ताजे फल और सब्जियां बहुत जल्दी ही खराब हो जाती हैं. वजह, ये जीवित पदार्थ होते हैं. फसल कटने के बाद भी ये सांस लेते रहते हैं और पकते रहते हैं. कम तापमान में भी आप का उत्पाद ज्यादा समय तक तरोताजा बना रहता है, जिस से फल या सब्जियां या कोई भी उत्पाद बरबाद होने से बच जाता है.
अब सवाल यह है कि इन चीजों को रखने के लिए कम तापमान कैसे मिले, इस के लिए कुछ उपाय?हैं. पहला उपाय यह कि अगर बड़े पैमाने पर हमें कुछ चीजें लंबे समय तक के लिए महफूज रखनी है तो कोल्ड स्टोरेज तलाशें. दूसरा, घरेलू स्तर पर या छोटे पैमाने पर अगर कुछ चीजें रखनी हैं तो फिर रेफ्रिजरेटर यानी फ्रिज की जरूरत पड़ती है.
छोटे किसानों या छोटे कारोबारियों को इन दोनों का मिलना मुश्किल होता है. ऐसे में वैज्ञानिकों ने एक नई देशी तकनीक ईजाद की है, जो इन दिनों काफी चलन में भी है. यह नई तकनीक है जीरो ऐनर्जी कूल चैंबर.
इस बाबत राजा दिनेश सिंह कृषि विज्ञान केंद्र, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश के माहिर उद्यान डाक्टर सुधाकर सिंह कहते हैं, ‘‘इस की खूबी यह?है कि यह वाष्पीकरण द्वारा ठंडा रहता है. इस से जीरो ऐनर्जी कूल चैंबर का तापमान बाहर के मुकाबले 10-15 डिगरी सैल्सियस कम रहता है और इस में आर्द्रता यानी नमी तकरीबन 90 फीसदी तक बनी रहती है. यह कम खर्चीला है. इसे पास में ही उपलब्ध सामान मसलन ईंट, बालू, डंठल और बोरे से बनाया जा सकता है.
कैसे बनेगा कूल चैंबर:
इस को बनाने के लिए हमें मोटेतौर पर कुल 8 चरणों का ध्यान रखना होगा जो इस तरह हैं:
* सब से पहले किसी जल स्रोत जैसे पोखर, तालाब, नदी वगैरह के निकट कोई थोड़ी ऊंची या उठी हुई जगह ढूंढ़नी है.
* इस के बाद ईंटों की मदद से उस पर फर्श बना लीजिए.
* फर्श के ऊपर 80 सैंटीमीटर की दोहरी दीवार बनाएं और दोनों के बीच 8.5 सैंटीमीटर की चौड़ी दरार छोड़ दीजिए.
* अब इस बने हुए कमरे को पानी से लबालब भर दें.
* नदी की तलहटी से निकाली गई रेत को पानी से सान लीजिए.
* इस गीली बालू को दोहरी दीवार के बीच छोड़ी गई दरार में भर दें.
* उस के ऊपर बांस, सिरकी, डंठल या सूखी घास का एक फ्रेमदार ढक्कन बना कर कमरे को ढक दें.
* अब सीधी धूप और बरसात से कमरे को सुरक्षित रखने के लिए कमरे के ऊपर एक छप्पर डाल कर छत बना लीजिए. और बस, आप का जीरो ऐनर्जी कूल चैंबर फलसब्जियां या खाने की दूसरी चीजों को भंडारित करने के लिए बिलकुल तैयार
कूल चैंबर के फायदे
* इस के लिए बिजली की कोई जरूरत नहीं है.
* इस कमरे का उपयोग मशरूम उत्पादन, रेशम कीट पालन और जैव उर्वरकों के भंडारण के लिए भी किया जा सकता है.
* इस की मदद से छोटे किसान भी अपने उत्पाद को ज्यादा समय तक महफूज रख कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
* इस को बनाने के लिए किसी विशेषज्ञ की जरूरत नहीं है.
चैंबर की कार्य प्रणाली
* बालू, ईंटें और ऊपर के ढक्कन को पानी से भिगोए रखिए.
* सुबहशाम रोज 2 बार तराई कर दें. बेहतर तरावट के लिए माइक्रोट्यूब्स, प्लास्टिक के पाइपों को मुख्य जलस्रोत से जोड़ कर एक ड्रिप बना सकते हैं.
* अपनी सब्जियों और फलों को छेददार प्लास्टिक क्रेटों में भंडारित करें. बांस, लकड़ी या फाइबर बोर्ड से बने बक्सों का इस्तेमाल कतई न करें. इन में नमी पा कर भंडारित चीजें जल्द ही खराब हो सकती हैं.
* कमरे में बनी क्रेटों को प्लास्टिक की पतली चादर से ढक देना चाहिए.
* 3 साल बाद कमरे को फिर से बनाएं. (ज्यादा समय बीतने पर ईंटों के छेद बंद हो जाते हैं, जिस से कमरे को ठंडा करने की क्षमता घट जाती है.)
ध्यान रखने वाली बातें
* इस की पूरी सफलता सालभर पानी मुहैया होने पर है.
* कमरे को ऐसी जगह बनाएं, जहां साफ हवा मिलती हो.
* अपने कमरे को ऐसी जगह बनाएं जो थोड़ी उठी हुई हो, जिस से वहां पानी जमा न हो सके.
* इस्तेमाल में लाई जाने वाली रेत साफ और जैविक पदार्थों जैसे मिट्टी वगैरह से रहित होनी चाहिए.
* इस्तेमाल में लाई गई ईंटें और रेत को पानी में भिगो कर रखें.
* भंडारित उत्पाद में पानी न जाने दें.
* कमरे को हमेशा साफसुथरा रखें.
* खाली कमरे में सिफारिश की गई कीटनाशक व फफूंदीनाशक ही इस्तेमाल करें.