स्मार्ट, स्मार्ट और स्मार्ट… अब सबकुछ होगा स्मार्ट. खाना खाने के तौरतरीके बदल गए तो जो खाना खाया जाना है उसे स्मार्ट तरीके से तैयार किया जाए. ऐसा होगा भी, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों ने अन्नदाता यानी किसान को स्मार्ट बनाने का बीड़ा उठा लिया है.
किसान अब साधारण तौरतरीके से नहीं, बल्कि स्मार्ट तरीके से खेती करते दिखाई देेंगे. ऐसे भारत में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के किसान स्मार्ट बनेंगे यानी मौडर्न तकनीक की मदद से खेती करेंगे और खेतों से भरपूर फसल लेंगे.
देश में खेतीबारी में अब स्मार्ट खेती का चलन बढ़ रहा है. छोटे व सीमांत किसानों को भी इस का फायदा उठाने का मौका मिल रहा है. स्मार्ट खेती के क्षेत्र की बड़ी अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां छोटे और सीमांत किसानों की जरूरत के हिसाब से नए तरीके पेश कर और स्पैशलिस्ट मौडल अपना कर उन की मदद कर रही हैं.
मौडर्न तकनीक के जरीए खेती में कम संसाधनों के साथ ज्यादा पैदावार हासिल की जातीहै. इस में जीपीएस, जीएनएसएस औरड्रोन के इस्तेमाल से इस बात का सही अंदाजा लगाया जाताहै कि ज्यादा सेज्यादा पैदावार के लिए कौन सी फसल और मिट्टी चाहिए, साथ ही फसल की बरबादी को कम कैसे किया जाए.
यही नहीं, फसल कटने के बाद के कामों में भी इस का भरपूर इस्तेमाल होता है ताकि यह तय किया जा सके कि कृषि उत्पादों का भंडारण वहां हो, जहां मौसम व उपकरणों को कंट्रोल करने के लिए उर्जा का सही इस्तेमाल हो.
स्मार्ट खेती हालांकि पिछले कुछ समय से हो रही है लेकिन अभी तक कारपोरेट फौर्म और बड़ी जोत वाले किसानों में ही इस का इस्तेमाल करने की कूवत थी. इस की सीधी वजह यह थी कि इस के लिए जरूरी उपकरण खरीदने और लगाने में बहुत ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता है और ज्यादातर उपकरणों को दूसरे देशों से मंगाना पड़ता है. यही वजह है कि देश में इस का प्रचारप्रसार नहीं हो पाया.
ट्रिंबल इनफौर्मेशन टैक्नोलौजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का कहना है कि वे किसानों को उन की जरूरत के मुताबिक उपकरण वगैरह किराए पर देने का मौडल अपना रहे हैं और मूल उपकरण बनाने वाले लोकल मैन्यूफैक्चरर्स को अपने साथ ले रहे हैं. उन की मदद से वे उत्पादों को आगे बढ़ा सकते हैं.
गौरतलब है कि ट्रिंबल भारत में लौजिस्टिक्स, नौवहन और परिवहन में इनफौर्मेशन टैक्नोलौजी बेस्ड सौल्यूशन मुहैया कराती है. अब उस की नजरें स्मार्ट खेती में अपने कारोबार का विस्तार करने पर हैं.
कंपनी का तो मानना यह भी है कि भारत में ज्यादातर छोटे किसान हैं और वे छोटी जोत पर निर्भर हैं. उन की हालत सुधरी तो स्मार्ट खेती का चलन जोर पकड़ने लगेगा और फिर यह अरबों डौलर का उद्योग बन जाएगा.
मालूम हो कि कई राज्य सरकारें अपने सब्सिडी कार्यक्रम में स्मार्ट खेती के उपकरण शामिल करने पर विचार कर रही हैं. राबर्ट बौश इंजीनियरिंग ऐंड बिजनैस सौल्यूशंस के सीनियर एग्जीक्यूटिव का कहना है कि उन की कंपनी भारतीय किसानों के लिए लोकल लैवल पर बने सौल्यूशंस पर जोर दे रही है.
उन्होंने कहा कि भारत में भी अब कारपोरेट खेती का चलन बढ़ रहा है जो हमारे उपकरण और सैंसर खरीद सकती है. छोटे और सीमांत किसानों के लिए हमारे पास स्पैशल मैंबरशिप मौडल हैं. हम सहकारिता संघों के साथ भी काम कर रहे हैं जो हमारे उपकरण किराए पर ले सकते हैं.
अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के अलावा कई देशी स्टार्टअप भी इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं. वे उत्पादन बढ़ाने और लागत कम करने के लिए रोबोटिक्स, डेटा एनालिटिक्स, आईओटी और ब्लौकचेन तकनीक का इस्तेमाल कर रही हैं.
इस प्रकार अब देश के किसान खेती के पेशे में अमेरिका के किसानों की तरह स्मार्ट हो जाएंगे. देश का किसान खुश होगा तो देश का सही विकास हो सकेगा वरना उन के विकास के बिना विकास अधूरा ही माना जाएगा.