक नई पहचान भी मिल रही है.

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