पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के तमाम किसान रविवार व मंगलवार के दिन खेतों की बोआई की शुरुआत नहीं करते हैं, क्योंकि उन का मानना है कि मंगलवार व रविवार को धरती माता सोती हैं. इन दिनों में बीज बोने से बीज अंकुरित नहीं होता है. वहीं कुछ किसानों का यह भी मानना है कि इस दिन ग्राम देवता खेतों का भ्रमण करते हैं, जिस से बीज बोआई करने से उन के शरीर से बीज टकरा सकता है और ग्राम देवता को चोट लग सकती है. इस से ग्राम देवता नाराज हो जाते हैं, जिस के चलते फसल का उत्पादन सही नहीं होता है.

इस तरह के अंधविश्वास आज भी अनेक किसानों को घेरे हुए हैं. इस तरह के अनेक उदाहरण आप को जगहजगह देखने को मिल जाएंगे.

बसंत लाल बस्ती जिले के अच्छे किसानों में गिने जाते हैं. पिछले साल उन्होंने गेहूं फसल की कटाई के बाद फसल की मड़ाई का काम इसलिए नहीं किया, क्योंकि उस दिन बुधवार था और बुधवार के ही दिन 2 साल पहले उन के पिता की मौत हो गई थी. इस के चलते वे बुधवार के दिन को अशुभ मानते थे और उस दिन वे कोई ऐसा काम नहीं करते थे, जिस में उन्हें नुकसान होने का डर हो.

उन्होंने सोचा कि अगले दिन की सुबह यानी बृहस्पतिवार को वे काटी गई गेहूं की फसल की मड़ाई करेंगे, लेकिन बुधवार की रात में अचानक बादल छा जाने से भारी बारिश होने लगी. अचानक आई इस विपदा से निबटने के लिए बसंत लाल को कोई उपाय नहीं सूझ रहा था, क्योंकि काटी गई फसल 2 एकड़ से ज्यादा की थी और उस को ढकने के लिए उन के पास कोई व्यवस्था नहीं थी. वे अपनी मेहनत की कमाई से उगाई गई गेहूं की फसल को बरबाद होते देख रहे थे. उन्हें अपने निर्णय पर पछतावा हो रहा था कि काश, वे बुधवार के दिन को अशुभ नहीं मानते, तो उन के गेहूं की तैयार फसल की समय पर मड़ाई हो गई होती और अनाज घर के अंदर होता. खेत में तैयार गेहूं खराब होने से बच जाता.

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