भागलपुर: रेशम उद्योग को पुनर्जीवित करने के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर एवं इकोटसर सिल्क के साथ मिल कर काम करेंगे. इस के लिए कुलपति डा. डीआर सिंह, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर की अध्यक्षता में प्रथम बैठक हुई.

इस बैठक में निदेशक अनुसंधान डा. अनिल कुमार सिंह, इकोटसर सिल्क प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक प्रबंधक क्षितिष पांडया के साथ प्राचार्य, डा. कलाम कृषि महाविद्यालय, किशनगंज डा. के. सत्यनारायणा एवं वैज्ञानिकों ने भाग लिया, जिस में विस्तारपूर्वक टसर सिल्क से ग्रामीण महिलाओं के रोजगार सृजन एवं आर्थिक सुदृढीकरण पर बात हुई. इस से ग्रामीण परिवेश की महिलाएं रेशम के कच्चे पदार्थ जैसे कोकुन एवं धागों को तैयार कर, उस से कपड़े तैयार करना जैसे रोजगार पा सकेंगी. ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को अपनी माली स्थिति सुधारने में मदद मिलेगी. ग्रामीण महिलाओं को तकनीकी रूप से इस काम में निपुण किया जाएगा, जिस से कि गुणवत्तायुक्त कोकुन तैयार किया जा सके.

रेशम उद्योग (Silk Industry)

इस कार्यक्रम के तहत कृषि विज्ञान केंद्र, बांका में प्रत्यक्षीकरण कार्यक्रम किया जाएगा. कुलपति ने कहा कि हम आशा करते हैं कि यह कार्यक्रम हमारे भागलपुरी सिल्क के पुराने गौरव को लौटाने में भी सहायक होगा. रेशम उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सबएग्रीस तीन स्कीम के तहत 4 से 25 लाख रुपए तक की अनुदान रेशम उद्यमियों को सहायता प्रदान की जाएगी. इस बैठक में ग्रामीण महिलाओं के रोजगार सृजन करने में अहम भूमिका निभाने की बात कही गई.

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