गन्ना एक बारहमासी फसल है, जो 12 से 18 महीने की अवधि के बीच पक कर तैयार होती है. आमतौर पर भारत में 12 महीने के लिए गन्ना लगाया जाता है. इस को खेत में जनवरीफरवरी माह में रोपा जाता है. 16 से 18 महीने के लिए दक्षिण भारत के राज्यों में जैसे आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में जुलाई से अगस्त माह में लगाया जाता है. इस के अलावा अक्तूबर से नवंबर माह में गन्ने को लगाया जा सकता है, जिस को पूर्व मौसमी 15 महीने की फसल के नाम से भी जाना जाता है.

भारत में 300 मिलियन तक गन्ने का उत्पादन होता है. तकरीबन 35 फीसदी मात्रा गुड़ व खांडसारी के कुल उत्पादन के लिए इस्तेमाल में लाई जाती है. गन्ना उत्पादन कर्नाटक, तमिलनाडु की तुलना में उत्तर प्रदेश में प्रमुख रूप से किया जाता है.

देश में तकरीबन 4 करोड़ किसान अपनी जीविका के लिए गन्ने की खेती पर निर्भर हैं और इतने ही खेतिहर मजदूर भी, जो गन्ने के खेतों में काम कर के अपनी आजीविका चलाते हैं.

गन्ने के महत्त्व को इसी बात से समझा जा सकता है कि देश में निर्मित सभी प्रमुख मीठे उत्पादों के लिए गन्ना एक प्रमुख कच्चा माल है. यही नहीं, इस का उपयोग खांडसारी उद्योग में भी किया जाता है.

उत्तर प्रदेश गन्ने की कुल गन्ना उपज का 35.81 फीसदी, महाराष्ट्र 25.4 फीसदी और तमिलनाडु 10.93 फीसदी पैदा करते हैं यानी ये तीनों राज्य देश के कुल गन्ने का 72 फीसदी उत्पादन करते हैं. इधर पिछले 2 दशकों से दक्षिण के राज्यों में गन्ने की उपज में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है. इन राज्यों में प्रति हेक्टेयर गन्ने की उपज भी उत्तर भारत की तुलना में अधिक है. यही वजह है कि ज्यादातर नई चीनी मिलें इन राज्यों में लगाई गई हैं.

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