बस्ती : देश के अनेक किसान कम लागत, कम उर्वरक और कम पानी से पैदा होने वाले मोटे अनाज की खेती से मोटा मुनाफा कमा रहे हैं. ऐसे ही एक किसान हैं राममूर्ति मिश्र. बस्ती जिले के सदर ब्लाक, गांव गौरा के बाशिंदे नैशनल अवार्डी किसान राममूर्ति मिश्र ने महज 12 हजार रुपए की लागत से मडुआ और सांवा की खेती कर के तकरीबन 78 हजार रुपए की आमदनी प्राप्त की है.

प्रगतिशील किसान राममूर्ति मिश्र द्वारा की जा रही मोटे अनाज की खेती पूरे इलाके में किसानों को आकर्षित करने में कामयाब रही है.

 

Mota Anaj

 

कृषि विभाग ने मुफ्त में मुहैया कराया था बीज

प्रगतिशील किसान राममूर्ति मिश्र ने बताया कि उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि महकमे की तरफ से मुफ्त में सांवा और रागी यानी मडुआ का बीज उपलब्ध कराया गया था, जिसे उन्होंने तकरीबन 3 एकड़ खेत में बोआई की थी. इस से उन्हें तकरीबन 20 क्विंटल उपज प्राप्त हुई थी.

उन्होंने आगे बताया कि मोटे अनाज की खेती में उन्हें एक बार भी सिंचाई नहीं करनी पड़ी है और न ही उन्होंने फसल में किसी तरह को खाद व उर्वरक का प्रयोग किया था.

प्रगतिशील किसान राममूर्ति मिश्र ने बताया कि मोटे अनाज की फसल में किसी तरह का कीट व बीमारियों का प्रकोप नहीं होता है. इस से जुताई और मेहनत को छोड़ दिया जाए, तो लागत न के बराबर आती है. ऐसे में किसान को कम पूंजी में अधिक मुनाफा प्राप्त होता है.

कृषि मंत्री ने किया प्रोत्साहित

किसान राममूर्ति मिश्र ने बताया कि सूबे के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के प्रोत्साहन से प्रेरित हो कर मोटे आनाज की पहली बार खेती की थी. इस के पहले वह खरीफ सीजन में केवल सुगंधित धान काला नमक और बासमती की खेती करते थे, जिस में खाद एवं उर्वरक के साथ ही मेहनत पर अधिक लागत आती है. इस से मुनाफा कम मिलता था.

उन्होंने बताया कि धान की खेती में अधिक पानी की जरूरत होती है, जबकि मोटे अनाजों को सूखे की दशा में भी आसानी से उगाया जा सकता सकता.

राममूर्ति मिश्र ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों से कम बारिश हो रही है, जिस के चलते किसानों के लिए मोटे आनाज की खेती काफी फायदेमंद हो सकती है.

सेहत के लिए लाभदायक है मोटा अनाज

किसान राममूर्ति मिश्र ने बताया कि मोटे अनाज का सेवन करना शरीर के लिए फायदेमंद है. यह बुढ़ापे के लक्षण को कम करता है. डायबिटीज सहित कई बीमारियों के खतरे को कम करता है. यह अनाज लौह और सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर होता है, इसलिए शरीर में यह खून की कमी व कुपोषण को दूर करने में सहायता करता है. वहीं ज्वार शरीर की हड्‌डियों के लिए अच्छी मात्रा में कैल्शियम, खून के लिए फौलिक एसिड के अलावा कई अन्य पोषक तत्व प्रदान करता है. इसी तरह से रागी एकमात्र ऐसा मोटा अनाज है, जिस में कैल्शियम की मात्रा भरपूर पाई जाती है.

आकर्षक मटके वाली पैकिंग

किसान राममूर्ति मिश्र मोटे सांवा और मडुआ के चावल को पारंपरिक रूप से खूबसूरत मटकों में पैक कर के बेचते हैं, जो देखने में काफी आकर्षक होने के साथ ही उस के मूल गुणों को बनाए रखने में भी काफी कारगर है.

राममूर्ति मिश्र द्वारा मटके में की जा रही मोटे अनाजों की पैकिंग की काफी मांग बनी हुई है. उन्होंने इस साल जितना मोटा अनाज पैदा किया था, उसे बेच कर उन्होंने तकरीबन 78 हजार रुपए की आमदनी प्राप्त की.

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