छिंदवाड़ा : प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना छिंदवाड़ा जिले के विकासखंड परासिया के ग्राम जाटाछापर की सानिया अली और उन के पति जुनेद खान के लिए खासी अच्छी साबित हुई है. इस योजना के अंतर्गत जिले के विकासखंड छिंदवाड़ा के ग्राम भैंसादंड में लगभग साढ़े 3 करोड़ रुपए की लागत से स्थापित 20 टन प्रति दिवस के उत्पादन क्षमता के प्रदेश के पहले मत्स्य आहार संयंत्र की स्थापना कर सानिया अली और उन के पति जुनेद खान सफल उद्यमी बन गए हैं. उन की माली हालत अब अत्यंत सुदृढ़ हो गई है.
सानिया अली और उन के पति जुनेद खान ने अपनी जेके इंडस्ट्रीज की स्थापना से जहां वर्ष 2023-24 में लगभग 90 लाख रुपए और वर्ष 2023-24 में लगभग पौने 2 करोड़ रुपए का टर्नओवर प्राप्त किया है, वहीं अपने इस उद्योग से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 200 व्यक्तियों को रोजगार भी दिया है. अब वर्ष 2024-25 में उन्हें अपने व्यापार से लगभग ढाई से 3 करोड़ रुपए का टर्नओवर प्राप्त होने की संभावना है. हितग्राही को इस मत्स्य आहार संयंत्र में उत्पादित मत्स्य आहार के विक्रय से प्रतिवर्ष लगभग 8 से 10 लाख रुपए तक की आय प्राप्त हो रही है.
जेके इंडस्ट्रीज, भैंसादंड की स्वामी सानिया अली अपने पति जुनेद खान के साथ इस मत्स्य आहार संयंत्र का संचालन कर रही हैं. उन्होंने अपने पति जुनेद खान को इस इंडस्ट्रीज का मुख्य कार्यपालन अधिकारी नियुक्त किया है. मुख्य कार्यपालन अधिकारी जुनेद खान इस इंडस्ट्रीज को संचालित करने के लिए अपनी पत्नी सानिया अली को भरपूर सहयोग देते हैं. उन की मेहनत व संघर्ष का नतीजा है कि उन का व्यापार अब सफलता की ओर निरंतर बढ़ रहा है और एक सफल उद्यमी के रूप में उन की पहचान बन रही है.
जुनेद खान ने बताया कि वे लगभग 16 वर्ष की आयु से मत्स्यपालन के क्षेत्र में काम कर रहे हैं, इस के पूर्व वे वर्ष 2018 में जिले के जुन्नारदेव विकासखंड के ग्राम घोड़ावाड़ी में एक पौंड को किराए पर ले कर मत्स्यपालन कर चुके हैं.
2 साल तक उन्हें इस काम में घाटा हुआ और तीसरे वर्ष इस काम से उन्हें लाभ प्राप्त होना शुरू हुआ, किंतु अनुभव की कमी के कारण इस में अधिक सफलता नहीं मिली. वे मत्स्य आहार के क्षेत्र में कुछ बेहतर करना चाहते थे, इसलिये वे उचित मार्गदर्शन के लिए मत्स्य विभाग पहुंचे, जहां तत्कालीन सहायक संचालक मत्स्योद्योग द्वारा पुन: 5 लाख रुपए तक की मत्स्य यूनिट की जानकारी दी गई, जिस से उन्हें संतुष्टि नहीं मिली.
उन्होंने अन्य बड़ी योजनाओं के संबंध में जानकारी प्राप्त करना चाही, तो उन्हें प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की जानकारी हुई, जिस में निजी क्षेत्र में मत्स्य आहार संयंत्र की स्थापना के लिए 2 करोड़ रुपए तक का लोन और 60 फीसदी का अनुदान उपलब्ध कराया जाता है. इस जानकारी से उन का मन प्रसन्न हो गया और उन्होंने अपनी पत्नी के नाम से इस योजना के अंतर्गत अपना प्रकरण तैयार कराया और मत्स्य विभाग के माध्यम से उन्हें 2 करोड़ रुपए का लोन और 60 फीसदी अर्थात 1.20 करोड़ रुपए का अनुदान प्राप्त हुआ. इस संयंत्र की 13 सितंबर, 2021 को स्थापना की गई, जिस का उद्घाटन तत्कालीन संचालक मत्स्योद्योग भरत सिंह, संयुक्त संचालक शशिप्रभा धुर्वे और सहायक संचालक मत्स्योद्योग रवि गजभिये द्वारा किया गया.
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री डा. एल. मुरुगन ने 4 अप्रैल, 2023 को मध्य प्रदेश के इस प्रथम मत्स्य आहार संयंत्र का अवलोकन किया और संयंत्र के माध्यम से तैयार किए जा रहे मत्स्य आहार की प्रक्रिया की जानकारी के साथ ही मत्स्य आहार की गुणवत्ता, उत्पादन क्षमता, विक्रय दर, मत्स्य आहार की पैकिंग, निर्यात आदि के संबंध में विस्तार से जानकारी प्राप्त कर इस संयंत्र के माध्यम से तैयार किए जा रहे मत्स्य आहार और अन्य प्रक्रियाओं पर संतोष व्यक्त करते हुए इस की सराहना भी की.
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के देश में क्रियान्वयन के सफल 3 वर्ष पूरे होने पर 15 सितंबर, 2023 को ब्रिलिएंट कन्वेंशन सेंटर, इंदौर में केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला के मुख्य आतिथ्य में आयोजित कार्यक्रम में भी उन्होंने प्रदेश के प्रथम मत्स्य आहार संयंत्र के रूप में अपने संयंत्र का स्टाल लगा कर प्रदर्शन भी किया, जिस की केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री डा. एल. मुरुगन और प्रदेश के अन्य मंत्रियों ने सराहना की.
मत्स्य आहार संयंत्र से छिंदवाड़ा जिले के साथ ही आसपास के जिलों बैतूल, सिवनी, बालाघाट, इंदौर, भोपाल, खंडवा, राजगढ़, नर्मदापुरम आदि एवं प्रदेश के बाहर के प्रदेशों असम, ओड़िसा, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश आदि में भी विक्रय किया जा रहा है.
मुख्य कार्यपालन अधिकारी जुनेद खान ने बताया कि इस संयंत्र की स्थापना में उन की पत्नी और उन्हें अत्यंत कड़ा संघर्ष करना पड़ा.
उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि संयंत्र की स्थापना के लिए मत्स्य विभाग से लोन और अनुदान प्राप्त करने के अलावा अपने पिता जमील खान से लगभग 30 लाख रुपए की लागत से एक एकड़ भूमि खरीदवाई, बैंक औफ बड़ौदा की छिंदवाड़ा शाखा से 50 लाख रुपए का कर्जा लिया, व्यक्तिगत कर्ज लिया और अपनी सारी जमापूंजी लगाने के साथ ही अन्य रिश्तेदारों से भी माली मदद ली. भवन व अधोसंरचना निर्माण में लगभग 80 लाख रुपए, मुख्य आहार निर्माण मशीन में लगभग सवा करोड़ रुपए निजी ट्रांसफार्मर की स्थापना पर लगभग 12 लाख रुपए, रौ मेटेरियल पर लगभग 13 से 14 लाख रुपए, पैकिंग सामग्री पर लगभग 4 लाख रुपए, ट्रेड मार्क लेने पर लगभग 3 लाख रुपए और अन्य मदों पर राशि खर्च हुई.
उन्होंने आगे बताया कि आहार संयंत्र की स्थापना में पहले 2 साल बहुत ही मुश्किल हालात में बीते. राजस्थान और चीन से आहार संयंत्र की अत्याधुनिक मशीनें खरीदी गई थीं, किंतु राजस्थान से खरीदी मशीन बारबार बंद हो रही थी और उस के पार्ट्स व इंजीनियर को राजस्थान से बुलवाने में काफी समय लगता था. ऐसी स्थिति में 4 से 7 दिनों तक उत्पादन प्रभावित होता था. सुबह 9 बजे से लगातार रात 4 से 5 बजे तक मशीन का सुधार कार्य चलता था और इस काम में 3 से 4 दिन लग जाते थे. इस स्थिति से परेशान हो कर संबंधित कंपनी को मशीन वापस भेज कर उस से दूसरी मशीन रिप्लेस करवाई गई और काम शुरू किया गया.
मशीनरी ठीक होने के बाद जब अप्रैलमई, 2022 में उत्पादन प्रारंभ हुआ, तो मार्केटिंग की समस्या सामने आई और इस में एक वर्ष तक घाटे की स्थिति रही. ऐसा प्रतीत हो रहा था कि संयंत्र को बंद करना पड़ सकता है, किंतु उन्होंने हार नहीं मानी और न ही उन की हिम्मत टूटी.
अपनी जिद और जुनून के दम पर उन्होंने मार्केटिंग के लिए अपनी इंडस्ट्री का ट्रेडमार्क लिया और देश के विभिन्न राज्यों में 15 डीलर नियुक्त किए, जिन के माध्यम से उन्हें व्यापार में सफलता मिलनी शुरू हुई.
मुख्य कार्यपालन अधिकारी जुनेद खान ने बताया कि मत्स्य आहार बनाने के लिए उन्होंने कोलकाता और नई दिल्ली के वैज्ञानिकों और डाक्टरों से रेसिपी प्राप्त की और आहार बनाना शुरू किया. मत्स्य आहार बनाने के लिए रौ मेटेरियल के रूप में सोयाबीन व सरसों की खली, गेहूं, मक्का, चावल, सूखी मछली, मछली का तेल, मेडिसन, मिनरल्स और अन्य सामग्री का उपयोग किया जा रहा है. उन के संयंत्र में मछलियों के साइज के हिसाब से आहार तैयार किया जाता है, जिस में 20 किलोग्राम और 35 किलोग्राम के पैकेट तैयार किए जाते हैं. 20 किलोग्राम की पैकिंग में 4 प्रकार के आहार बनाए जाते हैं, जिस में डस्ट में 40 फीसदी प्रोटीन व 6 फीसदी फेट, एक एमएम में 32 फीसदी प्रोटीन व 6 फीसदी फेट, 2 एमएम में 30 फीसदी प्रोटीन व 5 फीसदी फैट और 28 फीसदी प्रोटीन व 5 फीसदी फैट रहता है.
वहीं दूसरी ओर 35 किलोग्राम की पैकिंग में 3 एमएम में 28 फीसदी प्रोटीन व 5 फीसदी फैट, 4 व 6 एमएम में 28 फीसदी प्रोटीन व 5 फीसदी फैट, 4 एमएम में 26 फीसदी प्रोटीन व 5 फीसदी फैट, 4 एमएम में 24 फीसदी प्रोटीन व 5 फीसदी फैट और 4 एमएम में 20 फीसदी प्रोटीन व 5 फीसदी फैट रहता है.
इस पौष्टिक आहार से 6 माह में ही मछलियों का विकास एक से डेढ़ किलोग्राम तक होने पर वे बिकने को तैयार हो जाती हैं. इन के बिकने से कम समय में अधिक आय प्राप्त होती है और मत्स्यपालक लाभान्वित होते हैं, जबकि दूसरी कंपनियों के आहार में यह विकास 8 से 10 माह में होता है. बाजार मूल्य से 20 फीसदी कम मूल्य पर मत्स्य आहार उपलब्ध कराने पर हमारे संयंत्र से उत्पादित पौष्टिक आहार की मांग बढ़ती जा रही है.
उन्होंने आगे बताया कि मुख्य संयंत्र में प्रत्यक्ष रूप से 20 कर्मचारी काम कर रहे हैं, जिन्हें स्थायी रोजगार मिला है, जबकि अप्रत्यक्ष रूप से 15 डीलरों के पास 10-10 किसानों के अलावा 15 से 20 अन्य व्यक्ति रोजगार प्राप्त करते हैं और ट्रांसपोर्ट के काम में लगे 10 ट्रकों के 20-20 ड्राइवरों व कंडक्टरों को भी स्थायी रोजगार मिला है.
उन्होंने यह भी बताया कि उन के परिवार में पतिपत्नी के अलावा उन का एक 7 साल का बेटा व 3 साल की बेटी है. उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग की तालीम हासिल की है, जबकि उन की पत्नी इलेक्ट्रिक इंजीनियर हैं.
अपने मत्स्य आहार संयंत्र को उन्होंने भारत का सब से बड़ा आहार निर्माण संयंत्र बनाने का संकल्प लेते हुए अपने लक्ष्य की पूर्ति की ओर वे निरंतर बढ़ रहे हैं.
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होने से उन्हें समाज में भी सम्मान मिला है. वह और अन्य उद्यमियों को इस योजना का लाभ लेने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं.
उन्होंने अपने पिता जमील खान, जिन्हें वे अपना गुरु मान कर उनके सिखाए रास्ते पर अपने उद्योग को चला रहे हैं, के प्रति भी धन्यवाद ज्ञापित किया है. साथ ही, इस योजना के अंतर्गत मत्स्य आहार संयंत्र चलाने में मार्गदर्शन और तकनीकी सहयोग प्रदान करने के लिए सहायक संचालक मत्स्योद्योग राजेंद्र सिंह, सहायक मत्स्योद्योग अधिकारी संजय अंबोलीकर और मत्स्य निरीक्षक अनिल राउत के प्रति भी धन्यवाद ज्ञापित किया है.