वनस्पति शास्त्र में सेब को ‘मालुस पूमिला’ कहते हैं. सेब में शरीर व दिमाग का कायाकल्प करने के लगभग सभी औषधीय गुण हैं. अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए और अनेक रोगों से बचाव के लिए सेब बहुत ही काम आता है.

एक बहुत पुरानी कहावत है, ‘रोज एक सेब खाइए, डाक्टर को दूर भगाइए’. इस एक कहावत से ही पता चलता है कि सेब में कितने पौष्टिक गुण मौजूद हैं.

सेब में प्रमुख रूप से सक्रिय औषधि तत्त्व है ‘पैक्टिन’. यह प्राकृतिक औषधि तत्त्व है, जो छिलके के भीतरी हिस्से और गूदे में पाया जाता है. यह कुछ जहरीले पदार्थों को शरीर से निकाल बाहर करने के लिए एकदम सही रसायन है.

इस के अलावा पैक्टिन भोजन नली में प्रोटीन पदार्थों को यह सड़ने से रोकता है. इस में विशेष रूप से विटामिन ‘ए’, विटामिन ‘बी’ और विटामिन ‘बी कौंप्लैक्स’ की मात्रा भी पाई जाती है.

सेब आज भी दुनिया के सर्वाधिक खपत वाले फलों में से एक है. भारत के जम्मूकश्मीर, हिमाचल प्रदेश और कुमाऊं की पहाडि़यों में यह व्यावसायिक फसल के रूप में उगाया जाता है.

सेब से मिलने वाले पोषक तत्त्वों में प्रमुख तत्त्व शर्करा है, जो सेब में 9 फीसदी से 51 फीसदी तक पाई जाती है. इस शर्करा का 85 फीसदी भाग आसानी से हजम हो जाने वाली 2 शर्कराओं से मिल कर बनता है. इस में फ्रूट शुगर (फल शर्करा) 60 फीसदी और ग्लूकोज 25 फीसदी होता है. सेब में गन्ने वाली शर्करा केवल 15 फीसदी ही होती है.

सेब को किसी भी रूप में खाया जाए, तो उस का दोहरा फायदा होता है. इस हिसाब से सेब सेहत के लिए अमृत समान फल है.

एक दिन में एक सेब खाना लाभदायक होता है. अगर कोई सेब रोज खाता है, तो उसे डाक्टर के पास नहीं जाना पड़ता. सेब आंतों, लिवर और मस्तिष्क के लिए बहुत फायदेमंद होता है. सेब में विटामिन बहुत ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं. सेब शरीर को सेहतमंद और ताकतवर बनाता है.

* भूखे पेट सेब खाना फायदेमंद माना जाता है. सेब गरमी और खुश्की दूर करता है. सेब का मुरब्बा दिल की गरमी और मस्तिष्क की कमजोरी भी दूर करता है.

* सुबह भूखे पेट सेब खाने के बाद ऊपर से दूध पीना फायदेमंद माना जाता है. इस से स्किन का कालापन भी दूर होता है.

* जुकाम होने पर खाना खाने से पहले सेब को छिलके सहित खाना फायदेमंद माना जाता है और इस से मस्तिष्क की गरमी भी दूर होती है.

* रोज सेब खाने से हाई ब्लडप्रैशर में बहुत फायदा होता है.

* सेब खाने से स्मरणशक्ति बढ़ जाती है और रात को बारबार पेशाब जाना कम हो जाता है.

* सेब पर नमक लगा कर कुछ दिनों तक खाने से सिरदर्द ठीक हो जाता है.

* सेब का मुरब्बा खाने से नींद न आने की समस्या में फायदा होता है और लिवर की दिक्कत भी ठीक हो जाती है.

* सेब को जहां तक हो सके, खाली पेट ही खाना चाहिए. इस से कब्ज की शिकायत नहीं होती.

* जिन लोगों को कब्ज रहती है, उन लोगों को सेब छिलका सहित खाना चाहिए और जिन लोगों को दस्त की समस्या हो, उन्हें सेब बिना छिलके के खाना चाहिए.

* सूखी खांसी होने पर मीठे सेब का सेवन बहुत ही लाभकारी होता है.

सेब का मुरब्बा

हम सभी जानते हैं कि सेब सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है, लेकिन सेब से भी ज्यादा उस का मुरब्बा सेहत से भरा होता है. दिल से जुड़ी बीमारियों से ले कर मानसिक तनाव, डिप्रैशन, स्ट्रैस, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा और भूलने की बीमारी को दूर करने वाला होता है.

सेब स्कर्वी रोग को दूर करने के साथ एंटीएजिंग, कमजोरी दूर करने और असमय बाल सफेद होने को दूर करता है.

कोलाइडयन नामक आयरन से भरपूर सेब का मुरब्बा एनीमिया से ग्रसित लोगों, पेट से होने वाली और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद होता है.

आवश्यक सामग्री :

सेब – 1 किलोग्राम

चीनी – 1.25 किलोग्राम

साइट्रिक एसिड – एक चम्मच (5 ग्राम)

इलायची – 1/2 छोटी चम्मच

बनाने की विधि

* सेब का मुरब्बा बनाने के लिए सब से पहले सेब को अच्छी तरह धो लीजिए. पीलर की मदद से छिलके उतार लीजिए और डंठल हटा लीजिए. पानी में डाल कर रख दीजिए, ताकि कालापन न आने पाए.

* एक बड़े बरतन में इतना पानी ले लीजिए, जिस में सारे सेब आसानी से डूब जाएं. पानी को गरम होने के लिए गैस पर रख दीजिए और जैसे ही पानी में उबाल आने लगे, तब सेब डाल दीजिए.

* सेब को हलका सा नरम होने तक पकने दीजिए. तकरीबन 15 मिनट तक सेबों को उबाल लेने पर इन्हें चैक कीजिए. सेब हलके नरम हो गए हों, तो गैस बंद कर दीजिए और उन्हें पानी से अलग निकाल लीजिए. सेब को पीलर या काटें वाली चम्मच की मदद से गोद लीजिए.

* चाशनी के लिए बड़े से बरतन में चीनी डालें और उस में 3-4 कप पानी डालें. चीनी पानी में घुलने तक पका कर चाशनी बना लीजिए. उस के बाद चाशनी में सेब को डाल दीजिए.

* दूसरे दिन सेब को निकाल कर चाशनी खौला लें और दोबारा सेब को चाशनी में डाल दीजिए. इस प्रक्रिया को 2 दिन तक दोहराएं. आखिरी दिन इस में एक चम्मच (6 ग्राम) साइट्रिक एसिड मिलाएं.

* अब सेब का मुरब्बा बन कर तैयार है. इस में इलायची डाल कर हवारहित डब्बे में स्टोर कर लें.

सुझाव

* सेब अगर पानी में ज्यादा उबाल दिए जाएं, तो सेब फट जाएंगे और पानी में ही घुल जाएंगे, इसलिए इन्हें हलका सा नरम रहने तक उबालें.

* चाशनी न ज्यादा पतली होनी चाहिए और न ज्यादा गाढ़ी. 1-2 तार की चाशनी मुरब्बा बनाने के लिए सही होती है.

* सेब चाशनी में अच्छी तरह से डूबे रहने चाहिए. इस से ये ज्यादा समय तक अच्छे रहेंगे.

सेब का जैम

आवश्यक सामग्री :

सेब – 1 किलोग्राम

चीनी – 700 ग्राम

साइट्रिक एसिड – एक चम्मच (5 ग्राम)

रसभरी – रैड कलर (1 ग्राम)

सुगंध

बनाने का तरीका

* सब से पहले सेब को धोपोंछ कर साफ कर लें. उस के बाद सेब को गोलाकार टुकड़ों में काट लें.

* मीडियम आंच पर एक भगोने में 10 मिनट तक सेब को उबाल लें. सेब को हलका सा नरम होने तक उबलने दें. जब सेब हलके नरम हो गए हों, तो गैस बंद कर दीजिए.

* जब सेब का गूदा अच्छी तरह से गल जाए, तब उस को निकाल कर छलनी की मदद से मैश कर लेंगे, जिस से बीज, छिलका और गूदा अलग हो जाएगा. अब गूदे को एल्युमिनियम के बरतन में रख कर मध्यम आंच पर लगातार चलाते हुए पकाएं.

* इस के बाद चीनी डाल कर चलाते रहें.

* अब इस में एक चम्मच साइट्रिक एसिड (5 ग्राम) डालेंगे.

* 1 ग्राम रेड रसभरी कलर डालें.

* अब जैम तकरीबन बन कर तैयार चुका है. इस के बाद तैयार हुए जैम का परीक्षण करने के लिए इसे एक प्लेट पर चम्मच की मदद से गिराएंगे और प्लेट को तिरछा कर जैम को चला कर देखेंगे.

* अगर जैम का थक्का एकसाथ बिना पानी छोड़े चल रहा है, तो इस का मतलब हमारा जैम बन कर तैयार है.

* अब हम इस में सुगंध मिला कर गरमागरम जैम हवारहित डब्बे में भर कर स्टोर कर लेंगे.

* ध्यान रहे, जैम अगर एक बार खोलें तो उस को जल्द ही खा कर खत्म कर दिया जाए, क्योंकि खुला हुआ जैम ज्यादा दिन तक महफूज नहीं रहेगा.

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