अमित शाह ने एनसीडीएफआई को प्राकृतिक खेती की दिशा में कदम आगे बढ़ाना चाहिए. अमूल ने इसका बहुत अच्छा प्रयोग किया है. उन्होने कहा कि हमने राष्ट्रीय स्तर पर एक बहु राज्य सहकारी ऑर्गेनिक संस्था बनाई है जो ऑर्गेनिक प्रोडक्ट के मार्केटिंग का काम करेगी. इसके साथ लोगों के जुड़ने की शुरुआत हो चुकी है. इस मॉडल को अडॉप्ट करते हुए आज एक ऑर्गेनिक कोऑपरेटिव देश के अंदर आर्गेनिक उत्पादों को बढ़ावा दे रही है. इसके साथ-साथ एक्सपोर्ट के लिए भी एक कोऑपरेटिव बनाई है क्योंकि दुनिया में ऑर्गेनिक प्रोडक्ट का बाजार बहुत बड़ा भी है, महंगा भी है. अगर दुनिया महंगा ऑर्गेनिक प्रोडक्ट खाना चाहती है तो भारत को भेजने में देरी नहीं करनी चाहिए.

बीजों के संरक्षण के लिए बीज कोऑपरेटिव

Beejसहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि हमने एक बीज कोऑपरेटिव भी बनाई है जो भारतीय बीजों का संरक्षण और संवर्धन करेगी. आज बीज बनाने वाली बड़ी-बड़ी कंपनियां बड़े किसानों के पास ही जाती है. अगर किसी के पास दो एकड़ भूमि भी है तो वह पैक्स के माध्यम से वहां तक पहुंचेगी और किसानों को बीज की खेती के साथ भी जोड़ेगी. इससे किसान का मुनाफा बढ़ेगा. उन्होंने एनसीडीएफआई से आग्रह किया कि इसके लिए एक अच्छे मॉडल को एक नोडल एजेंसी के रूप में हर जिला संघ तक पहुंचाएं. अगर कोई जिला संघ उसे अडॉप्ट करना चाहे तो उसे गाइड करने के लिए टीम का गठन हो और जो सफलता एक जिले में मिली है वह भारत के हर जिले में मिलनी चाहिए.

ई-मार्केट पोर्टल पर एक लाख मीट्रिक टन दालों की खरीद की व्यवस्था

अमित शाह ने कहा कि ई-नीलामी मंच, रिवर्स नीलामी और फॉरवर्ड नीलामी भी अब प्रदान की जाने वाली है और एनसीडीएफआई के ई-मार्केट पोर्टल पर एक लाख मीट्रिक टन दालों की खरीद की व्यवस्था भी है. इसी प्रकार आगामी 4 जनवरी को नेफेड का ऐप लॉन्च होने वाला है, जिसमें भारत में अगर कोई किसान कितनी भी दलहन पैदा करे, नेफेड उस पूरे उत्पाद को एमएसपी से एक रुपये अधिक दर पर खरीदेगा. उन्होंने कहा कि हम तिलहन के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं, इसलिए नेफेड को यह काम सौंपा गया है. नेफेड के ऐप पर किसान रजिस्टर करके दलहन की खेती करेगा और सारी की सारी दलहन एमएसपी प्लस वन रुपये की दर पर नेफेड खरीदेगी.

मक्का से बनेगा एथेनॉल

Makkaसहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने एथेनॉल के लिए एक वैश्विक अलायंस बनाया है, लेकिन अलायंस बनने के पहले ही हमने मक्के से एथेनॉल बनाने को लेकर एक पॉलिसी बनाई है. इस पॉलिसी के मुताबिक, यदि कोई किसान मक्का बोएगा तो उसका शत-प्रशित मक्का नेफेड खरीद कर एथेनॉल बनाने वाली कंपनी को भेज देगी और किसान को एमएसपी से अधिक दाम मिलेगा. उन्होंने कहा कि हम ने क्राप डायवर्सिफिकेशन, खाद का कम उपयोग और दलहन व तिलहन में आत्मनिर्भरता जैसे लक्ष्य भी तय किए हैं.

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