इनसानी जाति के लिए ग्लोबल वार्मिंग एक बड़ा खतरा है. ग्लोबल वार्मिंग के असर को रोकने के लिए इस के प्रभाव को बदलने की जरूरत है. यह बदलाव लाने के लिए सब से अच्छा तरीका कृषि अपशिष्ट के लिए नएनए तरीकों का इस्तेमाल करना या उन्हें ढूंढ़ना है.
भारत में कटाई के बाद हर साल कचरे के रूप में तकरीबन 5 लाख टन केले के तने को बरबाद कर दिया जाता है, जबकि आधुनिक तकनीक से आसानी से केले के तनेसे फाइबर निकाल सकते हैं. इस का कपड़ा, कागज और उद्योगों में बडे़ पैमाने पर उपयोग हो सकता है. सिंथैटिक फाइबर के लिए केला फाइबर एक बहुत अच्छा प्रतिस्थापन है.
तने से फाइबर निकालना
केला फाइबर पौधे के छद्म स्टैम शीथ से निकाला जाता है. केला फाइबर निकालने के लिए मुख्य रूप से 3 तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है : मैनुअल, रासायनिक और मेकैनिकल अर्थात मशीन द्वारा.
मशीन द्वारा पर्यावरण अनुकूल तरीके से अच्छी गुणवत्ता और मात्रा दोनों के फाइबर को प्राप्त करने का सब से अच्छा तरीका है.
इस प्रक्रिया में छद्म स्टैम शीथ को एक रास्पडोर मशीन में डालने से फाइबर निकाला जाता है. रास्पडोर मशीन शीथ में मौजूद फाइबर बंडल से गैररेशेदार ऊतकों और सुसंगत
सामग्री (जिसे सौक्टर के रूप में जाना जाता है) हटा देता है और आउटपुट के रूप में फाइबर देता है.
मशीन से निकालने के बाद फाइबर एक दिन के लिए छाया में सुखाया जाता है और एचडीपीई बैग में पैक किया जाता है. फिर इसे नमी और रोशनी से दूर रखा जाता है, ताकि इसे तब तक अच्छी हालत में रखा जा सके, जब तक इस का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
केला फाइबर का उपयोग
ऐसे प्रयोजनों के लिए केले फाइबर का उपयोग किया जाता है :
* मुद्राएं, बौंड पेपर और विशेषता पत्र बनाने के लिए, जो 100 सालों तक चल सकते हैं.
* कागज उद्योग में लकड़ी कीलुगदी के लिए बहुत अच्छे प्रतिस्थापन के रूप में, क्योंकि इस में उच्च सैलूलोज सामग्री है. इस प्रकार वनों की कटाई के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करता है.
* फाइबर ग्लास के प्रतिस्थापन के रूप में समग्र सामग्री बनाने में.
* फर्नीचर उद्योग में गद्दे, तकिए और कुशन बनाने के लिए.
* बैग, पर्स, मोबाइल फोन कवर, दरवाजे मैट, परदे और योग मैट वगैरह बनाने के लिए बड़े पैमाने पर हस्तशिल्प में.
* वस्त्रों के बनाने में.
तने से रेशा ऐसे बनाएं
केला स्टैम से बाहरी म्यान को पहले छील दिया जाता है, जिस से अंदर कीपरतें चपटी हो जाती हैं और फाइबर मैन्युअल रूप से या मशीनों के माध्यम से अलग हो जाता है. केले की उपज के ढेर से प्रसंस्करण इकाई के पास ढेर लग जाते हैं और मजदूर केले की उपजाऊ पतली तारों को इकट्ठा कर लेते हैं.
इस कटे हुए स्टैम टुकड़ों को मशीन के माध्यम से निश्चित मंच पर पारित किया जाता है जो ताप बढ़ने पर लिग्निन और पानी की सामग्री को अलग करती है. कटा हुआ फाइबर सूखे में साफ किया जाता है और सूरज की रोशनी में सूख जाता है, जो नोट पैड, स्टेशनरी सामान, दीपक और हस्तशिल्प बनाता है.
ईको ग्रीन यूनिट ने जरमन तकनीक का इस्तेमाल कर के इस मशीनरी को तैयार किया है, जो इसे शक्ति देने के लिए 1 एचपी एकल चरण मोटर का उपयोग करता है. मशीनों को आसानी से अर्द्धकुशल महिलाओं द्वारा संचालित किया जा सकता है. यह प्रक्रिया कम रखरखाव और संचालित करने के लिए सुरक्षित है और उन की गुणवत्ता और पानी की मात्रा के आधार पर 1 किलोग्राम फाइबर निकालने के लिए तकरीबन 5-6 उपभेदों की जरूरत होती है.
रेशे का उत्पादन
केला उत्पादन के मामले में भारत दुनिया का नेतृत्व करता है, जो 13.9 मिलियन मीट्रिक टन (साल 2012) की विश्वव्यापी फसल का तकरीबन 18 फीसदी उत्पादन करता है. महाराष्ट्र और तमिलनाडु अग्रणी केला उत्पादक राज्य हैं. हालांकि तकरीबन 5,00,000 हेक्टेयर क्षेत्र केले की खेती के तहत हैं. केले के स्टैम का केवल 10 फीसदी ही फाइबर में संसाधित होता है.
अगर किसान इन फाइबर प्रसंस्करण इकाइयों को केले की उपज की आपूर्ति करने का फैसला करते हैं, तो वे बिना किसी लागत के कचरे को साफकरेंगे, बल्कि उन की कमाई से भी फायदा होगा. वे 1,10,000 रुपए की लागत से किसान छोटीछोटी इकाई लगा सकते हैं, जो अर्द्धकुशल मजदूरों को रोजगार देगा.
महाराष्ट्र में खेती की जाने वाली केला उपज की गुणवत्ता फाइबर निकालने के लिए आदर्श पाई गई है. तमिलनाडु और गुजरात के तंतुओं की तुलना में वे बेहतर क्वालिटी वाले हैं और ज्यादा चमकते हैं.
फाइबर की विशेषताएं
* केला फाइबर की अपनी भौतिक और रासायनिक विशेषताओं और कई अन्य गुण हैं, जो इसे एक अच्छा गुणवत्ता वाला फाइबर बनाते हैं.
* केला फाइबर की उपस्थिति बांस फाइबर और रैमी फाइबर के समान है, लेकिन इस की सुंदरता और स्पिनिबिलिटी दोनों की तुलना में बेहतर है.
* केला फाइबर की रासायनिक संरचना सैलूलोज, हैमिसैलूलोज और लिग्निन है.
* यह अत्यधिक मजबूत फाइबर है.
* इस की लंबाई छोटी होती है.
* मशीन द्वारा निकालने और कताई प्रक्रिया के आधार पर इस में कुछ चमक होती है.
* इस का वजन दूसरे फाइबर से हलका होता है.
* केला फाइबर में मजबूत नमी अवशोषण क्वालिटी है. यह अवशोषण के साथ ही नमी बहुत तेजी से जारी करता है.
* यह जैव गिरावट योग्य है और इस का पर्यावरण पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता है. इस प्रकार पर्यावरण अनुकूल फाइबर के रूप में बांटा जा सकता है.
* बास्ट फाइबर कताई और दूसरों के बीच अर्द्धबुरी कताई सहित यह कताई के तकरीबन सभी तरीकों से इस्तेमाल में लाया जा सकता है.