हिसार: हरियाणा के भूमिहीन, बेरोजगार और अशिक्षित यानी अपढ़ ग्रामीण पुरुष व महिला किसानों को अब मधुमक्खीपालन के प्रति रुचि पैदा करने व छोटी मधुमक्खीपालन इकाई की स्थापना कर इसे स्वरोजगार के रूप में अपनाने में आर्थिक व तकनीकी मदद मिलेगी. इस के लिए चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय और इंडियन औयल कारपोरेशन लिमिटेड के बीच एमओयू हुआ है.
कुलपति प्रो. बीआर कंबोज की उपस्थिति में विश्वविद्यालय की ओर से अनुसंधान निदेशक डा. जीतराम शर्मा और इंडियन औयल कारपोरेशन लिमिटेड की तरफ से उत्तरी क्षेत्रीय पाइपलाइन के कार्यकारी निदेशक एसके कनौजिया ने इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए. इस दौरान इंडियन औयल कारपोरेशन लिमिटेड की तरफ से उत्तरी क्षेत्रीय पाइपलाइन से डिप्टी जनरल मैनेजर नीरज सिंह व मैनेजर अनुराग जायसवाल भी मौजूद रहे.
कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने कहा कि हरियाणा शहद उत्पादन में अग्रणी राज्यों में से एक है. मधुमक्खीपालन क्षेत्रों में हरियाणा राज्य पूरे देश का प्रतिनिधित्व करता है. प्रदेश के भूमिहीन, बेरोजगार, अशिक्षित व कम जोत वाले किसान मधुमक्खीपालन को रोजगार के रूप में अपना कर अपनी माली हालत को मजबूत कर सकते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों खासतौर पर महिलाओं में मधुमक्खीपालन को लोकप्रिय बना कर स्वरोजगार को स्थापित करना है. इस से प्रशिक्षण प्राप्त प्रतिभागी न केवल खुद रोजगार प्राप्त कर सकेंगे, अपितु दूसरों को भी रोजगार प्रदान करने में सक्षम होंगे.
उन्होंने यह भी बताया कि मधुमक्खीपालन अपनाने से किसानों व खासतौर पर महिलाओं के लिए आजीविका के साधन बढ़ेंगे, साथ ही स्वास्थ्य को भी लाभ मिलेगा.
इंडियन औयल कारपोरेशन लिमिटेड के उत्तरी क्षेत्रीय पाइपलाइन के कार्यकारी निदेशक एसके कनौजिया ने बताया कि हरियाणा में मधुमक्खीपालन में रोजगार के बेहतरीन अवसर हैं. हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय किसानों से सीधेतौर से जुड़ कर उन के उत्थान में अग्रणी भूमिका निभा रहा है.
उन्होंने यह भी कहा कि खासतौर पर महिला किसान मधुमक्खीपालन को अपना कर संतुलित आहार व पोषक तत्व सहित अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं. उन्होंने एमओयू पर खुशी जाहिर की, साथ ही सामाजिक दायित्व के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मिले सहयोग हेतु विश्वविद्यालय के कुलपति डा. बीआर कंबोज का आभार जताया.
कीट विज्ञान विभाग की अध्यक्ष एवं परियोजना अधिकारी डा. सुनीता यादव ने बताया कि हरियाणा के विभिन्न जिलों में वैज्ञानिक मधुमक्खीपालन और इस में विविधीकरण को अपनाने से स्थायी आर्थिक व पोषण सुरक्षा विषय पर आधारित मधुक्रांति योजना के तहत शुरुआती चरण में हरियाणा के 4 जिलों का चयन किया गया है, जिन में करनाल, कुरुक्षेत्र, झज्जर व सोनीपत शामिल हैं.
उन्होंने बताया कि चारों जिलों से कुल 120 बेरोजगार युवा, महिला प्रशिक्षुओं को मधुमक्खीपालन संबंधित प्रशिक्षण देने व उन्हें छोटी मधुमक्खीपालन इकाई की स्थापना कर इन्हें स्वरोजगार के रूप में अपनाने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा. प्रशिक्षुओं को मधुमक्खीपालन इकाई की स्थापना के लिए निःशुल्क किट व आवश्यक सामग्री भी उपलब्ध कराई जाएगी.
कृषि विज्ञान केंद्रों की देखरेख व उन की मदद से प्रशिक्षकों को उन के उत्पादों की मार्केटिंग करने में भी मदद की जाएगी. साथ ही, उन्हें मधुमक्खीपालन इकाइयों का भी भ्रमण करवाया जाएगा. उन्होंने बताया कि कुल 1,300 गरीब महिलाओं व बच्चों को निःशुल्क शहद वितरित किया जाएगा और शहद के गुणों व औषधीय लाभों को बता कर उन में जागरूकता पैदा की जाएगी.