हमारे खाने में तमाम तरह के बीजों का इस्तेमाल खाना बनाने में किया जाता है. मसालों और सब्जी के रूप में इस्तेमाल होने वाले इन बीजों का सही तरह से इस्तेमाल किया जाता है तो सेहत को तमाम तरह के फायदे हो सकते हैं.

आज के समय में ज्यादातर लोग इस ओर कम ही ध्यान देते हैं. बीज खाने में टैस्टी नहीं होते इसलिए इन को सही तरह से खाना चाहिए. अलगअलग बीजों में अलगअलग तरह के गुण होते हैं.

लखनऊ के ‘कीरोज’ की डायरैक्टर और डाइटीशियन सिमरन साहनी कहती हैं, ‘‘बीजों को सही तरह से सुखाने के बाद साफ कर के रोस्ट कर लें. अब कई बीजों को एकसाथ मिला कर खा सकते हैं. पहले के समय में भी हम देखें तो इस तरह बीज खाने का रिवाज था. कई बार इन बीजों के लड्डू बना कर खाया जाता था.

‘‘बीजों को सही तरह से आपस में मिक्स कर के खाने से शरीर को बहुत ताकत मिलती है और फायदा होता है.

‘‘यह एक बहुत ही अच्छा और सेहतमंद हैल्दी स्नैक्स है. घर हो या औफिस, खाने की टेबल पर यह होना चाहिए जिस से भूख लगने पर सब से पहले इस का सेवन हो सके. बीज को पानी में भिगो कर अंकुरित होने पर भी इस का सेवन कर सकते हैं.’’

केवल मसाला नहीं है अजवाइन

अजवाइन का आकार अंडाकार होता है. इस का रंग भूरा होता है. खाने में इस का स्वाद तीखा होता है. अजवाइन का दवा के रूप में इसतेमाल बहुत पहले से होता रहा है. अजवाइन के बीजों में शिमला मिर्च, चिरायता और हींग के मिलेजुले गुण पाए जाते हैं.

अजवाइन में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, फैट, मिनरल, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फास्फोरस और भी तमाम चीजें पाई जाती हैं. यह भूख को भी बढ़ाती है. पाचन क्रिया ठीक रहती है.

पेट में गैस बनने की हालत में अजवाइन का इस्तेमाल सही रहता है. इस का इस्तेमाल दाल, करी, मछली और अचार बनाने में किया जाता है. यह सांस संबंधी बीमारी में भी आराम पहुंचाती है.

अजवाइन के इतने गुणों को देखते हुए लोग खाना बनाने में इस का इस्तेमाल करते हैं. यह खाने के स्वाद को बढ़ाने का काम भी करती है.

फायदेमंद मेथी

मेथी को अंगरेजी में फेनग्रीक सीड कहते हैं. इस में प्राकृतिक तत्त्वों में आयरन, कैल्शियम, सोडियम, विटामिन ए, बी, सी और निकोटेनियम एसिड मिलता है.

मेथी सेलेनियम और ऐंटीरैडिएंट का सब से अच्छा माध्यम होती है. इस से शरीर में औक्सिजन की कमी को पूरा करने में मदद मिलती है.

मेथी का इस्तेमाल काफी पहले समय से दवा के रूप में किया जाता रहा है. मेथी खाने से पाचन क्रिया सही ढंग से काम करती है. पेट में होने वाले रोगों को भी मेथी खाने में फायदा मिलता है. जाड़े के दिनों में बीज की जगह पर मेथी के साग का परांठा भी खाने का लाभ होता है. इस का स्वाद खाने में भी अच्छा लगता है.

मेथी के बीजों का इस्तेमाल शरीर की सूजन दूर करने, संक्रमण और डायबिटीज के रोग को भी दूर करने में किया जाता है. गरम पानी में डाल कर गरारे करने से गले की खराश को दूर करने में भी यह मददगार है. इस से गले की सूजन में भी आराम मिलता है.

मेथी की चाय पीने से बुखार में आराम मिलता है. मेथी की चाय बनाने के लिए आधा चम्मच मेथी दाना एक कप पानी में डाल कर गरम करें. इस की चाय बुखार से शरीर को आराम दिलाती है.

मेथी के दानों को रात में भिगो दें. सुबह कुछ खाने से पहले इन को खा लें. इस से पेट को तमाम तरह से फायदा पहुंचता है.

प्राकृतिक इलाज में मेथी का इस्तेमाल फोड़े, फुंसी और दानों को दुरुस्त करने में भी किया जाता है. मेथी की तासीर गरम होती है इसलिए पेट से होने वाली औरतों को इसे खाने से मना किया जाता है.

तमाम गुणों वाली काली कलौंजी

काले रंग की कलौंजी का इस्तेमाल यूनानी दवा बनाने में बहुत पहले से होता रहा है. कलौंजी मिस्र देश में बहुतायत पाई जाती है. कलौंजी में आयरन, सोडियम, कैल्शियम और पोटेशियम पाया जाता है.

कलौंजी अस्थमा, एलर्जी और त्वचा संबंधी रोगों में काफी फायदेमंद होती है. इसे खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक कूवत भी बढ़ती है.

कलौंजी में अनसैचुरेटैड फैटी एसिड यानी ईएफएएस लाइनोलेनिम ओमेगा 3 व लाइनोलेजिक एसिड (ओमेगा 6) नामक तत्त्व पाए जाते हैं जिन को शरीर अपने से नहीं बना पाता है. इन तत्त्वों की कमी को सप्लीमैंट के जरीए पूरा किया जाता है.

कलौंजी को गरम पानी और भोजन के साथ लिया जा सकता है. प्रसव के बाद मां के दूध को बढ़ाने में भी इस का इस्तेमाल किया जाता है. गर्भावस्था में इस का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.

सदाबहार तिल

तिल मुख्यत: अफ्रीका और भारत में पाया जाता है. इस का इस्तेमाल खाने के अलावा तेल के रूप में भी किया जाता है. तिल हलका सफेद और काले रंग का होता है. तिल का इस्तेमाल खाने की चीजें बनाने में किया जाता है. खाने के लिए तिल से हलवा, लड्डू, बिसकुट, सलाद, कैंडी और नूडल्स बनाए जाते हैं.

तिल के जरीए शरीर को मैगनीज, कैल्शियम, विटामिन बी, ई और आयरन मिलता है. इस का इस्तेमाल जाड़ों के दिनों में खूब किया जाता है.

अल्फाअल्फा

अल्फाअल्फा का इस्तेमाल दवा बनाने में किया जाता है. इस में विटामिन, पोटेशियम, कैल्शियम, मैगनीशियम, फास्फोरस, आयरन जैसे तत्त्व पाए जाते हैं. इस में मौजूद तत्त्व शरीर में खून को जमने से रोकते हैं.

अल्फाअल्फा में जिस तरह का प्रोटीन पाया जाता है, वह दूसरी खाने की चीजों में नहीं पाया जाता है. इस के सेवन से कौलैस्ट्रोल, आर्थराइटिस, डायबिटीज जैसे रोगों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है.

अल्फाअल्फा किडनी, गाल ब्लैडर की तमाम बीमारियों से छुटकारा दिलाता है. प्रोस्टैंट और अस्थमा में भी अल्फाअल्फा के सेवन से मदद मिलती है.

अलसी के बीज

अलसी में बहुत ज्यादा मात्रा में फाइबर पाया जाता है जो खाना पचाने में मददगार है. साथ ही, शरीर के टौक्सिन को निकालने में बहुत अच्छी रहती है. अलसी के अंदर फाइबर की मात्रा किसी भी दूसरे खाने की तुलना में बहुत ज्यादा होती है. यह त्वचा और बालों की समस्या दूर करती है.

अगर आप 1-2 चम्मच अलसी के बीज अपने खाने में रोज शामिल करते हैं तो विटामिन बी होने के चलते यह त्वचा और बालों की समस्याओं से नजात दिलाने में मदद करती हैं. अलसी के तेल को बालों और त्वचा पर लगाने से भी फायदा मिलता है.

अलसी के बीजों और तेल को अपने भोजन में शामिल कर के कौलैस्ट्रोल को काफी हद तक कम किया जा सकता है. यह कौलैस्ट्रौल को कम करने के साथसाथ दिल की नसों में इस के चिपकने को भी रोकता है क्योंकि इस में ओमेगा 3 फैट की अच्छी मात्रा पाई जाती है.

डायबिटीज में प्रभावी अलसी के बीजों को अपने भोजन में शामिल कर के ब्लड शुगर कम करने में भी मदद मिलती है. टाइप 2 डायबिटीज में शुगर को नियंत्रित करने में भी इस को प्रभावी देखा गया है.

इस के हैल्थ फायदों को ध्यान में रखते हुए इस के पिसे हुए बीजों या फिर तेल को इस्तेमाल में लाया जा सकता है. यह वजन कम करती है.

अलसी के बीजों में फाइबर होता है. इस की वजह से यह पेट को लंबे समय तक भरा हुआ रखती है. इस के सेवन से खाना खाने की जरूरत महसूस नहीं होती और वजन कम करने में मदद मिलती है.

अलसी के 1-2 चम्मच बीजों को खाने में शामिल करने के साथसाथ अलसी के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है.

सब्जी भर नहीं है कद्दू

कद्दू के बीजों में एमयूएफए और ओमेगा 6 फैटी एसिड मुख्य रूप से होता है. कद्दू में विटामिन ई, बी कौंप्लैक्स, विटामिन, कौपर, पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन, मैगनीशियम, जिंक और सेलेनियम भी सही मात्रा में पाया जाता है इसलिए फिट रहने के लिए इन बीजों को अपनी खुराक में जरूर शामिल करें.

पपीता खाने के बाद कभी भी इस के बीजों को फेंके नहीं, बल्कि इन्हें संभाल कर रखें और बाद में इस का सेवन करें.

इन बीजों में ऐंटी बैक्टीरियल और ऐंटी इंफ्लैमेटरी गुण पाए जाते हैं. साथ ही, ये पाचन तंत्र को भी दुरुस्त कर देते हैं. इन में कैल्शियम, मैगनीशियम और फास्फोरस भी अधिक मात्रा में होता है. इस वजह से इन बीजों को रोजाना खाने से शरीर में मिनरल्स की कमी नहीं होती है.

तरबूज के बीजों में ओमेगा 6 और फैटी एसिड की मात्रा काफी ज्यादा होती है. साथ ही, इन में बी कौंप्लैक्स विटामिन, मैगनीशियम, फास्फोरस, जिंक, आयरन और पोटेशियम की मात्रा भी ज्यादा होती है. थोड़ी मात्रा में इस बीज को रोजाना खाने से आप को ये सारे पोषक तत्त्व आसानी से मिल जाते हैं.

चिया के बीजों में ओमेगा 3 फैटी एसिड के मुख्य स्रोत होते हैं. इस के अलावा इस में आयरन और कैल्शियम जैसे पोषक तत्त्व भी पाए जाते हैं इसलिए अगर शरीर में आयरन की कमी हो गई है तो इन बीजों को रोजाना खाएं.

बीजों के महत्त्व को देखते हुए आजकल यह बीज पैकेटों में पैक कर के बिकने लगे हैं. ऐसे में न केवल इन की पहचान करना बल्कि इन को तलाशना और खाना भी आसान हो गया है. बीजों में उन के अपने गुण तो होते ही हैं,

उन को बनाने में मसाला या घी का बहुत इस्तेमाल नहीं होता. इस वजह से इन का सेवन करने में किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता है.

कई तरह के अनाज और बीजों को भून कर खाने का चलन बहुत समय से है. इस के लिए गांवों में भूनने की तमाम भट्ठियां भी होती थीं. भुने हुए अनाज और बीज सेहत के लिए बहुत ही उपयोगी होते हैं.

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