पशुपालन से देश में काफी लोग जुड़े हैं और यह आमदनी का अच्छा जरीया भी बन रहा है. पशुपालन से दूध का कारोबार करने के साथ ही गोबर से खाद बनाई जाती रही है, लेकिन अब गोबर से गमले, ईंटें व दूसरी चीजें भी बनाई जा रही हैं, जो पशुपालकों की आमदनी तो बढ़ाती हैं, साथ ही साथ पर्यावरण के लिए यह अच्छा है.
गायभैंस जैसे पशुओं का चारा मुख्यत: पेड़पौधे ही होते हैं. गोबर उस चारे के न पचने वाले अवशेष हैं, जिन में कार्बनिक पदार्थ शामिल होते हैं.
हरियाणा गौवंश अनुसंधान केंद्र में गोबर में चिकनी मिट्टी, चूना पाउडर व अन्य चीजों को मिला कर गमले व ईंटें तैयार करने का काम हो रहा है.
गोबर का गमला
गोबर से बना गमला प्राकृतिक रूप से काफी उपयोगी है, जिसे मशीन से बनाया जाता है. इस गमले की खासीयत यह है कि इस में मिट्टी भर कर पौधे को लगा कर कहीं भी रख सकते हैं. चाहे तो पूरे गमले को पौधे सहित जमीन में भी दबा कर लगा सकते हैं. इस से गमले में लगे पौधे की अच्छी बढ़वार भी होगी.
गोबर से बना गमला एक प्राकृतिक उत्पाद है, जिस से इस गमले में लगे पौधे को गोबर के खाद का भी फायदा मिलता है.
गोबर से बने गमलों के इस्तेमाल से पौलीथिन के इस्तेमाल में भी कमी आ सकती है. जरूरी है लोगों में प्रकृति के प्रति जागरूकता लाने की.
गोबर से ईंटें बनाना
हरियाणा गौवंश अनुसंधान केंद्र का कहना है कि ऐसी ईंटें वजन में हलकी होती हैं और घर के अंदर के तापमान को नियंत्रित करती हैं. इन ईंटों में आग भी नहीं लगती.
इस अनुसंधान केंद्र ने ईंटों को वैज्ञानिक जांच व प्रमाणिकता के लिए एनएबीएल प्रयोगशाला में भेजा है. अगर सबकुछ ठीक रहा, तो यह अपनेआप में बेहतर विकल्प होगा.