Cold Room | फलों और सब्जियों में पानी की मात्रा अधिक यानी 70-90 फीसदी होने के कारण तोड़ाई के बाद वे जल्दी खराब होने लगते हैं, जिस से तकरीबन कुल उत्पादन का 20-25 फीसदी भाग इस्तेमाल से पहले बेकार हो जाता है. यदि इन फलसब्जियों को खेत से तोड़ाई के बाद ठंडी जगहों पर स्टोर किया जाए, तो इन में होने वाली जैविक क्रियाएं मंद पड़ जाएंगी और ये काफी समय तक खाने लायक बने रहेंगे.
फलों व सब्जियों को खेत पर सुरक्षित रखने के लिए किसानों के पास मौजूद ईंटों, रेती, बांस, खसखस की टाटी और प्लास्टिक की चादरों से भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित शून्य ऊर्जा शीतलन कक्ष का निर्माण कर के यह काम आसानी से किया जा सकता है.
फलों और सब्जियों पर ज्यादा तापमान का प्रभाव :
* अधिक तापमान के कारण फलों व सब्जियों की सतह से पानी भाप के रूप में निकल जाता है, जिस से उन की ताजगी खत्म हो जाती है और वजन में कमी आ जाती है.
* फलों व सब्जियों में पानी की मात्रा अधिक होने के कारण सूक्ष्म जीवों के प्रभाव से उन में सड़न पैदा हो जाती है.
* बाहरी वातावरण के प्रभाव से फलों व सब्जियों की गुणवत्ता में कमी, ताजगी व ग्राहक आकर्षण में गिरावट आ जाती है और कच्चे तोडे़ गए फलों में स्वाद व रंग का विकास नहीं हो पाता है.
शून्य ऊर्जा शीतलन कक्ष की उपयोगिता : शून्य ऊर्जा शीतलन कक्ष को ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के घरेलू उपयोग से ले कर फार्म उत्पादों को स्टोर करने और सब्जी व फल बेचने वालों के यहां बची सब्जियों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के काम में लिया जा सकता है.
घरेलू इस्तेमाल के लिए : अमूमन ऊर्जा शीतलन कक्ष का तापमान गरमी में बाहरी वातावरण से 6-8 डिगरी सेल्सियस तक कम रहता है, इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां घरेलू खाद्य सामग्री को रखने के लिए रेफ्रिजरेटर की सुविधा नहीं है, वहां परिवार की खाद्य सामग्री जैसे दही, दूध, छाछ, सब्जियां व फल शीतलन कक्ष में रखे जा सकते हैं, जिस से इन उत्पादों को अधिक समय तक खाने योग्य रखा जा सकता है.
फार्म के इस्तेमाल के लिए : ऐसे छोटे किसान जिन का दैनिक सब्जी व फल उत्पादन काफी कम होता है, वे अपने उत्पादों को मंडी तक ले जाने के खर्च से बचने के लिए ग्रामीण बाजार में औनेपौने दामों पर बेच देते हैं. इस प्रकार के किसान रोजाना फलों और सब्जियों को तोड़ कर शीतलन कक्ष में भंडारित कर के 3-4 दिनों में 1 बार बाजार जा कर उन सब्जियों व फलों को बेच कर अधिक लाभ कमा सकते हैं.
फुटकर व्यापारियों के लिए : फुटकर दुकानदार दिनभर अपनी सब्जियों व फलों को बेचते हैं. अधिक तापमान के कारण सब्जियां व फल शाम तक काफी खराब हाने लगते हैं. अगर शाम को बचे हुए फलों व सब्जियों को ऊर्जा शीतलन कक्ष में भंडारित कर के रखा जाए तो अगले दिन वे बाहर रखे उत्पादों से काफी अच्छी अवस्था में बने रहते हैं, जिस से दुकानदार को अच्छा बाजार भाव मिलता है.
एक ही जगह दुकान व टोकरा लगा कर बेचने वाले फल व सब्जी विक्रेता को तो केवल नमूने के तौर पर फलों व सब्जियों को बाहर रखना चाहिए. अतिरिक्त उत्पाद को शीतलन कक्ष में रखने से काफी लाभ होता है, इस से फल व सब्जियां लंबे समय तक बिलकुल खराब नही होते हैं.
ऊर्जा शीतलन कक्ष का निर्माण : फल व सब्जी को सुरक्षित रखने के लिए शून्य ऊर्जा सेंटीमीटर शीतलन कक्ष का निर्माण हवादार और छायादार खुले स्थान पर करना चाहिए. ईंटों को जमा कर 165 सेंटीमीटर×115 सेंटीमीटर आकार के एक आयाताकार चबूतरे का निर्माण करना चाहिए, ईंटों के मध्य स्थान में बालूरेत भर देनी चाहिए और दोनों दीवारों के मध्य 7-8 सेंटीमीटर तक का स्थान जरूर रखना चाहिए, जिस में बाद में नदी की रेत भरी जाती है.
दोहरी दीवार की ऊंचाई 60 से 65 सेंटीमीटर तक रखनी चाहिए, ताकि किसी भी सामग्री को आसानी से रखा व निकाला जा सके. आवश्यकतानुसार इस की लंबाई में कुछ बदलाव तो किया जा सकता है, पर चौड़ाई उतनी ही रखनी चाहिए, जिस से ठंडक भी ठीक बनी रहे और फलों व सब्जियों की टोकरियों को निकालने व रखने में आसानी रहे.
ईंटों की दीवार बनाने के लिए चिकने गारे या हलकी सीमेंटबजरी के मिश्रण का इस्तेमाल करना चाहिए. मध्य के खाली स्थान में नदी की रेत कंकरीट के साथ भरनी चाहिए. ऊपर का ढक्कन बांस, बोरी, घास जवसा व खसखस से बनी टाटी का होना चाहिए. इस ढक्कन की लंबाई और चौड़ाई पूरे भंडारण कक्ष से थोड़ी ज्यादा होनी चाहिए.
लगातार पानी की पूर्ति के लिए 15-20 लीटर की कूवत के मटके, जिस पर नल लगा हो, को 3 लकडि़यों के सहारे से जमीन से 6-7 फुट की ऊंचाई पर लगाना चाहिए. नल को एक पाइप द्वारा ईंटों के मध्य भाग से जोड़ना चाहिए और पाइप पर 15-15 सेंटीमीटर की दूरी पर बारीक छेद कर देने चाहिए, जिस से जल का रिसाव बूंदबूंद कर होता रहे. अधिक गरमी के दिनों में दिन में 2-3 बार रेत व ढक्कन को तर करना होता है.
फल व सब्जी का भंडारण : फलों और सब्जियों को 10-15 किलोग्राम कूवत की अलगअलग बांस की टोकरियों में भर कर रखना चाहिए. हर टोकरी को गीली टाट से ढकना चाहिए. टोकरियों की संख्या अधिक हो तो लकड़ी की तिपाइयों का इस्तेमाल करना चाहिए. उस के बाद कक्ष के ढक्कन को अच्छी तरह से तर कर के ढक देना चाहिए. ढक्कन को दिन में 3 से 4 बार अच्छी तरह से गीला करना चाहिए. जहां तक संभव हो ढक्कन को बारबार नहीं खोलना चाहिए.
शीतलन का सिद्धांत : शीतलन कक्ष वाष्पीकरण के लिए आवश्यक गुप्त ऊष्मा के सिद्धांत पर आधारित है.
इस में जब गरम हवाएं शीतलन कक्ष की बाहरी सतह से टकराती हैं, तो सतह पर जमा नमी का वाष्पीकरण होता रहता है और वाष्पीकरण के लिए आवश्यक गुप्त ऊष्मा कक्ष के भीतरी भाग से पहुंचती है, जिस से अंदर का तापमान गरमी में बाहरी तापमान से 6-8 डिगरी सेल्सियस कम रहता है और आर्द्रता अंश तकरीबन 85-90 फीसदी तक रहता है, जो उष्ण व उपोष्ण फलों व सब्जियों के सुरक्षित भंडारण के लिए सहायक है.
सर्दी में जब तापमान कम हो जाता है, तो कक्ष का तापमान बाहरी तापमान से लगभग 4-6 डिगरी सेल्सियस तक ज्यादा रहता है. ऐसे में फलों और सब्जियों को भीषण सर्दी के प्रकोप से भी बचाया जा सकता है.
शून्य ऊर्जा शीतलन कक्ष में आमतौर पर गरमी में तापमान 26 डिगरी सेल्सियस से 38 डिगरी सेल्सियस के मध्य रहता है और आपेक्षिक आर्द्रता 70-90 फीसदी तक पाई जाती है. इन हालात में भी पत्तेदार सब्जियों जैसे पालक, धनिया, चौलाई व सलाद को 2-3 और दूसरे फलों व सब्जियों को 7-15 दिनों तक बिना गुणवत्ता हानि के सुरक्षित भंडारित रखा जा सकता है.
* अधिक नमी होने के कारण सब्जियों व फलों की बाहरी सतह से पानी का नुकसान नहीं होने से फलों व सब्जियों का भार व ताजगी बनी रहती है.
* कम तापमान व ज्यादा नमी के कारण सूक्ष्म जीवों की क्रियाविधि में कमी होने से फलों व सब्जियों में सड़न नहीं होती है.
* कम पके फलों को शीतलन कक्ष में रखने से उन के स्वाद और रंग का विकास भी अच्छा होता है.