भंडारण की सही जानकारी न होने से 10 से 15 फीसदी तक अनाज नमी, दीमक, घुन, बैक्टीरिया वगैरह द्वारा नष्ट हो जाता है. कटाईमड़ाई के बाद सब से जरूरी काम अनाज भंडारण का होता है.
अनाज के सुरक्षित भंडारण के लिए वैज्ञानिक विधि अपनाने की जरूरत होती है. जिस से अनाज को लंबे समय तक चूहे, कीटों, नमी, फफूंद आदि से बचाया जा सके.
अनाज को रखने के लिए गोदाम की सफाई कर दीमक और पुराने अवशेष आदि को बाहर निकाल कर जला कर नष्ट कर दें.
दीवारों, फर्श व जमीन आदि में यदि दरार हो, तो उन्हें सीमेंट, ईंट से बंद कर दें. टूटी दीवारों आदि की मरम्मत करा दें.
भंडारण में होने वाली इस क्षति को रोकने के लिए किसान दिए गए सुझावों को ध्यान में रख कर अनाज को भंडारित कर सकते हैं.
अनाजों को अच्छी तरह से साफसुथरा कर के धूप में सुखा लेना चाहिए, जिस से कि दानों में 10 फीसदी से ज्यादा नमी न रहने पाए. अनाज में ज्यादा नमी रहने से फफूंद और कीटों का हमला ज्यादा होता है. अनाज को सुखाने के बाद दांत से तोड़ने पर कट की आवाज करे तो समझना चाहिए कि अनाज भंडारण के लायक सूख गया है. इस के बाद अनाज को छाया में रखें. इस के बाद ठंडा होने पर ही भंडारगृह में रखना चाहिए.
अनाज से भरे बोरे को भंडारगृह में रखने के लिए फर्श से 20 सैंटीमीटर से 25 सैंटीमीटर की ऊंचाई पर बांस या लकड़ी के तख्ते का मंच तैयार करना चाहिए, जो दीवार से कम से कम 75 सैंटीमीटर की दूरी पर हो.