Kesarbati: आजकल मिठाई बनाने और उसे पेश करने का अंदाज अलग होने लगा है. यही वजह है कि मिठाई की दुकानों के मालिक और मिठाई बनाने के कारीगर कुछ न कुछ नया करने की कोशिश में रहते हैं. इस तरह के ज्यादातर प्रयोग खोए और मेवों के साथ किए जाते हैं. खोया जब मेवों के साथ मिल जात है, तो उस से तैयार मिठाई की लाइफ और कीमत दोनों बढ़ जाती हैं. ग्राहक भी नए तरीके से तैयार की गई मिठाई को खूब पसंद करते हैं. ऐसी ही एक मिठाई केसरबाटी (Kesarbati) है. मेवों, खोए और चीनी से तैयार होने वाली यह मिठाई अपने नाम से ही कुछ अलग लगती है.
लखनऊ की छप्पन भोग मिठाई के मालिक विनोद गुप्ता कहते हैं, ‘बाटी और चोखा उत्तर प्रदेश और बिहार का बहुत मशहूर पकवान है. उसी में से बाटी के आकार को ले कर हम ने केसरबाटी तैयार की है, जो आकार में बाटी की तरह दिखती है. इस के अंदर मेवे भरे होते हैं. बाटी को सेहत के लिए कारगर बनाने के लिए केसर का इस्तेमाल करते हैं. चीनी के छोटेछोटे दाने ले कर उन को केसर के रंग में रंग देते हैं. तैयार बाटी के ऊपर रंगे चीनी के दानों को चिपका दिया जाता है, जिस से बाटी देखने में पूरी तरह से केसरिया नजर आने लगती है. इस के जरीए हम ने पूर्वी उत्तर प्रदेश की बाटी को अलग स्वाद में पेश करने की बेहद कामयाब कोशिश की है.’
केसरबाटी का स्वाद ले चुकी उमा आदिल कहती हैं, ‘केसरबाटी में केसर की भीनीभीनी खुशबू के साथसाथ खोए और मेवों का स्वाद मिलता है. सब से अच्छे बाटी के ऊपर लगे चीनी के दाने लगते हैं. वे इस मिठाई को पूरी तरह से अलग कर देते हैं. उसे खा कर लगता है जैसे हम मेवों से भरपूर कोई बहुत उम्दा मिठाई खा रहे हों. सब से अच्छी बात यह है कि यह दूसरी मिठाइयों के मुकाबले काफी किफायती है. मेवे मिले होने के कारण इसे खोऐ की दूसरी मिठाइयों के मुकाबले ज्यादा दिनों तक रख सकते हैं.’
कैसे बनती है केसरबाटी
केसरबाटी को बनाने के लिए सब से पहले कलाकंद बरफी बना लेते हैं. इस के बाद छोटे दाने की सफेद रंग वाली साफ चीनी लेते हैं. चीनी को केसर के रंग में रंग देते हैं. केसर के रंग के लिए केसर का ही इस्तेमाल करें. केसरिया खाने वाले रंग का इस्तेमाल न करें. अब कलाकंद बरफी को बाटी का आकार देते हुए छोटेछोटे गोलगोल आकार में बना लेते हैं. कुछ बारीक कटे मेवे अंदर रख कर बाटी को बंद कर देते हैं. ऊपर से चीनी के केसरिया दाने चिपका देते हैं. हाथ से दबा कर बाटी के ऊपर गड्ढा सा बना देते हैं. गड्ढे में पिस्ते और बादाम के टुकड़े काट कर रख देते हैं.
विनोद गुप्ता कहते हैं, ‘आजकल लोगों को उन मिठाइयों का स्वाद ज्यादा पसंद आ रहा है, जो कम मीठी होती हैं. केसरबाटी में चीनी का इस्तेमाल बेहद कम किया जाता है. मेवों के मिलने से चीनी की मिठास कम हो जाती है. अपने नाम और आकार के अलावा केसरबाटी देखने में बहुत अच्छी लगती है, इसीलिए इस को लोग खूब पसंद कर रहे हैं.
इस की कीमत करीब 500 रुपए प्रति किलोग्राम है. अपने खास नाम की वजह से यह लोगों को आसानी से याद रहती है.’