हम आप को माइक्रोग्रींस उगाने के बारे में बताएंगे. इसे खेती किसानी वाले भी कर सकते हैं, और हमारे जैसे आम उपभोक्ता भी उगा सकते हैं. इस के लिए आप को किसी बड़े खेत पर जाने की भी जरूरत नहीं है. आप इसे अपने घर के छोटी सी जगह पर भी उगा सकते हैं और इसे उगाने में व्यस्त रह कर एंजोय कर सकते हैं.
उगाना आसान:
माइक्रोग्रींस को उगाना बड़ा ही आसान है क्योंकि इसे लगाने से ले कर काटने तक के लिए बहुत ही कम समय की जरूरत होती है, मात्र एक से दो सप्ताह तक का समय ही इसे लगाने से ले कर उगाने और काटने के लिए चाहिए.
कम दिनों में ही माइक्रोग्रींस की फसल तैयार हो जाती है इसलिए थोड़े दिनों के अंतराल पर इसे कई बार उगाया जा सकता है.
माइक्रोग्रींस को उगाने के लिए खास तौर से खेत की भी जरूरत नहीं पड़ती है. मसलन इसे आप के किचन में भी पूरे साल तक उगाया जा सकता है, लेकिन शर्त यही है कि आप के किचन में सूर्य की रोशनी यानी धूप आती रहनी चाहिए.
माइक्रोग्रींस : पौष्टिक और स्वादिष्ठ
आप दालों वाली फसलों यानी चना, मूंग, मसूर आदि के अंकुरित बीजों को जिन्हें स्प्राउट भी कहा जाता है, बहुत खोते होंगे, क्योंकि अंकुरित बीजों को बहुत पौष्टिक माना गया है लेकिन माइक्रोग्रींस इन की तुलना में जरा हट कर है. अंकुरित बीजों या स्प्राउट्स में जहां हम तना एवं बीज पत्रों को साथसाथ जड़ों को भी खा जाते हैं वहीं माइक्रोग्रींस में तने, पत्तियों और बीज पत्रों को तो हम खाने में उपयोग करते हैं, पर जड़ों को नहीं खाते.
केंद्रीय बागवानी एवं उपोष्ण संस्थान के निदेशक शैलेंद्र राजन के अनुसार आमतौर पर माइक्रोग्रींस को मिट्टी या उस से मिलतेजुलते चीजों पर उगाया जा सकता है. माइक्रोग्रींस के विकास के लिए सूर्य प्रकाश की जरूरत होती है. मूली और सरसों जैसी सामान्य सब्जियों के बीजों का उपयोग माइक्रोग्रींस के लिए किया जाता है.
हमारे घरों में मेथी, मटर, मसूर, मूंग और चने की दाल स्प्राउट्स की जगह माइक्रोग्रींस के रूप में उगा सकते हैं जो बहुत ही पौष्टिक और स्वादिष्ठ होंगे.
माइक्रोग्रींस उगाने के लिए आप अपने घर में उपलब्ध सामग्री का ही उपयोग कर सकते हैं. मसलन कोई भी डब्बा लें जिस में उसे 4 इंच तक मिट्टी की परत हो. अगर ट्रे हो तो बहुत अच्छा. मिट्टी की सतह पर बीज को फैला दें और उस के ऊपर फिर से मिट्टी की एक पतली परत फैला कर इसे हल्के हाथों से धीरेधीरे थपथपा कर यह निश्चिंत कर लें कि मिट्टी डब्बे या ट्रे में अच्छी तरह से बैठ गई है.
फिर मिट्टी के ऊपर बहुत सावधानी से धीरेधीरे पानी डाल देते हैं. इस से नमी बन जाएगी और दोतीन दिनों में बीज अंकुरित हो जाते हैं. फिर अंकुरित बीजों को ऐसी जगह रख दें जहां थोड़ी धूप आती हो. दिनभर में दो से तीन बार पानी का छिड़काव भी करते रहें. एक हफ्ते में ही माइक्रोग्रींस तैयार हो जाएंगे. आप इसे 2 से 3 इंच की ऊंचाई तक बढ़ने दे सकते हैं. इसे उगाना बहुत आसान है और अलगअलग व्यंजनों, पकवानों के साथसाथ सलाद और सैंडविच में भी आप इस का उपयोग कर सकते हैं. कैंची से इन की कटाई आप आराम से कर सकते हैं और डिब्बों या अन्य ट्रे का उपयोग आप दोबारा इसे उगाने में कर सकते हैं.
मिट्टी में रोगजनक सूक्ष्मजीव होते हैं. इन्हें मारने के लिए फसल काट लेने के बाद मिट्टी को तेज धूप में फैला देने चाहिए. लेकिन माइक्रोग्रींस को बिना मिट्टी के भी उगाया जा सकता है. इसे पानी में भी उगाया जा सकता है कई लोगों ने उगाया भी है. लेकिन पोषक तत्त्वों की कमी होती. इसलिए पोषक तत्त्वों के घोल का इस्तेमाल कर बेहतरीन क्वालिटी के माइक्रोग्रींस उगाए जा सकते हैं.
माइक्रोग्रींस को उगाने के लिए रोज 3 से 4 घंटे की धूप काफी है. अगर आप के घर में कोई ऐसी जगह हो जहां 3 से 4 घंटे धूप आती हो तो आप आसानी से माइक्रोग्रींस उगा सकते हैं. अगर ऐसी जगह नहीं है तो निराश मत होइए. आप फलोरोसेंट लाइट के इस्तेमाल से भी इसे आसानी से उगा सकते हें.
हालांकि घर के बाहर इसे उगाने में कोई परेशानी नहीं होती लेकिन चिलचिलाती धूप से इसे नुकसान भी होता है. इसलिए इस की सुरक्षा करना भी जरूरी हो जाता है.
माइक्रोग्रींस को आराम से कैंची से काटना चाहिए फिर धो लेने के बाद ही उपयोग करना चाहिए. अगर यह अधिक मात्रा में उग गया हो तो आप इसे फ्रिज में रख सकते हैं और 10 दिनों तक उपयोग कर सकते हैं. यह बहुत ही नाजुक होता है इसलिए इसे काट कर बाहर रखने से इस के सूख जाने का डर होता है.
माइक्रोग्रींस को उगाना वयस्कों के लिए ही नहीं बल्कि बच्चों के लिए भी आनंददायक खेल जैसा है. शहरों में जहां सीमित स्थान है, गृहवाटिका नहीं है वहां माइक्रोग्रींस को उगाना एक अच्छा विकल्प है. बहुत कम खर्च में और थोड़े से अनुभव से आप इसे उगाने की कला जान जाते हैं तो माइक्रोग्रींस को उगाना और खाना दोनों ही आप के लिए आनंद का विषय बन जाता है. आप का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य भी इस अनुभव से अच्छा बना रहता है.