Indian Sweet Laddoo: आम कारोबारी अपने को ठग नहीं कहते. हर कोई अपने को सब से ईमानदार बताने की होड़ में लगा रहता है. इन सब से अलग कानपुर शहर में मिठाई का कारोबार करने वाले रामऔतार पांडेय ने सच को स्वीकार किया कि मिठाई में चीनी की मिलावट होती है, जो ज्यादा खाने पर नुकसान कर सकती है. इस का कारोबार करने वाले जनता को ठगने का काम करते हैं. ऐसे में उन्होंने खुलेआम ‘ठग्गू के लड्डू’ की शुरुआत कर दी.

इतना सच बोलने वाले रामऔतार पांडेय ने अपने काजूसूजी के लड्डू के जरीए कम से कम नुकसान करने वाले लड्डू तैयार किए और उन्हें ‘ठग्गू के लडडू’ के नाम से बेचना शुरू किया. लोगों को यह अदा पसंद आई. अब तो ‘ठग्गू के लडडू’ कानुपर ही नहीं, पूरे उत्तर प्रदेश में मशहूर हो गए हैं. अब रामऔतार पांडेय की दूसरी पीढ़ी में उन के बेटे प्रकाश पांडेय लड्डू बेचने का काम कर रहे हैं.

प्रकाश पांडेय ने बताया, ‘साल 1968 में मेरे पिता रामऔतार पांडेय ने कानपुर के फाइव स्टार होटल लैंडमार्क के सामने लड्डू की दुकान खोली थी. उन पर गांधीजी के विचारों का काफी प्रभाव पड़ा था. बापू के शक्कर श्वेत जहर है की बात से वे काफी विचलित हो गए थे. उन्होंने सोचा कि इन लड्डुओं के जरीए वे लोगों की सेहत और पैसे दोनों को ठगते हैं. उन्हें अपने अंदर एक ठग नजर आया. इस के बाद उन्होंने दुकान का नाम ‘ठग्गू के लड्डू’ रख दिया.

Indian Sweet Laddoo‘उन्होंने मुझे बचपन से ही लडडू बेचना सिखाया. जब मैं कक्षा 3 में पढ़ता था, तो पिताजी ने मेरे लिए एक बच्चों की गाड़ी बनवाई, उस में प्लास्टिक के बोर्ड पर लिखवाया, ‘लड्डू खाना काम आप का और बेचना काम बाप का. मैं तो हूं केवल शौकीन प्रकाश पांडेय कक्षा 3. इसे ले कर मैं लड्डू बेचने जाता था.

‘हमारी दुकान में 2 तरह के लड्डू मिलते हैं. पहले काजू, खोए और सूजी से बने लड्डू, दूसरे पिस्ता, बादाम और खोएसूजी से बने लड्डू. इन के साथ ही यहां ‘बदनाम कुल्फी’ भी मिलती है. फुटपाथ पर बिकने के कारण पिताजी ने इस का नाम ‘बदनाम कुल्फी’ रखा.

‘हमारी दुकान की लोकप्रियता दिनप्रतिदिन बढ़ती गई. ऐसे में इस की ब्रांचें भी खोली गईं. मौजूदा समय में अलगअलग जगहों पर हमारी दुकान की कई ब्रांचे हैं. गोविंद नगर, काकादेव, एक्सप्रेस रोड, वीआईपी रोड और स्वरूप नगर में हमारी ब्रांचें हैं.’

अपने लड्डू बनाने के तरीके के बारे में प्रकाश पांडेय कहते हैं, ‘हमारे लड्डू में कोई खास बात नहीं है. इसे बनाने का तरीका पूरी तरह से वैसा ही है, जैसे देहात में औरतें आटे का लड्डू बनाती हैं. हम रवा और खोया भून लेते हैं. इस के बाद उस में चीनी मिला देते हैं. इस के साथ काजूबादाम मिलाते हैं.

‘हमारे यहां 2 तरह के लड्डू बनते हैं. एक काजू वाला और दूसरा पिस्ताबादाम वाला. इस में मिली हर चीज खालिस होती है, इसलिए लोग इस को पसंद करते हैं. काजू वाला लड्डू 420 रुपए प्रति किलोग्राम (14 रुपए प्रति लड्डू) और स्पेशल लड्डू 600 रुपए प्रति किलोग्राम (20 रुपए प्रति लड्डू) की दर से बिकता है.’

‘मिसेज यूपी’ शिखा मिश्रा के अनुसार, ‘ठग्गू के लड्डुओं का स्वाद एकदम अलग होता है. ये बिलकुल ताजे होते हैं. इन्हें फ्रिज में न भी रखें, तो भी ये खराब नहीं होते. इन में भले ही सूजी डाली जाती है, लेकिन खाने में यह पता नहीं चलती’

‘ठग्गू के लड्डू’ हर तीजत्योहार पर खरीदे जाते हैं. ‘ठग्गू के लड्डू’ दुकान में बिकने वाली ‘बदनाम कुल्फी’ का स्वाद भी बहुत अच्छा होता है.

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