गरमी के दिनों में तेज धूप के कारण वातावरण की नमी पूरी तरह नष्ट हो जाती है. इन दिनों में सूर्य की पराबैंगनी किरणों का शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, जिस से शरीर का तापमान बढ़ जाता है. इस कारण शरीर में नियंत्रण की प्रक्रिया बंद हो जाती है.
शरीर में अधिक बुखार और बेचैनी होने के साथ बारबार उलटियां होती हैं. उलटियां अधिक होने से शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है, जिस कारण रोगी को अधिक प्यास लगती है. रोगी के सिर में तेज दर्द होता है, उसे चक्कर आते हैं. रोगी के हाथपैर में तेज कंपन, शारीरिक कमजोरी, पीड़ा और अधिक प्यास के लक्षण दिखाई देते हैं. रोगी की त्वचा लाल, गरम और शुष्क हो जाती है.
मोटे व्यक्ति शराब का सेवन करने और चायकौफी का अधिक सेवन करने वाले लोगों में इस की संभावना अधिक रहती है.
लू से बचाव के लिए आप के घर में ही कई ऐसी चीजे हैं, जिन का इस्तेमाल कर इस से बचा जा सकता है. इस से बचने के लिए इन बातों का ध्यान रखते हुए घरेलू चीजों का उपयोग करें:
जल: अंशुघात (लू) के शिकार औरत और आदमी को सब से पहले सिर से पैर तक ठंडे पानी से अच्छी तरह नहलाना चाहिए. सिर पर काफी देर तक ठंडा पानी डालना चाहिए. गरमी में इच्छा के अनुसार बारबार पानी पीने से लू नहीं लगती है.
फालसा: फालसा के साथ सेंधा नमक खाने से लू नहीं लगती है. 500 ग्राम पके हुए फालसों को आधा लिटर पानी में 3-4 घंटे तक भिगो कर स्पंज करें. बर्फ के पानी में चादर पर लपेट दें. यह क्रिया बुखार के 102 डिगरी फारेनहाइट आने तक करते रहें.
कच्चा आम (केरी): आम की कच्ची केरी को गरम राख में भून कर, पानी में उस के गूदे को मिला कर उस में थोड़ी सी शक्कर डाल कर पिलाने से लू का प्रकोप खत्म हो जाता है. कच्चे आम (केरी) का शरबत (पन्ना) बना कर पीने से लू और बेचैनी में कमी आती है. केरी को पानी में डाल कर उबालें और शरबत बना कर साफ बोतलों में रख लें. गरमियों में इस में पानी मिला कर सेवन करने से यह ठंडक देता है और लू के प्रकोप से भी बचाता है.
नीम: नीम की जड़ों का चूर्ण 10 ग्राम और मिश्री 10 ग्राम को पीस कर के पानी के साथ छान कर पिलाने से लू लगना शांत हो जाता है. नीम के पत्तों के रस में शक्कर (चीनी) मिला कर सुबह और शाम 8 दिन तक पीने से सभी प्रकार की गरमी शांत हो जाती है.
बर्फ: लू से पीडि़त रोगी के सिर पर बर्फ की थैली भी रख सकते हैं. बर्फ का चूरा सिर पर रखने और बर्फ का पानी सिर पर डालने से लू से राहत मिलती है. बर्फ के पानी में चीनी को मिला कर शरबत बना लें. इस में थोड़ा सा नमक डाल कर पीएं. लू से परेशान मरीज के कपड़े उतार कर हवा करें. बर्फ के पानी में चादर भिगो कर शरीर पर लपेट दें. यह क्रिया बुखार के 102 डिगरी फारेनहाइट आने तक करते रहें.
नीबू: इस का रस पानी में मिला कर थोड़ा सा सेंधा नमक डाल कर रोगी को बारबार पिलाने से लू का प्रकोप खत्म हो जाता है. रोगी को नीबू के रस की शिकंजी पिलाने से भी लू का प्रकोप कम हो जाता है. लगभग 5 से 10 मिलीलिटर पानी में नीबू का रस मिला कर सेवन करने से लू से होने वाले खतरों से बचा जा सकता है. नीबू, नमक और शक्कर मिला कर पीने से उलटी नहीं होती है.
तुलसी: तुलसी के पत्तों का चूर्ण लगभग 5 ग्राम की मात्रा में, पिपली का चूर्ण लगभग 3 ग्राम की मात्रा में और नमक 5 ग्राम की मात्रा में ले कर पानी में उबालें. इस मिश्रण को छान कर कुनकुना पीने से लू से होने वाले खतरों से बचा जा सकता है. तुलसी के लगभग 20 मिलीलिटर रस में मिश्री मिला कर चाटने से लू से बचा जा सकता है.
प्याज: लगभग 2 ग्राम जीरे के चूर्ण को पिसी हुई प्याज के साथ मिश्री मिला कर खाने से लू में बहुत लाभ मिलता है. प्याज के रस को कनपटियों और छाती पर मसलने से लू ठीक हो जाती है. गरमी के दिनों में धूप में निकलने से पहले एक कच्चा प्याज खा लें. इस से लू लगने का खतरा नहीं रहता है. लू से पीडि़त रोगी को प्याज का रस लगभग एक चम्मच थोड़ीथोड़ी देर से पिलाएं. प्याज और सिरका मिला कर इस की चटनी बना कर खाने से लू से राहत मिलती है.
इमली: इसे पानी में उबाल लें और पानी को छान कर 100 मिलीलिटर की मात्रा में शरबत की तरह लेने से लू से बचा जा सकता है. 50 ग्राम इमली को 2 घंटे तक 500 मिलीलिटर पानी में भिगो कर मसल लें और छान लें. इस के बाद इस में स्वाद के अनुसार कोई भी मीठी चीज जैसे बूरा, मिश्री, चीनी मिला कर छान लें और सेवन करें. इस प्रयोग से गरमी में लू लगना, बेचैनी, जी मिचलाना आदि कष्ट दूर हो जाते हैं.
चंदन: लगभग 125 ग्राम सफेद चंदन को पीस कर इस का चूर्ण बना लें. अब इस चूर्ण को 500 मिलीलिटर गुलाब जल में रात को सोने से पहले भिगो कर रख दें. सुबह इसी जल में 400 ग्राम मिश्री मिला कर उबाल लें. इस तरह से तैयार किए गए शरबत को 20 मिलीलिटर पानी के साथ लेने से लू का प्रकोप शांत हो जाता है.
लू लगने पर पानी में चंदन, खस व गुलाब जल एकसाथ मिलाएं और बेहोशी की अवस्था में मुंह पर पानी के छींटे दे दें. चंदन का तेल यदि दूध में एक बूंद डाल कर पी लिया जाए, तो लू के सभी दोष खत्म हो जाते हैं.
शहतूत: लू और गरमी से बचने के लिए रोजाना शहतूत का सेवन करना चाहिए. पेट, गुरदे और पेशाब की जलन शहतूत खाने से दूर होती है.
पोदीना: आधा ग्राम पोदीने के रस को इतने ही ग्राम पानी के साथ पीने से लू से होने वाले खतरों से बचा जा सकता है. सूखा पोदीना, खस और बड़ी इलायची 50-50 ग्राम बराबर मात्रा में कूट लें और इस का चूर्ण बना लें और एक लिटर पानी में उबाल कर इस का सेवन करें.