आज भी शिक्षक समाज का आईना होते हैं. शिक्षक सिर्फ स्कूलों में ही नहीं, बल्कि समाज के बीच भी शिक्षक ही होता है, इसलिए शिक्षक की निजी जिंदगी व दैनिक गतिविधियां भी समाज का मार्गदर्शन करती हैं.
बाड़मेर जिले की ग्राम पंचायत इंद्रोई निवासी अध्यापक और पर्यावरण कार्यकर्ता भेराराम भाखर द्वारा जुलाई, 1999 से पश्चिमी राजस्थान में मरुस्थलीकरण रोकथाम के लिए पारिवारिक वानिकी मुहिम को बढ़ावा देने के लिए ‘पौधे लगाओ जीवन बचाओ’ अभियान से वृक्षारोपण किया जा रहा है. इन के द्वारा हर साल एक माह का वेतन पौधारोपण और पर्यावरण संरक्षण पर खर्च किया जा रहा है. अब तक अपने वेतन व आमजन के सहयोग से 2 लाख, 72 हजार से अधिक पौधे लगाने का काम किया है.
बाइक पर 22 हजार किलोमीटर पर्यावरण चेतना यात्रा निकाल कर उन्होंने लाखों लोगों को अभियान से जोड़ा है और पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक किया है.
इस साल दीर्घजीवी और विपरीत परिस्थितियों में भी हराभरा रहने वाला पेड़ जाल के 7 लाख बीज एकत्रित कर 8 जिलों बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, सीकर, चूरू, जैसलमेर, बाड़मेर में बीज वितरण कर गांवगांव जाल के पौधे लगाने का अभियान शुरू किया है.
भेराराम भाखर ‘लैंड फौर लाइफ’ अवार्ड विजेता प्रोफैसर श्याम सुंदर ज्याणी द्वारा चलाए ‘पारिवारिक वानिकी’ अभियान के मजबूत स्तंभ हैं.
पर्यावरण के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने के उपलक्ष्य में इन्हें 26 जनवरी, 2022 को गणतंत्र दिवस पर जिला प्रशासन बाड़मेर द्वारा जिला स्तर पर सम्मानित किया गया.
शिक्षक भेराराम भाखर छुट्टियों के दौरान अपने घर पर नहीं बैठते हैं, बल्कि अपनी बाइक पर गांवगांव लोडिंग प्लांटों का भ्रमण करते हैं और ग्रामीणों को पर्यावरण संकट से बचने, नुकसान से बचने और मुफ्त पौधों को वितरित करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.
उन्होंने इस अभियान की शुरुआत वर्ष 1999 में अपने छात्र जीवन के दौरान की थी. पहली बार उन्होंने जिला मुख्यालय पर 50 पौधे लगा कर अभियान की शुरुआत की थी. इस के बाद उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग से होने वाले नुकसान का अध्ययन किया और इस से बचने के लिए वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण के अभियान को जारी रखा.
23 साल की छुट्टियों में शिक्षक भेराराम भाखर खुद नर्सरी से पौधे खरीद कर लोगों के साथ खड़े हो कर उन को रोपते हैं और शपथपत्र भर कर उन की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेते हैं, ताकि पौधों की सही देखभाल हो सके. अब तक वे 2.72 लाख पौधे अपने हाथों से लगा चुके हैं, जिन में से ज्यादातर पेड़ बन चुके हैं.
शिक्षक भेराराम भाखर की बाइक के पीछे हमेशा पौधों से भरा कैरेट होता है. इस वजह से गांव के लोग और शिक्षक इन्हें ‘पौधों वाले माड़साब’ के नाम से भी पुकारते हैं. हाल ही में उन्होंने पर्यावरण जागरूकता यात्रा के तहत राज्य के विभिन्न जिलों में 22 हजार किलोमीटर की यात्रा की और लोगों को वृक्षारोपण के प्रति जागरूक किया.
शिक्षक भेराराम भाखर ने सीमावर्ती क्षेत्र के गांवों सहित 689 ग्राम पंचायतों और स्कूलों का दौरा किया और सर्दी में और अन्य राज्य की छुट्टियों के दौरान नीम, गिलोय और सहजन सहित दर्जनों पौधे लगाए. इस दौरान उन्होंने प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय में नुक्कड़ सभाएं की और लोगों को पर्यावरण संकट और इस के संरक्षण की आवश्यकता से अवगत कराया.
इस दौरान सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने पेड़पौधों व वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए संकल्पपत्र भर कर उन का साथ दिया. इस तरह उन्होंने ग्राम पंचायतों और स्कूलों में ढाई लाख से ज्यादा पौधे लगाए. मरुस्थलीकरण रोकने और पर्यावरण को संतुलित करने के लिए अब 7 रेगिस्तानी जिलों में 5 लाख पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा गया है.
उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए 5 राज्यों में पर्यावरण जागरूकता यात्राएं भी की हैं. इस के तहत उन्होंने राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली का दौरा किया और लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया.