सुरक्षित अनाज भंडारण से होने वाले लाभ को देखते हुए इन का सुरक्षित भंडारण जरूरी है, जो आप इस तरह से कर सकते हैं.

अनाज में लगने वाले 4 मुख्य कीट हैं, चावल का घुन, गेहूं का खपरा, दालों का भृंग, आटे की सूंड़ी. इन कीटों से प्रभावित होने वाले अनाज इस प्रकार हैं :

चावल का घुन : चावल, गेहूं, मक्का, जौ, ज्वार आदि.

गेहूं का खपरा : गेहूं, चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का आदि.

दालों का भृंग : मूंग, उड़द, चना, मटर, मोठ, चंवला आदि.

आटे की सूंड़ी : गेहूं, मक्का, चावल, जौ, ज्वार, आटा, सूजी, मैदा आदि.

ऐसे करें अनाजों का सुरक्षित भंडारण

अनाज की सफाई : अनाज की कटाई के साथ ही उस के सुरक्षित भंडारण की तैयारी शुरू हो जाती है, बाजरा, गेहूं, मक्का, ज्वार इत्यादि के सिट्टे व बालियां, जिस बोरे में भर कर रखने हों, उस बोरे को पहले से ही एक फीसदी मैलाथियान के घोल में 10 मिनट तक भिगो कर अच्छी तरह सुखाएं.

तेज धूप में 5 से 6 घंटे सुखाने पर कीड़ों का प्रकोप बहुत कम हो जाता है. काटे हुए अनाज को सीधे जमीन पर न रखें. इस से कीड़े और नमी दोनों से अनाज प्रभावित होगा.

अनाज लाने वाली गाड़ी, ट्रैक्टरट्रौली को अनाज रखने से पहले धो कर सुखा लेना चाहिए.

अनाज खेत से ला कर घर में कड़ी धूप में सुखाना चाहिए. सुखाते समय प्लास्टिक की शीट यानी मोमजामा काम में लें, जो कि अच्छी तरह से कीटनाशक से उपचारित होना चाहिए.

भंडारण से पहले अनाज को साफ करें. उस में से भूसी, कटाफटा अनाज, संक्रमित अनाज, कंकर आदि निकाल दें. अनाज को तकरीबन 15 से 20 दिन तक सुखाना जरूरी है.

सूखने की पहचान होती है कि अगर दाने को दांत के बीच में रख कर काटा जाए, तो कट की आवाज आए.

सूखे हुए अनाज को शाम के समय कोठरी में न भरें. सूखे अनाज को पूरी रात खुली हवा में ठंडा होने दें और सुबह उसे कोठरी में भरें. इस तरह सूखे अनाज में 3 से 4 फीसदी तक नमी रह जाती है.

कोठरी या भंडारगृह की सफाई : भंडारगृह में छत, फर्श, खिड़कियां और दरवाजे प्रमुख होते हैं. सुरक्षित अनाज भंडारण के लिए फर्श में कहीं पर भी दरारें हों, तो उन्हें सीमेंट से भर देना चाहिए. जहां पर फर्श व दीवारें मिलते हैं, उस जगह पर भी अच्छी तरह भराई करनी चाहिए. दीवारें यदि सीमेंट की हों, तो उत्तम होगा.

दीवारों में दरारें, पपड़ी आदि नहीं होनी चाहिए. भंडारण के 10 दिन पहले कमरे में 0.5 फीसदी मैलाथियान का घोल बना कर 3 लिटर प्रति वर्गमीटर के हिसाब से गोदाम में छिड़काव करना चाहिए.

उस के बाद गोदाम को अच्छी तरह सूखने देना चाहिए. सुरक्षित अनाज भंडारण के लिए दरवाजों के नीचे की तरफ लोहे या एल्यूमिनियम की पत्तियां लगा देनी चाहिए, ताकि चूहों से बचाव हो सके.

जहां तक मुमकिन हो, एक पल्ले का दरवाजा रखें. खिड़कियां बाहर की तरफ खुलने वाली हों और ऊंचाई पर हों. खिड़कियों पर महीन जाली होनी चाहिए.

बोरों की सफाई : अनाज को जूट के बोरों या कट्टों में भी जमा कर सकते हैं. जहां तक मुमकिन हो, नए बोरों का इस्तेमाल करें. अगर बोरे पुराने हैं, तो उन्हें 1 फीसदी मैलाथियान के घोल में आधे घंटे तक भिगोएं और कड़ी धूप में 2 से 3 दिन तक उलटपलट कर सुखा लें. यह काम गरमी के मौसम में कर लें, तो अच्छा रहेगा. अगर बोरे कहीं से फटे हैं, तो उन्हें सिल लें. अनाज भरने के बाद बोरे का मुंह अच्छी तरह सिल दें.

चूहों पर नियंत्रण

सुरक्षित भंडारण के लिए चूहों पर नियंत्रण पूरे घर और आसपास के क्षेत्र में मई से जून महीने में करना चाहिए. इस समय खेत में अन्य कोई खाद्य नहीं होता है, इसलिए चूहा विष आहार आसानी से खा लेता है.

चूहों को नियंत्रित करने के लिए 2 से 3 फीसदी जिंक फास्फाइड सही माना गया है. विष आहार देने से पहले 2 से 3 दिन तक बिना जहर वाला चुग्गा चूहों को देना चाहिए, ताकि चूहों की नई चीज स्वीकार करने की शंकालु आदत कम की जा सके.

विष आहार बनाने के लिए बाजरा या किसी दूसरे अनाज में हलका सा मूंगफली का तेल लगा लें. इस के बाद एक किलोग्राम बाजरे में 20 से 30 ग्राम जिंक फास्फाइड पाउडर डाल कर एक लकड़ी से अच्छी तरह मिला लें.

आहार बनाते समय बच्चों को दूर रखें और बनाने वाला आदमी अपना मुंह रूमाल से बांध ले. अब इस आहार को खेत में उन बिलों में डालें, जहां चूहों की आवाजाही हो. इस से कुछ दिनों मे चूहे नियंत्रित हो जाते हैं. सुरक्षित भंडारण के लिए इन्हीं दानों को भंडारघरों में दीवार के किनारेकिनारे डाल दें. अगले दिन सुबह बचे हुए अनाज के दानों को अच्छी तरह इकट्ठा कर के नष्ट कर दें.

आवासीय जगहों के लिए एंटीकोएगुलेंट कृंतक नियंत्रण दवाएं, जो कम जहरीली हैं, जैसे ब्रोमोडायोलोन का इस्तेमाल किया जाता है. यह काम किसी माहिर की मदद से करना चाहिए.

कीटों पर नियंत्रण

सुरक्षित अनाज भंडारण के लिए कीटों पर नियंत्रण 2 लैवल पर किया जाता है, बचाव के लिए और कीटों का प्रकोप होने के बाद. बचाव कीट नियंत्रण की अहम जरूरत है, जैसे :

* ईडीबी एम्प्यूल 30 मिलीलिटर प्रति मीट्रिक टन अनाज के लिए.

* सल्फास (एल्यूमीनियम फास्फाइड) की 3 ग्राम की एक गोली प्रति मीट्रिक टन अनाज के लिए डालें या 7 गोली 2 ग्राम प्रति 22 घनमीटर स्थान की दर से कमरे को धुआं करने के लिए डालें.

* कीटों का हमला होने पर 3 मिलीलिटर की 1 ईडीबी एम्प्यूल प्रति क्विंटल अनाज की दर से कोठरी में डालें. ईडीबी को कभी भी खुले में न डालें. यह जानलेवा हो सकता है.

Grain Storageभंडारण

सुरक्षित भंडारण के लिए अनाज से भरे बोरे फर्श पर सीधे न रखें. पहले कोई लकड़ी के फट्टे इस प्रकार रखें कि थोड़ी लकड़ी बाहर की तरफ निकली रहे.

बोरों को दीवार से एक से डेढ़ फुट दूर रखें. बोरों को एक ही दिशा में न रखें. एक के ऊपर एक रखने के लिए एक बोरा खड़ा रखें और दूसरा बोरा लेटा हुआ रखें यानी प्लस का निशान बनाते हुए एक के ऊपर दूसरा रखें. इस से बोरों के बीच में हवा आराम से जाएगी. ज्यादा ऊंची थडि़यां न लगाएं. छत से 2 फुट नीचे थडि़यां समाप्त कर दें.

यदि कोठी में अनाज भर रहे हैं, तो उपचारित कोठरी में अनाज भर कर ढक्कन बंद कर के वायुरोधक लेप मिट्टी या मोम का लगा दें.

जिस कमरे में अनाज रखा हो, उस में घरेलू सामान न रखें और न ही उठनाबैठना, सोना, खाना आदि करें.

इस तरह वैज्ञानिक विधि से सुरक्षित भंडारण करने पर अन्न सुरक्षा से उपज का पूरा फायदा मिलेगा. किसी भी तरह के विष का इस्तेमाल बहुत सावधानी से व माहिर की देखरेख में करना चाहिए या किया जाना चाहिए. विष के पैकेट पर लिखे निर्देशों का अच्छी तरह से पालन करें.

परंपरागत तकनीक

कुछ परंपरागत तकनीकी जानकारी भी सुरक्षित अनाज भंडारण में बहुत उपयोगी है. जैसे, अनाज व दालों में कड़वा तेल लगाना, राख मिलाना, नीम व करंज के पत्ते कोठरी में बिछाना आदि.

अनुसंधानों द्वारा यह भी पाया गया है कि परंपरागत तरीके से अनाज व दालों में 10 से 20 फीसदी तक राख मिलाने से वो खराब नहीं होते. पर जरूरी है कि राख को छान व सुखा कर ही डाला जाए. राख की रगड़ खा कर कीड़े मर जाते हैं और दानों के बीच की जगह, जहां हवा हो सकती है, वहां राख आ जाने से हवा नहीं रहती. इस तरह राख मिलाना फायदेमंद होता है.

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