रसगुल्ला का नाम आते ही हर किसी के मुंह में पानी भर आता है. भारत का ऐसा कोई शहर नहीं होगा, जहां पर रसगुल्ला न बिकता हो. यह भारत में सब से ज्यादा बिकने वाली मिठाइयों में शामिल है.

दूध से बनने वाली ज्यादातर मिठाइयां जहां कम दिनों में ही खराब होने लगती हैं, वहीं छेना रसगुल्ला देर तक चलता है. अगर सही तरह से इसे डब्बे में बंद किया जाए तो यह कई महीने तक रखा जा सकता है. यही वजह है कि डब्बाबंद मिठाइयों में सब से ज्यादा रसगुल्लों का ही बिजनेस होता है.

रसगुल्ला बंगाली मिठाई है, जो छेने से तैयार होती है. अच्छे रसगुल्ले एकदम मुलायम होते हैं. रसगुल्ले सफेद और हलके पीले रंग के बनाए जाते हैं. इन का आकार भी अलगअलग हो सकता है. छोटे आकार वाले रसगुल्ले ज्यादा पसंद किए जाते हैं. यह भले ही बंगाली मिठाई हो, पर इसे पूरे देश के लोग स्वाद ले कर खाते हैं.

रसगुल्ले के कारोबार में हुनर का खास योगदान होता है. जो कारीगर इसे सही तरह से बनाते हैं, उन की दुकानों में खरीदारों की भीड़ लगी रहती है. रसगुल्ले 350 रुपए से ले कर  500 रुपए प्रति किलोग्राम तक की कीमत में बिकते हैं.

कैसे तैयार करें रसगुल्ला

रसगुल्ला बनाने के लिए 150 ग्राम  छेना लें. इस के बाद एक साफ बरतन में 2 कप पानी में छेना डाल कर करीब 10 मिनट तक उबालें. इस के बाद पानी को ठंडा होने दें. अब छेना बाहर निकाल लें और दोनों हाथों में ले कर मलें. छेना तब तक मलें, जब तक यह पूरी तरह चिकना न हो जाए. छेना जितना चिकना होगा, रसगुल्ले उतने ही मुलायम बनेंगे.

इस छेने से 10 छोटे आकार के गोल रसगुल्ले तैयार करें. ध्यान रखें कि रसगुल्ले एक ही साइज के हों. चाशनी तैयार करने के लिए 2 कप चीनी में 4 कप पानी मिलाएं. इसे गरम करते हुए उबालें. जब यह मिश्रण थोड़ा गाढ़ा हो जाए तो उसे उंगली में लगा कर देखें. जब उस में तार बनने लगें तो उसे आंच से उतार लें. इस में 2 छोटे चम्मच गुलाबजल और इलायची पाउडर खुशबू के लिए डालें. तैयार चाशनी में रसगुल्ले डाल कर उन्हें 20 मिनट तक उबालें. हर 5 मिनट उबालने के बाद उस में थोड़ाथोड़ा पानी डालते रहें, ताकि रसगुल्ले जलने न पाएं.

तैयार रसगुल्लों को कुछ देर ठंडा होने के लिए रख दें. हलके व मुलायम रसगुल्ले चाशनी में ऊपर तक आ जाते हैं. जो रसगुल्ले अच्छे नहीं होते वे नीचे बैठ जाते हैं. छेना बनाने वाले कारीगर राजेश पाल कहते हैं, ‘छेने की मिठाइयों में रसगुल्ला सब से खास होता है. छेना अगर सही नहीं बनता तो रसगुल्ला भी सही नहीं बनता है. छेना बनाने के लिए दूध को फाड़ना पड़ता है. अगर घर पर छेने के रसगुल्ले बनाने हों, तो छेना बाजार से खरीदा जा सकता है.’

लखनऊ की रहने वाली रुचि खान कहती हैं, ‘आई लव रसगुल्ला, मुझे रसगुल्ले खाने में बहुत अच्छे लगते हैं. ताजेमुलायम रसगुल्ले खाने का मजा निराला होता है.’डेरी किसान

उठा सकते हैं लाभ

जो किसान डेरी का काम करते हैं, वे रसगुल्ले के कारोबार से जुड़ सकते हैं. वे अच्छे किस्म के दूध से छेना तैयार कर के बाजार में रसगुल्ले का कारोबार करने वाले दुकानदारों

को बेच सकते हैं. किसान चाहें तो रसगुल्ले तैयार कर के खुद बेच सकते हैं. इस से उन का मुनाफा कई गुना बढ़ सकता है.

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