देश को पोषक आहार उपलब्ध कराने, घरेलू और वैश्विक मांग पैदा करने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष (आईवाईएम) घोषित करने का संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव किया था. भारत के इस प्रस्ताव को 72 देशों का समर्थन मिला और संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने मार्च, 2021 में वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित कर दिया.

भारतीय मोटे अनाजों को वैश्विक बाजारों में पहुंचाने और अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के उद्देश्य को हासिल करने के लिए भारत सरकार ने सक्रिय हो कर अनेकानेक हितधारकों (केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, राज्यों व संघ शासित प्रदेशों, किसानों, स्टार्टअप, निर्यातकों, खुदरा कारोबारियों, होटलों, भारतीय राजदूतावासों आदि) को इस से जोड़ने के दृष्टिकोण के साथ काम किया.

अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 के दौरान पूरा फोकस उत्पादन और उत्पादकता, उपभोग, निर्यात, मूल्य श्रंखला को मजबूत बनाने, ब्रांडिंग, स्वास्थ्य लाभ जागरूकता बढ़ाने आदि पर रहा. भारत सरकार ने इसे जनअभियान बनाने के लिए अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया, ताकि भारतीय मोटे अनाजों, उन के व्यंजनों, मूल्यवर्धित उत्पादों को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा दिया जा सके.

भारत में जी20 अध्यक्षता, मिलेट पाककला उत्सव, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों, शेफ सम्मेलन, कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ), रोड शो, किसान मेलों, अर्धसैनिक बलों के लिए रसोइया प्रशिक्षण, दिल्ली और इंडोनेशिया में आसियान भारत मिलेट त्योहार आदि में श्रीअन्न (मिलेट) को बढ़ावा दिया गया.

अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष के तहत भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), के पूसा परिसर, नई दिल्ली में 18-19 मार्च, 2023 को एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम वैश्विक मिलेट (श्रीअन्न) सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिस का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था और मोटे अनाज पर आयोजित प्रदर्शन को 3 दिन और बढ़ाया गया.

भारत को ‘श्रीअन्न’ का प्रमुख वैश्विक केंद्र बनाने के लिए मिलेट के बेहतर तौरतरीकों, शोध और प्रौद्योगिकियों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर साझा करने के लिए भारतीय मिलेट अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर), हैदराबाद को वैश्विक उत्कृष्टता केंद्र घोषित किया गया.

भारतीय मिलेट अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद मोटे अनाज के मूल्यवर्धित खाद्य उत्पादों, दैनिक व्यंजनों आदि को ले कर किसानों, महिला किसानों, गृहणियों, छात्रों और युवा उद्यमियों को प्रशिक्षण और उन्हें अपने उद्यम स्थापित करने में सहायता भी दे रहा है.

संस्थान ने ’’ईट्राइट’’ टैग, संगठित जागरूकता कार्यक्रमों, कृषि व्यवसाय इन्क्यूबेटर, प्रौद्योगिकी व्यवसाय इन्क्यूबेटर आदि के तहत मोटे अनाज के खाद्य पदार्थ, उन की ब्रांडिंग के लिए ‘‘रेडी टू ईट’’ और ‘‘रेडी टू कुक’’ सहित मूल्यवर्धित प्रौद्योगिकी भी विकसित की है.

राजस्थान में बाड़मेर के निकट गुडामलानी में बाजरा के नए क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र का 27 सितंबर, 2023 को उद्घाटन किया गया. वैश्विक स्तर पर मिलेट को ले कर जागरूकता और अनुसंधान सहयोग मजबूत बनाने के लिए एक नई पहल जैसे कि, ‘मिलेट और अन्य प्राचीन अनाज अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान पहल (महारिषी)’ को भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान अपनाया गया.

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने मिलेट आधारित उत्पादों के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को 800 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ वर्ष 2022-23 से 2026-27 के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के पोषण अभियान के तहत भी मोटे अनाज को शामिल किया गया.

इस के अलावा खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस), एकीकृत बाल विकास सेवाओं (आईसीडीएस) और मध्याह्न भोजन के तहत मोटा अनाज खरीद बढ़ाने के लिए अपने दिशानिर्देशों में संशोधन किया.

भारत से मोटे अनाज का निर्यात संवर्धन, विपणन और विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मोटे अनाज को बढ़ावा देने को समर्पित एक निर्यात संवर्धन फोरम स्थापित की गई. ईट राइट (सही खानपान) अभियान के तहत स्वस्थ और विविध आहार के हिस्से के तौर पर भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) मिलेट उपयोग बढ़ाने को जागरूकता बढ़ा रहा है.

सरकारी कर्मचारियों में मोटा अनाज उपभोग प्रोत्साहित करने के लिए सभी सरकारी कार्यालयों को विभागीय प्रशिक्षणों, बैठकों में श्रीअन्न से तैयार जलपान और विभागीय कैंटीनों में श्रीअन्न आधारित खाने की चीजों को शामिल करने को कहा गया है.

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग 28 राज्यों और जम्मूकश्मीर और लद्दाख – दो संघ शासित प्रदेशों के सभी जिलों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) के तहत पोषक अनाजों (मिलेट) पर एक उपमिशन चला रहा है. एनएफएसएम कार्यक्रम के तहत ज्वार, बाजरा, रागी, मंडुआ, गौण मिलेट जैसे कि कंगनी, काकुन, चीना, कोदो, झंगोरा, सांवा, कुटकी और दो छद्म मिलेट कुट्टू और चैलाई जैसे पोषक अनाज शामिल हैं.

एनएफएसएम के तहत पोषक अनाजों के तहत राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के माध्यम से फसल उत्पादन और सुरक्षा प्रौद्योगिकियों, फसल प्रणाली आधारित प्रदर्शनों, नई जारी किस्मों व संकरों के प्रमाणित बीजों का उत्पादन और वितरण, एकीकृत पोषक तत्व और कीटनाशक प्रबंधन तकनीकों, बेहतर कृषि उपकरणों, औजारों, संसाधन संरक्षण मशीनरी, जल संरक्षण उपकरण, फसल मौसम के दौरान प्रशिक्षण से किसानों का क्षमता निर्माण, कार्यक्रमों, कार्यशालाओं का आयोजन, बीज मिनीकिट वितरण, प्रिंट और इलैक्ट्रोनिक मीडिया आदि के माध्यम से प्रचार के जरीए किसानों को प्रोत्साहन दिया जाता है.

इस के अलावा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के तहत भारत सरकार राज्यों को राज्य विशिष्ट जरूरतों, प्राथमिकताओं के लिए लचीलापन भी प्रदान करती है. राज्य आरकेवीवाई के तहत राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली राज्य स्तरीय मंजूरी समिति से मंजूरी ले कर मिलेट (श्रीअन्न) को बढ़ावा दे सकते हैं. साथ ही, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने मिलेट को बढ़ावा देने के लिए राज्य में मिलेट मिशन की शुरुआत की है.

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