महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. लोकेश गुप्ता ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा आम फल प्रसंस्करण यानी प्रोसैसिंग एवं खाद्य अनुपूरक के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय योगदान को किसानों और उद्यमियों तक पहुंचाने के लिए डेयरी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय और भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मंझले उद्यम मंत्रालय के सयुंक्त तत्वावधान में 5 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य आम फल प्रसंस्करण एवं खाद्य अनुपूरक पर तकनीकी कौशल का विकास करने के साथ किसानों और उद्यमियों की पारंपरिक कार्य प्रणाली का उन्नयन करना है. साथ ही, उद्यमिता विकास के लिए संपूर्ण तकनीकी सहायता प्रदान की गई.

कौशल विकास कार्यक्रम समन्वयक डा. निकिता वधावन ने बताया कि यह महाविद्यालय का 5वां प्रशिक्षण कार्यक्रम है. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए 21 प्रतिभागियों ने आवेदन किया था, जिस में से 16 महिलाएं हैं. इस तरह से महाविद्यालय महिला सशक्तीकरण के उद्देश्य के लिए अपना योगदान दे रहा है.

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में देश के विख्यात वैज्ञानिकों ने न केवल सैद्धांतिक, बल्कि महाविद्यालय की विश्व स्तरीय आईएसओ  प्रमाणित प्रयोगशालाओं में मार्गदर्शन प्रदान कराने के साथ ही भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मंझले उद्यम मंत्रालय द्वारा प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र भी प्रदान किए गए, जो कि प्रतिभागियों को अपना उद्यम स्थापित करने में मददगार होगा. महाविद्यालय विगत 42 सालों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षण प्रदान कर रहा है.

एक उद्यमी मंजू चैहान ने बताया कि भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI)  के विभिन्न मानकों को बहुत ही सरल तरीके से समझाया गया और निश्चित तौर पर यह व्याख्यान उन के उद्यम को उत्तरोत्तर प्रगतिशील करने के साथसाथ यशोवर्धनकारी साबित होगा.

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