फसल का ज्यादा दिनों तक भंडारण रखने से किसानों को यह फायदा होता है कि उन्हें ज्यादा कीमत मिल जाती है, लेकिन परेशानी इस बात की है कि इतने दिनों तक कैसे कीटपतंगों, चूहों वगैरह से अनाज को खराब होने से बचाया जाए. इस समय किसानों ने सरसों, अलसी, चना, मटर, गेहूं की कटाई शुरू कर दी है और फसलों की कटाई के बाद कुछ समय के लिए उन का भंडारण करना होता है.
भंडारण की सही जानकारी न होने पर 15-20 फीसदी तक अनाज नमी, दीमक, घुन, चूहों के जरीए खराब हो जाता है. किसान इस से बचने के लिए कई तरह के उपाय करते हैं, ताकि उन का अनाज खराब न हो.
हम आप को ज्यादा समय तक अनाज को कैसे महफूज रखा जा सकता है, इस बारे में बता रहे हैं, जिस को अपना कर आप की समस्या का समाधान हो सकता है.
खेतीबारी के माहिर बताते हैं कि किसानों को सही जानकारी न होने, नमी, दीमक, घुन, बैक्टीरिया के चलते अनाज खराब हो जाता है. अनाज को रखने के लिए गोदाम की सफाई कर दीमक और पुराने कबाड़ आदि को बाहर निकाल लें, इस के बाद उसे जला कर खत्म कर दें.
दीवारों, फर्श और जमीन में दरार हो तो उन्हें सीमेंट, ईंट वगैरह से बंद कर देना जरूरी है. अगर दीवार टूटी हुई हो तो उस की मरम्मत करा दें. इस से अनाज की बरबादी नहीं होगी.
किसानों को चाहिए कि वे सब से पहले अनाज को अच्छी तरह से साफसुथरा कर धूप में सुखा लें, जिस से कि दानों में 10 फीसदी से ज्यादा नमी न रहने पाए. अनाज में ज्यादा नमी रहने से फफूंद व कीटों के लगने का डर बना रहता है.
अनाज को सुखाने के बाद दांत से तोड़ने पर कट की आवाज करे तो समझना चाहिए कि अनाज भंडारण के लायक सूख गया है.
जानकार किसानों को इस का आसानी से तजरबा हो जाता है कि कब अनाज रखने लायक हो गया है.
भंडारघर का चुनाव
आमतौर पर किसान अपनी उपज का भंडारण कोल्डस्टोरेज में करते हैं, लेकिन देश में इस की काफी कमी है. गांवदेहात से ज्यादा दूरी होने की वजह से भाड़े की लागत ज्यादा आ जाती है, इसलिए ज्यादातर किसान अपने घरों में ही भंडारण करते हैं. इस के लिए उन्हें ऐसी जगह का चुनाव करना चाहिए, जहां सीलन यानी नमी न हो और चूहों से बचाव हो सके.
भंडारघर हवादार होना चाहिए और जरूरत पड़ने पर हवा को बंद भी किया जा सके. भंडारण के पहले पक्का भंडारघर और धातु की कोठियों को साफसुथरा कर लेना चाहिए.
बोरियों में अनाज रखने से पहले उन को 20-25 मिनट तक खौलते पानी में डाल देना चाहिए. इस के बाद धूप में अच्छी तरह सुखा देना चाहिए या छिड़काव के लिए बने मेलाथियान के 50 फीसदी घोल में बोरियों को डुबो कर फिर बाहर निकाल कर सुखा लेना चाहिए.
और भंडारण करने वाली जगह या भंडार करने वाली कोठरियों में भी इस का छिड़काव करना चाहिए. ठीक से सूख जाने के बाद ही उन में अनाज भरना चाहिए.
अनाज से भरी बोरियों को भंडारघर में रखने के लिए फर्श से 20 से 25 सैंटीमीटर की ऊंचाई पर बांस या लकड़ी के तख्त का मंच तैयार करना चाहिए जो दीवार से कम से कम 75 सैंटीमीटर की दूरी पर हो.
बादल छाए रहने, बारिश होने या आबोहवा में ज्यादा नमी रहने पर भंडारण नहीं करना चाहिए. साथ ही, पछवां हवा चलने के समय अनाज का भंडारण करना काफी अच्छा माना जाता है.
ध्यान रखने वाली बातें
* किसान इस बात का खास ध्यान रखें कि खुले हुए अनाज पर सीधे सूखे या तरल (गीले) कीटनाशी का इस्तेमाल भूल कर भी न करें.
* चूहा शंकालु प्रवृत्ति का होता है, इसलिए बदलबदल कर जहरीला चारा, चूहेदानी और टिकिया का इस्तेमाल करना चाहिए.
* भंडारण में पुराना अनाज और भूसा वगैरह को निकाल कर एक महीने पहले सफाई कर चूहों द्वारा किए गए छेद और दूसरी टूटफूट की मरम्मत कर नीम की पत्तियों का धुआं कर के अच्छी तरह से भंडारण को बंद कर दें. इस से छिपे हुए कीड़ेमकोड़े खत्म हो जाते हैं.
* अनाज भंडारण में सब से अहम यह होता है कि किसान भंडारण करते समय हवा के रुख को नजरअंदाज कर देते हैं, जबकि अगर पुरवा हवा चल रही हो, तब भंडारण नहीं करना चाहिए.
* अनाज भंडारण में इस्तेमाल में लाई गई नीम की पत्तियां सूखी होनी चाहिए. इस के लिए नीम की पत्तियों को भंडारण से 15 दिन पहले किसी छायादार जगह पर कागज, बोरी या साफ फर्श पर रख कर सुखा लें.