नई दिल्ली: देश में पाम औयल और पेड़ों पर उगने वाले औयल सीड्स के तहत 9 तिलहन (Oilseeds) फसलों के उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि और क्षेत्र विस्तार द्वारा खाद्य तेलों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए वर्ष 2018-19 से एक केंद्र प्रायोजित योजना -राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन- तिलहन और पाम औयल (एनएफएसएम-ओएस और ओपी) लागू की गई है.

एनएफएसएम- औयल सीड्स योजना के तहत 3 व्यापक हस्तक्षेपों के लिए राज्य सरकार के माध्यम से किसानों को प्रोत्साहन व सब्सिडी प्रदान की जा रही है, जिस में पहला सीड कंपोनेंट, जिस में ब्रीडर बीजों की खरीद, आधार बीज और प्रमाणित बीजों का उत्पादन, प्रमाणित बीजों का वितरण, बीज मिनीकिट और बीज हब का वितरण शामिल है.

दूसरा उत्पादन इनपुट कंपोनेंट में घंडारण डब्बे, पौध संरक्षण (पीपी) उपकरण और बीज शामिल हैं. ड्रम, पीपी रसायनों का उपचार, जिप्सम, पाइराइट्स, चूना आदि का वितरण, न्यूक्लियर पौलीहेड्रोसिस वायरस, जैव एजेंट, जैव उर्वरक की आपूर्ति, उन्नत कृषि उपकरण, स्प्रिंकलर सैट, पानी ले जाने वाले पाइप, और तीसरा क्लस्टर को कवर करने वाले टैक्नोलौजी कंपोनेंट का ट्रांसफर या ब्लौक प्रदर्शन, फ्रंटलाइन प्रदर्शन, क्लस्टर फ्रंटलाइन प्रदर्शन और राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली और कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से प्रशिक्षण, किसान फील्ड स्कूल (एफएफएस) मोड के माध्यम से एकीकृत कीट प्रबंधन, किसानों का प्रशिक्षण, अधिकारियों, विस्तार कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण, आवश्यकता आधारित अनुसंधान एवं विकास परियोजना सहित फ्लैक्सी फंड के तहत सैमिनार व किसान मेला और तेल निकालने वाली इकाई है.

सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों और अंडमान व निकोबार पर विशेष ध्यान देने के साथ देश को खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर बनाने के लिए औयल पाम की खेती को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2021-22 में एक अलग मिशन यानी राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन (औयल पाम) - एनएमईओ (ओपी) शुरू किया है. अंडमान व निकोबार में औयल पाम का क्षेत्रफल वर्ष 2025-26 में 3.70 लाख हेक्टेयर से बढ़ा कर 10.00 लाख हेक्टेयर किया जाएगा.

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