कुछ समय पहले तक विदेशी फलसब्जियां फाइवस्टार होटलों और बड़े शहरों के बाजारों में ही शोभा बढ़ाते थे, पर अब इन की पहुंच छोटे शहरों में भी हो गई है जिस से सभी के लिए इन को खरीद कर घर के ही किचन में बनाने का मौका मिल रहा है.
विदेशी सब्जी और फलों के बाजार में आने का सब से बड़ा फायदा यह हुआ है कि सालभर लोगों को खाने के लिए बेमौसम के फल और सब्जियां मिलने लगी हैं.
पहले इन सब्जियों और फलों के चाहने वालों को इन का पता लगाना पड़ता था कि ये कहां पर मिलती हैं, पर अब छोटे शहरों में खुल रहे मौलों में यह सबकुछ मिलने लगा है. शहरों में खुली फलसब्जी बेचने की बड़ी दुकानों में भी यह सबकुछ मिलने लगा है.
विदेशी सब्जियां और फल नए रंगरूप और आकार के होते हैं. इन को चीन, अमेरिका, दुबई जैसे तमाम दूसरे देशों से यहां पर मंगाया जा रहा है.
सब से ज्यादा आमद फलों की है. इन में सेब जैसे कई और भी फल आने लगे हैं. इन का स्वाद, रंग और आकार सामान्य सेब से अलग होता है.
थाईलैंड से आने वाले सेब बहुत ही रसीले होते हैं. इन का स्वाद बहुत अच्छा लगता है. हलके चपटे आकार वाले ये फल विदेशी होने के बाद भी सस्ते होते हैं, वहीं अमेरिका से आए हुए सेब बेहद लाल और मीठे होते हैं. ये देखने में बहुत ही सुंदर होतेहैं. ये सेब थाईलैंड से आए हुए सेब के मुकाबले ज्यादा महंगे होते हैं. यह इतने भी महंगे नहीं होते हैं कि इन को खरीद कर खा भी न सके.
विदेशी फलों और सब्जियों की 50 से अधिक वैराइटी बाजार में मौजूद हैं. ये वैराइटी शहर में हर जगह मौजूद हैं.
सब से ज्यादा मांग नारंगी, पीली और लाल शिमला मिर्च की है. इन फलसब्जियों को दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद से मंगाया जाता है.
पहले भी बड़े शहरों में इस तरह की सब्जियां आती थीं. इन को पहले होटलों में ही बेचा जाता था. अब शहर के लोगों में भी इन के स्वाद की लत लग गई है. इस के चलते इस की खरीदारी बढ़ गई है.
वहीं दूसरी ओर सब्जी और फल की बड़ी दुकानों पर भी इन फलों को खूब रखा जाने लगा है. दुकानदारों को भी इस को रखना फायदे का सौदा लगने लगा है. इन को अब सब्जीफलों के ठेले पर भी देखा जाने लगा है.
फलों में सेब के बाद सब से ज्यादा मांग हरे, काले और नारंगी अंगूर की होती है. ये आप को 100 से 250 रुपए किलोग्राम के हिसाब से बाजार में मिल जाते हैं.
लाल रंग के थाई पियर के साथ दुबई के खजूर, कैलिफोर्निया के गाढ़े भूरे रंग वाले आलूबुखारा भी मिलते हैं. इन में आयरन, पोटैशियम, विटामिन और मिनरल काफी मात्रा में मिलते हैं.
खट्टामीठा इटैलियन कीवी भी लोगों के खाने के लिए बाजार में मिलता है. तकरीबन 3 इंच बड़ा फल अंदर से हरा होता है. थाईलैंड की लीची और अमरूद भी सभी बाजारों में खूब बिकने लगे हैं.
स्वाद बढ़ाती सब्जियां फलों की ही तरह तमाम तरह की विदेशी सब्जियां भी खाने का खूब स्वाद बढ़ा रही हैं.
खाने का स्वाद बढ़ाने और सजावट के लिए सब से ज्यादा इस्तेमाल पार्स्ले का किया जाता है. यह धनिया की पत्तियों जैसा होता है. यह सजावट करने के काम आता है. इस से खाना विदेशी स्टाइल वाला लुक देने लगता है.
कद्दू की तरह दिखने वाली ग्रीन और यलो जुकिनी भी विदेशी सब्जी है. इस का इस्तेमाल भी खाने में खूब किया जाता है. कुछ लोगों को इस का स्वाद इतना पसंद आता है कि वे देशी कद्दू की ओर देखना भी पसंद नहीं करते हैं.
खाने का स्वाद तब तक नहीं मिलता, जब तक उस को ठीक से छौंका न जाए. इस के लिए लीक का इस्तेमाल किया जाता है. लीक लहसुन जैसा होता है. इस की कीमत लहसुन से कम होती है.
अगर आप को खाने के लिए देशी टमाटर न मिल रहे हों या फिर आप उन का स्वाद न लेना चाहते हों तो चैरी टमैटो का इस्तेमाल कर सकते हैं. गहरे लाल रंग के ये छोटेछोटे टमाटर स्वाद में खट्टे होते हैं. ये देखने में बहुत ही सुंदर लगते हैं.
बाजार में बिकने वाली पीली गोभी को देख कर आप कभी चौंक मत जाइएगा. अलग आकार वाली लंबी हलके पीले रंग की बंदगोभी चीन से आती है. चाइनीज व्यंजन बनाने में इस का इस्तेमाल किया जाता है. जो लोग घर पर भी चाइनीज व्यंजन बनाना चाहते हैं, वे भी इस का इस्तेमाल कर सकते हैं. यह ऐस्पेरेगस सूप बनाने के काम आती है. इटैलियन और थाई फूड के साथ इस को भी परोसा जाता है. इस के सूप का स्वाद लेने के लिए अभी तक केवल होटलों में ही जाना होता था, पर अब बाजार से खरीद कर घर पर भी इस का सूप आसानी से बनाया जा सकता है.
बुके में लगी पत्तियों जैसी यह घास चाय की तरह होती है. लेमन टी पीने वालों के लिए यह सब से अच्छी होती है. लेमन टी में इस को डालने से उस का स्वाद कई गुना बढ़ जाता है. जो लोग होटलों जैसी लेमन टी घर में पीना चाहते हैं, वे बाजार से खरीद कर अब कम पैसे में इस का मजा ले सकते हैं.
विदेशी फूड में डालने के लिए सब से ज्यादा थाई जिंजर का इस्तेमाल किया जाता है. यह देखने में समुद्री पक्षी जैसा लगता है. इस को भी सब्जी की श्रेणी में रखा जाता है. इस को देशी अदरक की जगह पर भी प्रयोग किया जाता है.
बढि़या पैकिंग अच्छे दाम विदेशी फलसब्जियों की खास बात यह होती है कि इन को बहुत ही आकर्षक ढंग से पैक किया जाता है. इस वजह से इन के खराब होने की संभावना खत्म हो जाती है. विदेशी फलों की पैकिंग ही सब से खास आकर्षण का केंद्र है.
देशी तरबूज आमतौर पर 8 से 10 किलोग्राम के आकार का होता है, जबकि विदेशी तरबूज 4 किलो से कम का ही मिल जाता है.
इसी तरह विदेशी खरबूजे का आकार और रंग देख कर खरीदने वाला न चाहते हुए भी इन को खरीद लेता है. इन की पैकिंग इस तरह से की जाती है जिस से कि यह फल रखने में खराब न हो.
इस के अलावा विदेशी फलों की मिठास भी एकजैसी रहती है.
बड़े घर के लोग या फिर होटल इन को ज्यादा खरीदते हैं. शहरों में खानेपीने की दुकानों के अलावा शादीविवाह की दावतों में इस का प्रयोग बहुत ज्यादा किया जाता है.
छोटी जगहों पर भी विदेशी सब्जी और फलों के बिकने की शुरुआत हो गई है. कुछ लोग इस को शौकिया तौर पर ले जाते हैं. अगर यह अच्छी लगती है तो दोबारा भी ले जाते हैं.
वे कहते हैं कि जब देशी गोभी बाजार में बिकने के लिए आई थी, तब विदेशी के दाम उस के बराबर ही थे. खरीदने वाले यह नहीं समझ पाते हैं कि विदेश में पैदा होने वाली सब्जी देशी के भाव में कैसे मिल जाती है.
इसी तरह विदेशी टमाटर की कीमत भी देशी के बराबर ही थी. देशी फल जहां कुछ ही समय के बाद बाजार से गायब हो जाते हैं, वहीं विदेशी फल हमेशा बाजार में मौजूद रहते हैं.
विदेशी फलों और सब्जियों के आने से खाने का स्वाद बढ़ जाता है. ये देखने में बहुत अच्छे भी लगते हैं. किचन, फ्रिज और फ्रूट टोकरी में रखे विदेशी फल घर की शोभा बढ़ाने में भी मदद करते हैं.