बिहार के एक किसान के बेटे ने ऐसा ही एक काम शुरू किया, जिस से आज हजारों फलसब्जी उत्पादक उस से फायदा उठा रहे हैं. अकेले इनसान के लिए यह करिश्मा करना आसान नहीं था, लेकिन एक ग्रामीण नौजवान ने अपनी सूझबूझ से यह मुमकिन कर दिया.
मिसाल
बिहार के नालंदा जिले के मौहम्मदपुर गांव के एक किसान ने अपने बेटे कौशलेंद्र को एग्रीकल्चर से इंजीनियरिंग करवाई. उस ने आईआईएम, अहमदाबाद से टौप किया. उसे कई नामी कंपनियों से मोटे वेतन पर नौकरी के औफर आए, लेकिन उस ने उन्हें ठुकरा दिया. कौशलेंद्र जानता था कि किसानों को उन की उपज की वाजिब कीमत नहीं मिलती, जिस वजह से परेशान किसान गांव छोड़ कर शहरों का रुख कर रहे हैं. इसलिए उस ने ऐसे रोजगार का फैसला किया जो खेती से जुड़ा हो और उस से किसानों का भी भला हो.
किसी भी काम को शुरू करने के लिए सब से पहले पूंजी की जरूरत होती?है, लेकिन उस के पास निवेश के लिए ज्यादा पैसा नहीं था बल्कि सिर्फ एक नया विचार व सपना था. इसलिए उस ने कम पैसों में आसानी से शुरू होने वाला काम चुना. यह काम था आसपास के गांवों के छोटे किसानों और बागबानों से फल और सब्जियां खरीद कर उन्हें पटना शहर में बेचना.
इस काम में शुरुआत में कई दिक्कतें आईं. लोगों ने उसे बुराभला कहा और जलील किया कि इतना पढ़लिख कर तुम सब्जी बेचोगे. शुरू में तो ज्यादातर किसान कौशलेंद्र पर भरोसा करने व उसे अपनी उपज देने के लिए राजी नहीं थे, लेकिन इस नौजवान ने हिम्मत नहीं हारी. वह अपने रास्ते पर आगे बढ़ता रहा.
जीरो से हीरो
पहले दिन मात्र 22 रुपए की सब्जी बेचने वाले इस नौजवान की कंपनी का सालाना कारोबार अब करोड़ों रुपए में है. हालांकि सब्जी का काम काफी जोखिम वाला होता है, क्योंकि सब्जियां बहुत जल्दी खराब हो जाती हैं. उन्हें तरोताजा रखने के लिए काफी मुश्किल होती है. इसलिए किसान बिक्री के दौरान ही सब्जियां तोड़ते हैं, फिर उन्हें एक जगह पर इकट्ठा किया जाता है. यह सब काम तयशुदा तरीके से बिना देरी के होता है.
इस सब्जी चेन की कई खासियत हैं. मसलन, ग्राहकों की सहूलियत के लिए उन्हें प्रीपेड कार्ड मुहैया कराए गए हैं, जिन के जरीए सब्जी खरीदने के बाद वे चाहें तो नकदी की जगह आसानी से डिजीटल भुगतान भी कर सकते हैं. जल्दी ही इस काम को बढ़ा कर अब कौशलेंद्र बिहार के दूसरे इलाकों व राज्य से बाहर देशभर में फैलाना चाहता है.
एग्री बिजनेस से बेहतर बदलाव लाने के लिए कौशलेंद्र ने छोटे किसानों व उद्यमियों को खुशहाली से जोड़ा. इस के लिए उस का नाम देश के चुनिंदा उद्यमियों में गिना जाता है. राष्ट्रीय बागबानी मिशन ने सभी राज्य सरकारों को कौशलेंद्र का समृद्धि माडल अपनाने की सलाह दी है.
किसानों को सीख
यह तो सिर्फ एक नमूना है. यदि किसान चाहें तो अपनी सूझबूझ से अकेले ऐसा कोई भी कामधंधा कर सकते हैं. किसान छोटेबड़े उत्पादक संघ बना कर सरकार की मदद से खेती के सहयोगी कारोबार कर सकते हैं. अब फलसब्जी ताजा रखने के लिए कम कीमत वाले जीरो ऐनर्जी, पानी, वाष्प व सोलर ऐनर्जी आदि से चलने वाले कूल चैंबर्स की बहुत सी तकनीक मौजूद हैं. इस बारे में ज्यादा जानकारी भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, पूसा, नई दिल्ली से ली जा सकती है.
कूल चेन बनाने व कूल चैंबर खरीदने के लिए खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय व बागबानी मिशन अपनी स्कीमों के तहत किसानों व उद्यमियों की मदद करते हैं. इस की जानकारी संबंधित विभागों की वैबसाइट्स या जिले के बागबानी दफ्तर से ली जा सकती है.
मशीनें
फलसब्जियों को पकाने व देर तक तरोताजा रखने वाले कूल चैंबर अब देश में ही आसानी से मिल जाते हैं. इसलिए इन्हें खरीदते समय पूरी तसल्ली व जानकारी के बाद ही अच्छी साख वाली नामी कंपनी से खरीदें. इच्छुक किसान व उद्यमी मै. पीजी ओमेगा इंटरप्राइजेज, एसएस नगर, चेन्नई, तमिलनाडु, फोन : 08046034054 से जानकारी कर सकते हैं.
उपज की खरीदारी, ढुलाई, भंडारण व बिक्री तक का पूरा ढांचा खड़ा करने के लिए सब से बड़ी जरूरत पूंजी की होती है. किसान खुद आगे आ कर पहल करें. इच्छुक किसान कंपनी बनाने, बाजार तलाशने, पूंजी जुटाने व छूट आदि सरकारी सहूलियतें हासिल करने के लिए इस पते पर संपर्क कर सकते हैं:
प्रबंध निदेशक,
लघु कृषक कृषि व्यापार संघ,
एनसीयूआई आडिटोरियम भवन,
अगस्त क्रांति मार्ग, नई दिल्ली. फोन : 011-26966077, 26966037