8वीं जमात पास एक किसान जब हाईस्कूल में फेल हुआ तो उस ने अपना कैरियर खेतीकिसानी में तलाशा और आज उन का नाम दाम कमाने के साथसाथ दुनियाभर के नवाचारी किसानों में शुमार है. वे साल 2007 में जगजीवन राम किसान पुरस्कार सहित कुल 6 राष्ट्रीय पुरस्कारों के साथ राज्य सरकार के तकरीबन 20 विभिन्न पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैं.

इस से इतर उन के मानसम्मान में तमाम निजी व सहकारी संस्थानों द्वारा दिए गए पुरस्कारों की भी एक लंबी फेहरिस्त है. यही नहीं, उन के नवाचारी कौशल को देखते हुए विभिन्न सरकारी, अर्द्धसरकारी और सहकारी संस्थानों ने उन्हें अपनीअपनी प्रबंध समिति में भी जगह दी है. हाल ही में उत्तर प्रदेश में बने किसान समृद्धि आयोग के वे सदस्य भी बनाए गए हैं.

यह नवाचारी किसान हैं उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के हरख ब्लौक के तहत दौलतपुर गांव के बाशिंदे रामशरण वर्मा.

साल 1986 में उन्होंने अपनी 6 एकड़ की पैतृक जमीन पर परंपरागत तरीके से गेहूं, धान, गन्ना की खेती शुरू की थी. कुछ साल बाद टमाटर, आलू और केले की खेती भी उन्होंने शुरू की.

खेती में पूरी तरह से रम जाने के चलते वे हर रोज नएनए प्रयोग करते गए और कामयाबी के झंडे गाड़ते गए. नतीजतन, आज खेती की कमाई से ही उन्होंने कई एकड़ जमीन खेती के लिए और खरीद ली है. साथ ही, वे लीज पर खेती करवा रहे हैं.

खेती को बनाया धंधा

रामशरण वर्मा कहते हैं, ‘‘अगर तकनीकी खेती की जाए तो यह हमेशा एक लाभकारी धंधा साबित होगा. हम ने अब तक केला, आलू, टमाटर और मेंथा की कारोबारी खेती कर के ज्यादा पैदावार बढ़ाने और मुनाफा कमाने में एकसाथ रिकौर्ड बनाया है.’’

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