हमारे देश के गांवों में बसने वाली  आबादी की आमदनी का एक बड़ा हिस्सा खेती और पशुपालन से आता है. इस वजह से देश की ज्यादातर गांवदेहात की आबादी पशुपालन से जुड़ी हुई है, लेकिन कभीकभी पशुपालकों द्वारा सही चारा प्रबंधन और पोषण प्रबंधन न हो पाने के चलते प्रति पशु पर्याप्त दूध नहीं मिल पाता है और न ही बीमारियों का सही तरीके से प्रबंधन हो पाता है.

ऐसे में पशुपालकों की पशु आहार से जुड़ी समस्याओं को देखते हुए बिहार राज्य के समस्तीपुर जिले के चकलेवैनी ग्राम पंचायत की कैजिया गांव की महिलाओं ने स्थानीय स्तर पर पशु आहार बनाने का कारोबार शुरू कर आसपास के गांवों में पशुपालकों की पशु आहार से जुड़ी समस्या का निदान कर दिया है, जिस की बदौलत कैजिया गांव में चूल्हेचौके तक सिमटी रहने वाली घरेलू महिलाएं आज खुद की और पशुपालकों की तरक्की की कहानी तो लिख ही रही हैं, साथ ही साथ पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने में मददगार भी साबित हो रही हैं.

छोटी बचत से हुई शुरुआत

पशु आहार बनाने से जुड़ी कैजिया गांव की महिलाओं को कुछ साल पहले तक घर से बाहर निकलने तक की मनाही थी, लेकिन आगा खान ग्राम समर्थन कार्यक्रम (भारत) द्वारा एक्सिस बैंक फाउंडेशन के सहयोग से इन गंवई महिलाओं को मजबूत बनाने के लिए स्वयंसहायता समूह से जोड़ कर बचत की आदतों को बढ़ावा देने की पहल शुरू की गई.

साहूकारों के चंगुल से मिली नजात

कैजिया गांव की इन महिलाओं ने मां संतोषी स्वयंसहायता समूह बनाया, जिस में पहले साल 12 महिलाएं ही जुड़ीं, जिस से जुड़ कर इन महिलाओं ने हर महीने 20 रुपए से ले कर 100 रुपए तक की बचत की शुरुआत की.

महिलाओं ने इस बचत के पैसों का इस्तेमाल अपने घर की जरूरतों और साहूकारों का कर्ज चुकता करने में किया, जिस से धीरेधीरे इन महिलाओं का परिवार साहूकारों के चंगुल से मुक्त हो गया. इस के बाद 3 साल में इस समूह से 18 महिलाएं जुड़ गईं.

महिलाओं की इस स्वयंसहायता समूह की साख को देख कर स्थानीय बैंक ने 2 लाख रुपए का लोन भी स्वीकृत किया है, जिस से समूह से जुड़ी महिलाएं व्यवसाय कर अपनी आमदनी को बढ़ा सकें.

इन महिलाओं ने बचत के दौरान यह महसूस किया कि उन्हें गांव में ही कुछ ऐसा व्यवसाय करना चाहिए, जिस से वह लाभ भी कमा सकें और उन के घर के पुरुषों का दूसरे शहरों में पलायन भी रुके. ऐसी दशा में इन महिलाओं ने आपस में तय किया कि उन के आसपास बकरीपालक और पशुपालकों की तादाद अधिक है. ऐसे में उन्होंने पाया कि पशुपालकों में अच्छी क्वालिटी के पशु आहार की मांग स्थानीय स्तर पर अधिक है. फिर क्या था, महिलाओं ने छोटे स्तर पर पशु आहार बनाने की मशीन लगाने का फैसला लिया.

इन महिलाओं ने एकेआरएसपीआई से अपनी यह मंशा सांझा की, तो एकेआरएसपीआई ने एक्सिस बैंक फाउंडेशन के सहयोग से उन के इस सपने को पूरा करने के लिए पशु आहार बनाने में उपयोग होने वाली मशीनरी को उपलब्ध कराने का फैसला लिया. इस पर कुल लागत तकरीबन 1 लाख, 97 हजार रुपए की आई. बाकी इस व्यवसाय में उपयोग आने वाले कच्चे माल को महिलाओं ने अपनी बचत के पैसों से खरीदारी करने का फैसला लिया.

समूह की महिलाएं पशु आहार बनाने के लिए खड़े दाने और चारा पीसने के लिए फीड ग्राइंडर मशीन, कैटल फीड मशीन, मिक्स करने के लिए मिक्सर मशीन, वजन करने के लिए वेट मशीन और थ्री फेज के बिजली कनैक्शन का उपयोग करती हैं.

उत्पादक समूह बना कर शुरू किया उत्पादन

कैजिया गांव की महिलाओं ने स्थानीय स्तर पर ही मां तारा उत्पादक समूह बना कर पशु आहार बनाने का काम शुरू किया है. चूंकि इन महिलाओं ने जब मशीनें लगाईं, तभी लौकडाउन लगा दिया गया. लेकिन मशीनें सप्लाई करने वाली कंपनी ने इन महिलाओं को मशीन चलाने और पशु आहार बनाने की औनलाइन ट्रेनिंग दी.

कम पढ़ीलिखी इन महिलाओं ने इसे बड़ी संजीदगी से सीखा और ये महिलाएं आज पशु आहार बनाने का काम कर रही हैं.

स्थानीय स्तर पर आसानी से मिलता है कच्चा माल

इस उत्पादक समूह की सचिव पूनम देवी ने बताया कि पशु आहार बनाने में उपयोग होने वाला कच्चा माल वाजिब दाम पर स्थानीय स्तर पर मिल जाता है. ऐसे में तैयार पशु आहार पशुपालकों को बाजार में उपलब्ध दूसरे ब्रांड की तुलना में सस्ता पड़ता है. इस वजह से उन के पशु आहार की मांग स्थानीय स्तर पर अधिक है.

समूह की कोषाध्यक्ष प्रमिला ने बताया कि पशु आहार बनाने में जिन चीजों का इस्तेमाल किया जाता है, उस में चोकर और खलियां, मोरिंगा पाउडर, मक्का, बाजरा, तेलयुक्त व तेलरहित चावल की पौलिश, मूंगफली, सोयाबीन, तिल्ली, सरसों, सूरजमुखी की खली, खनिज लवण, नमक, विटामिन व गुड़ प्रमुख हैं.

Ladli Award
Ladli Award

पोषक तत्त्वों का रखा जाता है खयाल

कैजिया गांव में स्थानीय स्तर पर महिलाओं द्वारा तैयार किए जा रहे पशु आहार में पर्याप्त मात्रा में खनिज लवण, वसा, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, न्यूक्लिक एसिड, विटामिन की मात्रा उपलब्ध रहती है, जिस से बकरियां, गायभैंस अधिक समय तक और अधिक मात्रा में दूध देती हैं. इस महिला समूह द्वारा तैयार पशु आहार पशुओं को अधिक स्वादिष्ठ और पौष्टिक लगता है.

समूह की सदस्य रीना देवी ने बताया कि उन के समूह द्वारा तैयार किया जाने वाला पशु आहार आसानी से व जल्दी पच जाता है. इस से पशुओं का स्वास्थ्य ठीक रहता है और उन की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. इस वजह से पशुओं में बीमारियां होने की संभावनाएं कम होती हैं.

उन्होंने आगे बताया कि उन के समूह द्वारा तैयार पशु आहार संतुलित होने से पशु की दूध देने की क्षमता बढ़ती है व अन्य पशु आहारों से सस्ता होने से दूध की प्रति लिटर लागत भी कम होती है.

उन्होंने यह भी बताया कि उन के उत्पाद में पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्त्व मौजूद होते हैं, जिस से पशुओं का ऋतु चक्र नियमित होता है और वह समय पर गर्भ धारण करती है.

लौकडाउन में बना मददगार

कैजिया गांव में भी कोरोना के चलते देश में लगे लौकडाउन की वजह से दूसरे शहरों में नौकरी करने वाले लोग अपने गांव लौट आए. इस दशा में उन के घरों की महिलाओं ने लौकडाउन के दौरान भी पशु आहार तैयार कर उस की मार्केटिंग कर अपने घर की माली हालत को बिगड़ने से बचाने में अहम भूमिका निभाई.

अब पुरुषों पर निर्भर नहीं

समूह की सचिव पूनम ने बताया कि कभी हम घर के पुरुष सदस्यों पर निर्भर हुआ करते थे और आज हमारे यहां के पुरुष नौकरी कर पशु आहार की मार्केटिंग में जुटे हुए हैं. इस से इन का दूसरे शहरों की तरफ पलायन तो रुका ही है, साथ ही स्थानीय लैवल पर रोजगार मिलने में भी मदद मिली है.

आमदनी बढ़ाने में हुई सफल

एकेआरएसपीआई के बिहार प्रदेश के रीजनल मैनेजर सुनील कुमार पांडेय ने बताया कि कैजिया गांव की ये महिलाएं छोटे और बड़े पशुओं के लिए खुद ही मिनरल आहार तैयार करती हैं, जिस पर प्रति किलोग्राम तकरीबन 20 से 25 रुपए की लागत आती है, जिसे वह आसानी से 35 रुपए की दर से बेच लेती हैं. इस प्लांट की जो सब से बड़ी खूबी है वह है, इस प्लांट का संचालन खुद महिलाएं ही करती हैं.

उन्होंने बताया कि गांव की कम पढ़ीलिखी महिलाओं ने पशु आहार बनाने के कारोबार में कामयाबी पा कर यह साबित कर दिया है कि आज के दौर में महिलाएं किसी से कमतर नहीं रहीं.

गंवई महिलाओं के लोकल लैवल पर पशु आहार बनाने के कारोबार की कामयाबी के मसले पर एकेआरएसपीआई के बिहार में कृषि प्रबंधक डा. बसंत कुमार ने बताया कि समस्तीपुर के ज्यादातर गांवों में लोग पशुपालन के कारोबार से जुड़े हुए हैं.

उन्होंने यह भी बताया कि पशुओं से अधिक दूध उत्पादन के लिए और बीमारियों से बचाव के लिए पशुओं को संतुलित पशु आहार खिलाया जाना जरूरी हो जाता है. ऐसे में पोषक तत्त्वों से युक्त गुणवत्तापूर्ण और सस्ता पशु आहार लोकल लैवल पर मिलना पशुपालकों के लिए चुनौतीपूर्ण था. ऐसे में चकलेवैनी ग्राम पंचायत के कैजिया गांव की महिलाओं ने लोकल लैवल पर पशु आहार बनाने का कारोबार शुरू कर पशुपालकों की समस्या को काफी हद तक कम करने का काम किया है.

उन्होंने यह भी बताया कि महिलाएं पशु आहार बना कर अपने घर की आमदनी बढ़ाने में खासा मददगार साबित हुई हैं.

अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें...